Thursday, January 08, 2009

हादसे राह भूल जायेंगे

http://web.archive.org/web/20140331072547/http://hindini.com/fursatiya/archives/565

35 responses to “हादसे राह भूल जायेंगे”

  1. विवेक सिंह
    टिप्पणी कविता में :
    पहले तो ठण्ड छूटने की बधाई स्वीकारें .
    अब पढते हैं .
    कमियाँ निकालकर पुन:
    छींटाकशी करेंगे . :)
  2. प्रवीण त्रिवेदी-प्राइमरी का मास्टर
    समीरलाल समधी बन गये। अब उनके ब्लाग के पाठक और बढ़ गये
    ब्लाग के पाठक बढ़ने का नया तरीका!!!!
    बहरहाल नया साल आपको भी मुबारक!!!
  3. अशोक पाण्‍डेय
    ”मैं अपना सब गम भुला तो दूं ,
    कोई अपना मुझे कहे तो सही
    हादसे राह भूल जायेंगे,
    कोई मेरे साथ चले तो सही।”
    बहुत खूब।
    पिछले साल आपने जो खोया उसकी भरपाई तो नहीं हो सकती..लेकिन नए साल पर ईश्‍वर से प्रार्थना है कि असमय ऐसा किसी के साथ न हो। पूरा जीवन जिए बिना अपनों से बिछुडना तमाम उम्र सालता रहता है।
  4. Tarun
    चलिये हम तो यही कहेंगे रजाई से निकलकर बुद्धु ब्लोग में आये ;)
  5. विवेक सिंह
    लिंक पर जाकर आपके भाई साहब के बारे में पढा . आंखे भर आईं हैं . मैंने पिछले दिनों में कई बार ताना दिया न लिखने का . मुझे क्या मालूम था कि आप भाई की याद में खोए हैं . अनजाने में आपको कष्ट दिया . माफी चाहता हूँ .
    रुलाई आगई पढते पढते . कल ही 9 जनवरी है . आपके परिवार को ईश्वर शक्ति दे . और भाई की सीख भी याद रहे : दम बनी रहे घर चूता है तो चूने दो !
  6. दिनेशराय द्विवेदी
    ब्लागिंग की दुनिया में तमाम अनुभव रहे। मजेदार ही रहे मेरे लिये तो। खराब कोई नहीं रहा। लेकिन मुझे कुल मिलाकर ऐसा ही लगा कि यह अभिव्यक्ति का माध्यम है और जित्ती बुराइयों की बात लोग कहते हैं उससे कहीं अधिक अच्छाइयां हैं इसमें। अब यह इसका प्रयोग करने वाले पर निर्भर है कि कैसे इसे लेता है।
    आप ने नब्ज पकड़ ली भाईजान। दुनिया यहीं से शुरू होती है।
  7. जीतू
    चलो अच्छा हुआ जो तुम लौट आए। हमको तो उड़ती उड़ती अफवाह मिली थी कि जबलपुर के धुंआधार (ऊपर के चित्र वाला) पर बैठे तुमने समीर लाल की कविता की आलोचना कर दी, बस फिर क्या था, समीर लाल ने फूंक मारी और फुरसतिया ये गए और वो गए।
    खैर अब आ ही गए हो तो लिखे बिना तो मानोगे नही, इसलिए लिखो धुंआधार, बाकी तारीफ़ के लिए हम है ना!
    फुरसतिया को परिवार सहित नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। ईश्वर करे फुरसतिया ऐसे ही लिखते रहे और हिन्दी चिट्ठा जगत की शान बने रहे।
    जरुरी बात :अगली बार जबलपुर जैसे रिस्की दौरे के पहले इंश्यूरेंस प्रीमियम जरुर भरें।
  8. कुश
    स्वागत टिपियायी करते हुये कहें- कृपया अपने ब्लाग वर्ड वेरीफ़िकेशन हटा लें। इसमें भी गलती हो सकती है और लिख सकते हैं- कृपया अपना ब्लाग हटा लें।
    इन दो लाइनो के लिए 100 नंबर..
    जीवन है चलने का नाम.. फिर आपने इतने लफडो टन्टो में भी एक साल गुजार लिया.. सरकार फालतू में खड्डे में फँसे लोगो को बाहर निकालने वालो को बहादुरी पुरस्कार देती है.. यहा हमारे जैसे लोग “खड्ड ओ” में पड़े पड़े ज़िंदगी गुजार देते है.. साला हमे कोई पुरस्कार नही..
    हम अभी चलते है.. ढूँदने कोई ऐसे समधी मिल जाए जो इस तरह क़ी संधि हमसे भी कर ले.. अभी दसविदानिया कहकर निकल लेते है हम..
  9. समीर लाल
    ठहर के आये मगर जबरदस्त आये. पोस्ट जैसे जैसे परवान चढ़ी, वैसे वैसे बहा ले गई. बहुत सुन्दर नये वर्ष की पहली पोस्ट. अनेकानेक बधाईयाँ और नव वर्ष के लिए मंगलकामनाऐं.
    सामने बैठे होते तो मंगल गीत गाकर सुनाते आपको पूरे सुर में. :)
  10. seema gupta
    मैं अपना सब गम भुला तो दूं ,
    कोई अपना मुझे कहे तो सही
    हादसे राह भूल जायेंगे,
    कोई मेरे साथ चले तो सही।
    ” वाह क्या बात कही है, चलिए जाने वाला साल तो चला ही गया , अब नये साल की शुरुआत नये नये गानों के साथ कीजिये …. आयेगा आयेगा …आयेगा आने वाला आयेगा हा हा हा हा , आपको भी नव वर्ष की शुभकामनाये ”
    Regards
  11. Sanjeev Kumar Sinha
    गत साल को शानदार तरीके से याद किया है आपने।
  12. Gyan Dutt Pandey
    अच्छी पोस्ट।
    बाकी, नया साल रहा कहां – आते ही हमारे लिये चौपट हो गया। अभी तक अपने को घायल की तरह सहला रहे हैं!
    आपको नव वर्ष मन्गलमय हो।
  13. mamta
    नया साल आपको और आपके परिवार को मुबारक हों ।
  14. ताऊ रामपुरिया
    आपने तो नये साल मे आते ही सिक्सर मार दिया जी. लाजवाब चुटिला फ़ुरसतिया स्टाईल की पोस्ट मे आनन्द आगया. और पोस्ट के आखिर मे मामाजी का शेर
    “जब मुसीबत पड़े और भारी पड़े,
    तो कोई तो एक चश्मेतर चाहिये।”
    लाजवाब रहा. बहुत शुभकामनाएं.
    रामराम.
  15. डा. अमर कुमार

    यहाँ मेरा नाम पता वेबएड्रेस पहले से ही कैसे भरा है, जी ?
    टिप्पणी कुछ ठहर कर करूँगा..
    इंतेज़ार के बाकी दो दिनों में भी आरज़ू है, कि..
    ….कोई अपना मुझे कहे तो सही !

  16. irshad
    आप भी इस ब्लॉगिंग की दुनिया के गुरूजी हो, और बड़े वाले गुरूजी। पता नहीं कैसे सरकारी नौकरी में फंस गएं आप। रंगकर्मी, समीक्षक, अदाकार (व्यंगकार तो अब आप हुए ही जा रहे हो), चित्रकार या अन्य कला सर्जक होना था। भाषा पर पकड़ चूटीली और सुक्ष्म है, और बात कहने का लहजा आत्मिया से भरा हुआ, मानो सारा ब्लॉगजगत परिवार नजर आता हो। वैसे मेरी लिस्ट में आप भी शुरू से हो, लेकिन देखते है कब नम्बर आता है। पहली दफा आपकी पोस्ट पर टिपीयाय है, वैसे आपको पढ़ा खूब है। नव वर्ष की थोड़ी लेट ही सही लेकिन बहुत-बहुत मुबारकबाद और अनोखे लेखन के लिए बधाई।
    इरशाद
  17. गौतम राजरिशी
    वही तो मैं कहूं कि अनूप जी कहाँ गुम हो गये हैं…नया साल बहुत-बहुत मुबारक हो आपको
    और क्षणांश के लिये आकर मेरे चंद अदने से शेरों पर आपका यूं अदा से “सुंदर” बोल कर जाना वाकईए सुंदर लगा…
    कुछ आडियो लिंक-विंक डाल कर ये तमाम गाने गुनगुना ही डालते तो मजा आ जाता
  18. Abhishek Ojha
    बढ़िया जी ! बीते साल को यादों के फोल्डर में छोडिये अब नए साल में पोस्ट ठेलिए. नया साल मुबारक !
  19. mahendra mishra
    आपको नव वर्ष की शुभकामनाये…
  20. Shiv Kumar Mishra
    कुश ने दो-तीन लाइन के लिए १०० नंबर दिए. आज वे सबको नंबर दे रहे हैं. नंबरों के इस खेल में हम दो सौ नंबर पर हैं. विवेक तो पहले ही १०० नंबर पा चुके हैं. आपको दो लाइनों के १०० नंबर मिले हैं.
    पूरी पोस्ट शानदार है. मेरे पास जो नंबर हैं उन्हें मैं आपको नहीं दूँगा. फिर आप कहेंगे कि कुश से पूरे ९९ नंबर कम हैं.
  21. Arvind Mishra
    हादसे राह भूल जायेंगे,
    कोई मेरे साथ चले तो सही।
    जी बिल्कुल ! नया वर्ष आपको मंगलमय हो !
  22. कविता वाचक्नवी
    बीती ताही कितनी भी बिसारना चाहें बिसरती कहाँ है! हर साल कुछ दु:ख, कुछ सुख। यही क्रम।
    बस,
    सभी वर्ष मंगल दायी हों।
  23. anitakumar
    पिछला साल था ही ऐसा जो कइयों को गमगीन कर गया। हमें आप की भाई के जाने के बाद लिखी पोस्ट याद है, आज भी आप का दु:ख दिल को छू रहा है। भगवान से प्रार्थना है कि आप का और हम सब का ये नया साल अच्छा गुजरे।
    नव वर्ष की शुभकामनाएं।
    समीर जी का ‘सुर’ में गाया हुआ मंगल गीत हमें भी सुनवाइएगा लेकिन इस तुफ़ानी झरने के पास बैठ कर सुनेगें क्या?…॥:) इरशाद की बातों से हम भी सहमत्…।:)
  24. राज भाटिया
    नये साल में तमाम लोग तमाम वायदे करते हैं अपने से। इस साल ये करेंगे , वो करेंगे। कोई बोला बेहतर मनुष्य बनेंगे। अब बताओ कैसे हम ये कहें। जिस रास्ते जाना नहीं उसके कोस गिनने का क्या फ़ायदा? हम जैसे हैं वैसे ही नहीं रह पा रहे हैं, बेहतरी कहां से लायेंगे।
    आप की इन लाईनो को पढ कर मुझे भी अपना वादा याद आ गया, मेने बीबी से वादा किया था कि…. अगले साल यह मुई ब्लागिंग छोड दुगां, सभी ठीक बारह बजे एक दुसरे को बधाई दे रहे थे नये साल की ओर बीबी हमे बधाई दे रही की की ब्लागिंग छूट गई,तो हमने अपना वादा दोहराया हा जी क्यो नही अगले साल…..
    आप के भाई का पढ कर बहुत दूख हुया,भगवान उन्हे अपने चरणो मै जगह दे.
    धन्यवाद
  25. लावण्या
    नव वर्ष नव हर्ष नव उत्कर्ष लेकर आये और आपका लेख्न निर्बाध गति से यूँ ही चलता रहे यही सद्` आशा है नव वर्ष नव हर्ष नव उत्कर्ष लेकर आये और आपका लेख्न निर्बाध गति से यूँ ही चलता रहे यही सद्` आशा है – लावण्या
  26. नितिन
    नव वर्ष की शुभकामनायें!
  27. amit
    सोचा गाया जाये- अभी न जाओ छोड़ के कि दिल अभी भरा नहीं। लेकिन पुराने साल ने इसको भी भाव नहीं दिया। बोला साल भर इधर-उधर फ़ुट्ट-फ़ैरी करते रहे और अब आये हो नाटक करने।
    ब्लॉगिंग का नाम नहीं लिया यही शुक्र मनाईये!! ;)
    वैसे आप पुराने गाने गाते रहे इसलिए वह न माना, कुछ नया ओरिजिनल गाते तो कदाचित्‌ मान भी जाता! :) :P
  28. Ravi
    aapko shubhkaamnayen
  29. बवाल
    जनाब फ़ुरसतिया साहब,
    तमाम लेख पढा़ आपका और लिंक पर जाकर तो हम भी रो दिए गुरुजी. बड़े भाई बवाली के बारे जो आप कह रहे थे कि साल गया बवाल गया. अजब इत्तेफ़ाक देखिए कि उसी साल के अन्त २५ दिसम्बर को लाल साहब के यहाँ आपको मैं मिला. याने बवाल से बवाल तक. बड़े भाई के खोने का दर्द बहुत कम लोग समझते हैं. वाक़ई उनका दर्जा बाप के बराबर सही ही कहा गया है. मैंने भी इसी साल अपने बड़े फ़ुफ़ेरे भाई साहब को खो दिया और उनका स्नेह मुझ पर ठीक वैसा ही था जैसा आप पर आपके भाई साहब का था.
    हमारे प्यारे धूँआधार जलप्रपात का चित्र सुन्दर लग रहा है. हम तो कभी भी दर्शन कर ही लेते है माँ नर्मदा के इस प्रपात पर मगर काश सभी लोग ऐसा कर पाते.
  30. sciblogindia
    आपको शरम नहीं आती हिंदी के ब्लागर होते हुये भी अंग्रेजी में गाली देते हैं। अपनी भाषा को इत्ता कमजोर समझते हैं। जबकि आपको अच्छी तरह पता है कि गिनती, गाली और गन्दा लतीफ़ा अपनी मादरी जबान में ही मजा देता है। .
    सही फरमाते हैं आप।
  31. santhosh
    मे ये जान ना चाहता हू की हिन्दी मे टाइप करनेकेलिए आप कौनसी टूल यूज़ करते हे / रीसेंट्ली मे एक यूज़र फ्रेंड्ली इंडियन लॅंग्वेज टाइपिंग टूल केलिय सर्च कर रहा ता, तो मूज़े मिला ” क्विलपॅड ” / आप भी इसीका इस्तीमाल करते हे क्या ?
    सुना हे की “क्विलपॅड “, गूगलेस भी अच्छी टाइपिंग टूल हे ? इसमे तो 9 इंडियन भाषा और रिच टेक्स्ट एडिटर भी हे / क्या मूज़े ये बताएँगे की इन दोनो मे कौनसी हे यूज़र फ्रेंड्ली….?
  32. jyotisingh
    मैं अपना सब गम भुला तो दूं ,
    कोई अपना मुझे कहे तो सही
    हादसे राह भूल जायेंगे,
    कोई मेरे साथ चले तो सही।
    kya baat hai rachna ke saath judi hui beech beech me in chhoti chhoti panktiyon ki ,char chand lag gaye yahan to aur padhne ka ek alag aanand bhi mila ,
  33. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176
    [...] हादसे राह भूल जायेंगे [...]
  34. Berlynn
    Articles like this really garsee the shafts of knowledge.
  35. रचना त्रिपाठी
    नये साल की ढेर सारी शुभकामनाएं!
    रचना त्रिपाठी की हालिया प्रविष्टी..हिन्दी पर शरमाते भारतवासी

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