Thursday, October 16, 2008

बीच बजरिया खटमल काटे

http://web.archive.org/web/20140419213341/http://hindini.com/fursatiya/archives/542

43 responses to “बीच बजरिया खटमल काटे”

  1. anil pusadkar
    कविता बम फ़ोड्कर आपने हमे घायल कर दिया। इसको पूरा पढने का जब मुआवजा बांटने की इच्छा हो तो हमको भी याद कर लेना भैय्या,बडा भारी बम फ़ोडा है,घायल होने मे भी आणंद आ गया।
  2. gagansharma09
    आप तो सदा ही खूब-हें-खूब होते हैं।
  3. Lovely
    यही बाजारवाद है..
  4. Shiv Kumar Mishra
    “थाना बजरिया के पास एक सुरसा की मूर्ति थी। मुंह बाये खड़े रहती थी। अब भी है। हम जब स्कूल से आते भाग के उसकी नाक में ऊंगली करते और घर चले आते।”
    नाक में उंगली करने की आदत पुरानी है भइया आपकी! स्कूल के जमाने से ऐसे हैं आप?
    हँस हँस के बुरा हाल हो गया. ये छोटी सी टिपण्णी इसलिए कि अभी हम हंसने में मशगूल हैं. दोपहर को डिटेल में टिपण्णी देंगे.
  5. Dr.Arvind Mishra
    धन्य हैं आप ! मैं भी कविता पढ़ धन्य हुआ ! सामीर के स्वर और ज्ञान की कूड़ेदानी का यथार्थ भी अच्छा बांचा आपने .सहमत !
  6. VIVEK SINGH
    सुबह सवेरे ही मौज ले ली .मजा आगया .
  7. ताऊ रामपुरिया
    बांधना सुतली का काम है, फ़टना बम का काम,
    सुतली बम से जा मिली, फ़ट से हुआ धड़ाम।
    कुसंग का ज्वर भयानक होता है!
    अभी तो हंस रहे हैं ! इतने गजब के आईडिया आप लाते कहाँ से हैं ? इस पर एक पोस्ट लिखने की दरख्वास्त है आपसे ! आपकी ऊपर की ३ लाईनों में ही व्यंग और शिक्षा का गजब का समन्वय है ! बहुत धन्यवाद !
  8. सतीश सक्सेना
    कहाँ से शुरू किया और कहाँ ख़तम किया ? महाराज कभी गंभीर भी हुआ करो हर समय ही ही थी थी ठीक नहीं होती ! आप को पढने समझदार लोग भी आते हैं …इत्ती सी बात समझ में नही आती ….
  9. अनूप भार्गव
    धन्य हैं आप । अल्पवस्त्र संतोषी नायिकाओं की दुविधा और पीड़ा के मर्म तक पहुँचने के लिये आप जैसी अन्तरदृष्टी ही चाहिये थी ….
  10. स्वप्निल 'समझदार'
    आपको समझ कब आएगी कि समझदार लोग भी आते हैं आपको पढ़ने. समझदारी की बात कब करेंगे आप, ये हमारी समझ में नहीं आता. आएगा भी कैसे? हम समझदार जो नहीं हैं. आप ब्लागिंग से दुनियाँ बदलने का बीड़ा काहे नहीं उठाते? बदलने का बीड़ा उठाने का बखत आता है तो आप पान का बीड़ा उठा लेते हैं. पान खाकर कलट्टरगंज तक झाड़ते चले जाते हैं.
    देखिये हम समझदार न होते हुए भी समझदारों का पक्ष ले रहे हैं और आपसे सवाल पूछ रहे हैं. यहाँ भी वही मामला है. आप हमें नासमझ समझते रहे और हम अपनी गिनती समझदारों में करवाने पर उतारू हैं. खैर, ऐसा तो परसाई जी के दिनों से चला आ रहा है और आज आलोक पुराणिक जी के दिनों तक चल रहा है. कल विवेक सिंह के दिनों तक यही चलेगा.
  11. संजय बेंगाणी
    स्माइली न होता तो कैसे खिंचाई करते? :)
  12. अजित वडनेरकर
    वाक़ई पोएटिक जस्टिस से ही काम लिया है आपने ।
    पूरी कविता में नज़र आ रहा है, पूरी पोस्ट पर छाया हुआ है.
  13. कुश
    ये ख़टमल तो साला ब्लॉगर प्रजाति का लगता है.. बीच बाज़ार धोती खुलवा दे चोली क्या चीज़ है..
  14. anitakumar
    ज्ञानजी के लिये भाभीजी कूड़ा से कविता तलाश के देती हैं (तब भी वो दूसरे आसमान के लिये हुड़कते हैं )हमारे यहां हाल यह है कि हम जिसको भी काम की चीज समझते हैं वो कूड़ेदान में भेज दी जाती है। वो तो कहो घरों में बड़े साइज के कूड़ादानों का रिवाज नहीं वर्ना यह पोस्ट हम कूड़ेदान से लिख रहे होते।….:)अब आप खुद ही सब कह रहे हैं तो हम क्या कहें।
    ये खटमल कहां का है, इसका कुछ इलाज करना पड़ेगा…:)
  15. Abhishek Ojha
    - चिटठा चर्चा का बड़ा गहरा असर दिख रहा है !
    - खटमल और नायिकाओं की उलझन का जवाब नहीं… इससे अच्छा कारण नहीं हो सकता :-)
    - पोस्ट कहाँ से चालु होकर कहाँ गई … बस हर लाइन में मजा आया !
  16. ranjana singh
    हंस हंस कर बुरा हाल हो गया.हर वाक्य एक हँसी बम,दिमाग पर उतरा और फट गया. लाजवाब व्यंग्य है……
  17. ह्म्म! जीतू ही है जी
    सही है! जमाए हुए हो चकाचक। हम तुमको सुनाते है, असल मसला:
    ई बात सही है कि राखी सावंत खटमल के खातिर चोली को फाड़े रही। वैसे तो हमेशा इ छोकरिया है ना जो राखी सावंत, चोली को ठीक ढंग से चैक करके, वैन मे प्रोडयूसर के सामने पहन के, तसल्ली से ’हैलो टेस्टिंग’ करवा कर ही चोली पहनती थी। खटमल ढूंढने का काम प्रोडयूसर का होता था। इस बार प्रोडयूसर कंही दूसरी जगह ’हैलो टेस्टिंग’ मे व्यस्त था, इसलिए राखी बुरा मान गयी, बोली अब तो ब्लाउज/चोली फाड़ के रहेंगे। लेकिन तकलीफ इ रही तो पहने पहने फाड़ती तो सही था। बिना पहने फाड़ी इसलिए लोग बमक गए।
  18. Pramendra Pratap Singh
    खूब अच्छा हस्य वर्णन किया है मजा आ गया, फिर आयेगे :)
  19. मसिजीवी
    अब बख्शिए राखी सावंत को,
    पर थ्‍योरी दमदार है।
  20. दीपक
    जब फ़ुरसतिया खींचे टांग तब ब्लागर सारे चित्त
    नासमझी से समझा गये समझ के सारे बीज
  21. seema gupta
    ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha nothing more to say ha ha…
    regards
  22. alok puranik
    राखीजी की जय हो। बड़े बड़ों की नजर राखीजी पर है। ग्रेट, जमाये रहिये। क्या केने क्या केने, राखीजी के।
  23. ज्ञानदत्त पाण्डेय
    अब हम क्या कहें; हम तो समझदार ब्लॉगर असोसियेशन के आनेररी सदस्य हैं! :-)
  24. Tarun
    bari jabardast sutli maror kavita thaile hain,
  25. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    बड़ा जबरदस्त ठेला है जी…। मौजा ही मौजा :)
  26. डा.अमर कुमार
    हम अभी पूरी पोस्ट पढ़बे नहीं किये…
    अब आपने लिखा है, तो अवश्य ही अच्छा लिखा होगा
    सो, अभी तो अंतरिम राहत के तौर पर वाह वाह… वाह वाह ले लेयो
    अपनी चमरई में अभी व्यस्त हैं, समय निकाल कर ज़रूर पढ़ेंगे, जी
    फ़ुरसतिया पोस्ट बिना फ़ुरसत के नहीं न पढ़नी चाहिये
    बिना पढ़े हम टिप्पणी देते कोनी !

  27. Dr .Anurag
    सा काट गया की पूछिए नही…..एंटी डॉट भी पता नही काम करेगा या नही…..इस खटमल में बहुत जान है शुक्ल जी
  28. डा. अमर कुमार
    चाँद और चाँदनी..
    लिव इन रिलेशनशिप !
    क्या बात है
    आनन्दम
    आनन्द

  29. rajni bhargava
    आपकी कविता बहुत अच्छी लगी विशेषकर आखिरी पंक्तिंया। आपका व्यंग.. लिखने का अंदाज़ ही अलग है।
  30. @ डा.अमर कुमार, आप ये अच्छा किये कि इसको पढ़के तारीफ़ किये। आपका ही फ़ायदा है। जो लोग बिना पढ़े तारीफ़ करते हैं हम उनसे इसी पोस्ट पर पांच-पांच बार वाह-वाह करवा लेते ! :)
  31. @ डा.अनुराग, शुक्रिया। वैसे कनपुरिया खटमल बहुत जानदार होता है।
  32. @ रजनी भार्गव, पढ़ने, सराहने का शुक्रिया। हमारा अंदाज कुछ ऐसा ही है क्या करें? :)
  • समीर लाल
    आप इतना बढ़िया कविता लिखते हैं, कभी गाकर सुनाईये न!! बड़ा मन करता है. बड़ी देर से आया..जाने कैसे चूक गया था अपनी तारीफ पढ़ने से. हा हा!! :)
  • bhuvnesh
    वाह……बहुत दिनों बाद टिपिकल फुरसतिया पोस्‍ट बांची
    मन प्रसन्‍न हो गया जी :)
  • समीर लाल
    गाकर सुनाईये न!!
  • shyam kori uday
    दम-खम/बजनदार/प्रभावशाली अभिव्यक्ति है।
  • GIRISH BILLORE MUKUL
    ………………………………….”जित्ता बेसुरा वो मेहनत करके पसीना बहाकर गा पाते है उत्ता तो हम बायें हाथ से गा देते हैं। पूरा जोर लगा दें तो प्रलय हो जाये! इसीलिये लगाते नहीं। ”
    पहली बार जाना कि हाथ से वो भी बाँए हाथ से गाया जा सकता है…?
    सब कुछ सम्भव है जब राखी के ब्लाउज फाड़ने की ख़बर तक जुगाड़ ली
    तो बाँए हाथ से गाना कौन सी बड़ी बात है ? हैना ताऊ ….?
    अब रहा बीच बाज़ार में खटमल का काटना सो हम सोचतें हैं “खटमल निकालने जाने कित्ते खड़े रहतें हैं कुछ तो साथ साथ ही चलते रहते हैं इस में गाने की क्या बात है”
    एक मजेदार पोस्ट के लिए आभार का ट्रक किधर भेजना है भैया जी
    अंत में पूरी गंभीरता से
    “सादर-अ भि वा द न “
  • शास्त्री जे सी फिलिप्
    “शास्त्रीजी तलाक रोकने की बात करते हैं । उनका तलाक करवाने वाले एक वकील से शायद ’ टाई अप’ है।”
    अरे भईया, आपने असल मामला ताड लिया, हमने रोका भी नहीं. लेकिन इसे पब्लिक में कहके क्यों हमारा “टाईअप” का नुक्सान करवाते हो!! कल को आपके सारे टाईअप के बारे में हम भी लिक्खना शुरू कर देंगे!!!
    सस्नेह — शास्त्री
  • कोई पत्थर से न मारे मेरे दीवाने को
    [...] जिसे हम गाकर भी पढ़ सकते हैं। यह तो आपको बता ही चुके हैं कि हमारी आवाज किसी से कम खराब नहीं। [...]
  • अनूप शुक्ल, दम्भ और अभिमान और मौज की लक्ष्मण रेखा
    [...] मधुर गायन के बारे में टिपियाते हुये एक बार लिखा- वे (समीरलाल)हमसे बहुत जलते हैं कि [...]
  • Rajesh Srivastava
    आप इंजिनियर काहे हुए? लिखने का फुल टाइम जॉब करना शुरू करिए. वैसे हम ये नहीं समझे की आप श्री ज्ञान दत्त पाण्डेय जी की मौज ले रहे थे या महा मौज?
  • देवांशु निगम
    कविता नहीं बम – ब्लास्ट बोलिए !!!! हंस हंस के पगले गए !!!! हद्द है!!!! :) :) :)
    देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..प्यार, इश्क, मोहब्बत और लफड़े…
  • फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] बीच बजरिया खटमल काटे [...]
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