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4 × = twenty four
43 responses to “बीच बजरिया खटमल काटे”
आप इतना बढ़िया कविता लिखते हैं, कभी गाकर सुनाईये न!! बड़ा मन करता
है. बड़ी देर से आया..जाने कैसे चूक गया था अपनी तारीफ पढ़ने से. हा हा!!
वाह……बहुत दिनों बाद टिपिकल फुरसतिया पोस्ट बांची
मन प्रसन्न हो गया जी
मन प्रसन्न हो गया जी
गाकर सुनाईये न!!
दम-खम/बजनदार/प्रभावशाली अभिव्यक्ति है।
………………………………….”जित्ता बेसुरा वो मेहनत करके पसीना बहाकर गा पाते है
उत्ता तो हम बायें हाथ से गा देते हैं। पूरा जोर लगा दें तो प्रलय हो जाये!
इसीलिये लगाते नहीं। ”
पहली बार जाना कि हाथ से वो भी बाँए हाथ से गाया जा सकता है…?
सब कुछ सम्भव है जब राखी के ब्लाउज फाड़ने की ख़बर तक जुगाड़ ली
तो बाँए हाथ से गाना कौन सी बड़ी बात है ? हैना ताऊ ….?
अब रहा बीच बाज़ार में खटमल का काटना सो हम सोचतें हैं “खटमल निकालने जाने कित्ते खड़े रहतें हैं कुछ तो साथ साथ ही चलते रहते हैं इस में गाने की क्या बात है”
एक मजेदार पोस्ट के लिए आभार का ट्रक किधर भेजना है भैया जी
अंत में पूरी गंभीरता से
“सादर-अ भि वा द न “
पहली बार जाना कि हाथ से वो भी बाँए हाथ से गाया जा सकता है…?
सब कुछ सम्भव है जब राखी के ब्लाउज फाड़ने की ख़बर तक जुगाड़ ली
तो बाँए हाथ से गाना कौन सी बड़ी बात है ? हैना ताऊ ….?
अब रहा बीच बाज़ार में खटमल का काटना सो हम सोचतें हैं “खटमल निकालने जाने कित्ते खड़े रहतें हैं कुछ तो साथ साथ ही चलते रहते हैं इस में गाने की क्या बात है”
एक मजेदार पोस्ट के लिए आभार का ट्रक किधर भेजना है भैया जी
अंत में पूरी गंभीरता से
“सादर-अ भि वा द न “
“शास्त्रीजी तलाक रोकने की बात करते हैं । उनका तलाक करवाने वाले एक वकील से शायद ’ टाई अप’ है।”
अरे भईया, आपने असल मामला ताड लिया, हमने रोका भी नहीं. लेकिन इसे पब्लिक में कहके क्यों हमारा “टाईअप” का नुक्सान करवाते हो!! कल को आपके सारे टाईअप के बारे में हम भी लिक्खना शुरू कर देंगे!!!
सस्नेह — शास्त्री
अरे भईया, आपने असल मामला ताड लिया, हमने रोका भी नहीं. लेकिन इसे पब्लिक में कहके क्यों हमारा “टाईअप” का नुक्सान करवाते हो!! कल को आपके सारे टाईअप के बारे में हम भी लिक्खना शुरू कर देंगे!!!
सस्नेह — शास्त्री
[...] जिसे हम गाकर भी पढ़ सकते हैं। यह तो आपको बता ही चुके हैं कि हमारी आवाज किसी से कम खराब नहीं। [...]
- @ समीरलालजी, आप हैं ही तारीफ़ करने लायक। बाकी आप कित्ता भी कहो हम गाकर तो न पढ़ेंगे। वह इसलिये कि हम अपने पाठकों का भला चाहते हैं। झूठी वाह-वाही के लिये उनका जीवन खतरे में नहीं डाल सकते। यह काम आप ही कर सकते हो।
- @ भुवनेश, फ़िर बांच लो। आगे लैला वाली पोस्ट भी बांच लो।
- @ श्याम जी, पसंद करने के लिये शुक्रिया।
- @ गिरीश बिल्लोरे मुकुल, आपकी टिप्पनी ही हमारे लिये ट्रेन है। पसंद करने का शुक्रिया। वैसे बायें हाथ से जो काम किये जाते हैं वे अगर बंद हो जायें तो बड़े-बड़े निपट जाते हैं।
- @ शास्त्रीजी, हम तो और भी बहुत कुछ ताड़े रखे हैं। बस बताते नहीं सोचते हैं क्या फ़ायदा बताने से?
[...] मधुर गायन के बारे में टिपियाते हुये एक बार लिखा- वे (समीरलाल)हमसे बहुत जलते हैं कि [...]
आप इंजिनियर काहे हुए? लिखने का फुल टाइम जॉब करना शुरू करिए. वैसे
हम ये नहीं समझे की आप श्री ज्ञान दत्त पाण्डेय जी की मौज ले रहे थे या महा
मौज?
कविता नहीं बम – ब्लास्ट बोलिए !!!! हंस हंस के पगले गए !!!! हद्द है!!!!
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..प्यार, इश्क, मोहब्बत और लफड़े…
देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..प्यार, इश्क, मोहब्बत और लफड़े…
[...] बीच बजरिया खटमल काटे [...]
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नाक में उंगली करने की आदत पुरानी है भइया आपकी! स्कूल के जमाने से ऐसे हैं आप?
हँस हँस के बुरा हाल हो गया. ये छोटी सी टिपण्णी इसलिए कि अभी हम हंसने में मशगूल हैं. दोपहर को डिटेल में टिपण्णी देंगे.
सुतली बम से जा मिली, फ़ट से हुआ धड़ाम।
कुसंग का ज्वर भयानक होता है!
अभी तो हंस रहे हैं ! इतने गजब के आईडिया आप लाते कहाँ से हैं ? इस पर एक पोस्ट लिखने की दरख्वास्त है आपसे ! आपकी ऊपर की ३ लाईनों में ही व्यंग और शिक्षा का गजब का समन्वय है ! बहुत धन्यवाद !
देखिये हम समझदार न होते हुए भी समझदारों का पक्ष ले रहे हैं और आपसे सवाल पूछ रहे हैं. यहाँ भी वही मामला है. आप हमें नासमझ समझते रहे और हम अपनी गिनती समझदारों में करवाने पर उतारू हैं. खैर, ऐसा तो परसाई जी के दिनों से चला आ रहा है और आज आलोक पुराणिक जी के दिनों तक चल रहा है. कल विवेक सिंह के दिनों तक यही चलेगा.
पूरी कविता में नज़र आ रहा है, पूरी पोस्ट पर छाया हुआ है.
ये खटमल कहां का है, इसका कुछ इलाज करना पड़ेगा…:)
- खटमल और नायिकाओं की उलझन का जवाब नहीं… इससे अच्छा कारण नहीं हो सकता
- पोस्ट कहाँ से चालु होकर कहाँ गई … बस हर लाइन में मजा आया !
ई बात सही है कि राखी सावंत खटमल के खातिर चोली को फाड़े रही। वैसे तो हमेशा इ छोकरिया है ना जो राखी सावंत, चोली को ठीक ढंग से चैक करके, वैन मे प्रोडयूसर के सामने पहन के, तसल्ली से ’हैलो टेस्टिंग’ करवा कर ही चोली पहनती थी। खटमल ढूंढने का काम प्रोडयूसर का होता था। इस बार प्रोडयूसर कंही दूसरी जगह ’हैलो टेस्टिंग’ मे व्यस्त था, इसलिए राखी बुरा मान गयी, बोली अब तो ब्लाउज/चोली फाड़ के रहेंगे। लेकिन तकलीफ इ रही तो पहने पहने फाड़ती तो सही था। बिना पहने फाड़ी इसलिए लोग बमक गए।
पर थ्योरी दमदार है।
नासमझी से समझा गये समझ के सारे बीज
regards
अब आपने लिखा है, तो अवश्य ही अच्छा लिखा होगा
सो, अभी तो अंतरिम राहत के तौर पर वाह वाह… वाह वाह ले लेयो
अपनी चमरई में अभी व्यस्त हैं, समय निकाल कर ज़रूर पढ़ेंगे, जी
फ़ुरसतिया पोस्ट बिना फ़ुरसत के नहीं न पढ़नी चाहिये
बिना पढ़े हम टिप्पणी देते कोनी !
लिव इन रिलेशनशिप !
क्या बात है
आनन्दम
आनन्द