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…तुम मेरे जीवन का उजास हो
By फ़ुरसतिया on August 11, 2010
तुम मेरे जीवन का उजास हो!
न जाने कब मेरे मन आयी होगी
पहली बार यह बात
लेकिन अब इसे मैं
फ़िर फ़िर दोहराता हूं
सोचता हूं फ़िर दोहराता हूं।
सच तो यह है
कि मुझे पता भी नहीं
ठीक-ठीक मतलब उजास का
लेकिन कुछ-कुछ ऐसा लगता है
कि इसका मतलब होता है रोशनी
जिसमें सब कुछ दिखता है उजला-उजला सा
तुम्हारी मुस्कान में धुला-धुला सा।
अगर कोई पूछे
तो शायद बता भी न पाऊं ठीक-ठीक
कि कैसा होता है जीवन का उजास
हां यह जरूर लगता है कि यह है
बस एक खुशनुमा सा एहसास
जिसमें न रोशनी में चौंधियाती हैं आंखें
और न किसी अंधेरे में उड़ते हैं होशो हवास।
मैं यह नहीं कहता
-सच तो यह है कि मैं यह कहना भी नहीं चाहता
कि तुम सबसे सुन्दर
सबसे अच्छी हो इस दुनिया में
या तुम जैसा भला-प्यारा
और कोई नहीं इस सारी दुनिया में।
क्योंकि ऐसा सोचना तुमसे बिछुड़कर
पूरी दुनिया में बेमतलब भटकने जैसा है
दुनिया भर की सुन्दरता में कुश्ती कराने जैसा
जिसमें सिवाय बदसूरती के कोई नहीं जीतता।
जितनी भी यादे हैं हमारे साथ की
वे बस पहले और पहले
या उसके भी और पहले की हैं
या फ़िर पहले के थोड़ा बाद की
या फ़िर बाद वाली से कुछ पहले की।
ऐसा कुछ याद नहीं मुझे
जिसे दोहराते हुये मैं कह सकूं
ये तो भला हुआ हमारे साथ
लेकिन वो हुआ कुछ कम भला
जो समय बीत गया
लगता है सब भला-भला सा
तुम्हारी मुस्कान में धुला-धुला सा।
पहले, बहुत पहले कभी डरता था
तुमसे बिछुड़ जाने के एहसास से
अर्सा हुआ ऐसी कोई बात सोचे हुये
अब तो हंसी आती है
कभी ऐसा सोचने की बात सोच-सोचकर।
लगता ही नहीं कभी अलग रहे
अनगिन दिन के अलगाव के बावजूद
हमेशा यही लगता रहा
कि तुम कहीं दूर नहीं
बस यहीं कहीं आसपास हो!
तुम मेरे जीवन का उजास हो!
न जाने कब मेरे मन आयी होगी
पहली बार यह बात
लेकिन अब इसे मैं
फ़िर फ़िर दोहराता हूं
सोचता हूं फ़िर दोहराता हूं।
सच तो यह है
कि मुझे पता भी नहीं
ठीक-ठीक मतलब उजास का
लेकिन कुछ-कुछ ऐसा लगता है
कि इसका मतलब होता है रोशनी
जिसमें सब कुछ दिखता है उजला-उजला सा
तुम्हारी मुस्कान में धुला-धुला सा।
अगर कोई पूछे
तो शायद बता भी न पाऊं ठीक-ठीक
कि कैसा होता है जीवन का उजास
हां यह जरूर लगता है कि यह है
बस एक खुशनुमा सा एहसास
जिसमें न रोशनी में चौंधियाती हैं आंखें
और न किसी अंधेरे में उड़ते हैं होशो हवास।
मैं यह नहीं कहता
-सच तो यह है कि मैं यह कहना भी नहीं चाहता
कि तुम सबसे सुन्दर
सबसे अच्छी हो इस दुनिया में
या तुम जैसा भला-प्यारा
और कोई नहीं इस सारी दुनिया में।
क्योंकि ऐसा सोचना तुमसे बिछुड़कर
पूरी दुनिया में बेमतलब भटकने जैसा है
दुनिया भर की सुन्दरता में कुश्ती कराने जैसा
जिसमें सिवाय बदसूरती के कोई नहीं जीतता।
जितनी भी यादे हैं हमारे साथ की
वे बस पहले और पहले
या उसके भी और पहले की हैं
या फ़िर पहले के थोड़ा बाद की
या फ़िर बाद वाली से कुछ पहले की।
ऐसा कुछ याद नहीं मुझे
जिसे दोहराते हुये मैं कह सकूं
ये तो भला हुआ हमारे साथ
लेकिन वो हुआ कुछ कम भला
जो समय बीत गया
लगता है सब भला-भला सा
तुम्हारी मुस्कान में धुला-धुला सा।
पहले, बहुत पहले कभी डरता था
तुमसे बिछुड़ जाने के एहसास से
अर्सा हुआ ऐसी कोई बात सोचे हुये
अब तो हंसी आती है
कभी ऐसा सोचने की बात सोच-सोचकर।
लगता ही नहीं कभी अलग रहे
अनगिन दिन के अलगाव के बावजूद
हमेशा यही लगता रहा
कि तुम कहीं दूर नहीं
बस यहीं कहीं आसपास हो!
तुम मेरे जीवन का उजास हो!
Posted in कविता | 37 Responses
यहीं हूँ बिना आवाज़ किये.. आप चालू रहिये
आज कानपुर में बारिश हो रही है क्या?
अत्यंत मनभावन कविता… बहुत, बहुत, बहुत पसंद आयी…
manoj kumar की हालिया प्रविष्टी..अरब न दरब झूठ का गौरब
“मैं यह नहीं कहता
-सच तो यह है कि मैं यह कहना भी नहीं चाहता
कि तुम सबसे सुन्दर
सबसे अच्छी हो इस दुनिया में
या तुम जैसा भला-प्यारा
और कोई नहीं इस सारी दुनिया में।
क्योंकि ऐसा सोचना तुमसे बिछुड़कर
पूरी दुनिया में बेमतलब भटकने जैसा है
दुनिया भर की सुन्दरता में कुश्ती कराने जैसा
जिसमें सिवाय बदसूरती के कोई नहीं जीतता।”
ईमानदारी से कही गई बात, जैसे केवल स्वगत कथन हो!!!!
खुशकिस्मत हैं आप जिन्हें सुमन जैसी साथी मिली, या सुमन जिन्हें आप जैसा साथी मिला….. या आप दोनों ही. सुमन जी की तस्वीर ने कविता में चार चांद लगा दिये हैं.
ऐसी ही सहज, सुकून देने वाली कविताएं रचते रहें.
वन्दना अवस्थी दुबे की हालिया प्रविष्टी..चिट्ठी न कोई संदेश
एक के बाद एक बढ़िया कविताएं पढ़ने को मिल रही हैं
लगता ही नहीं कभी अलग रहे
अनगिन दिन के अलगाव के बावजूद
हमेशा यही लगता रहा
कि तुम कहीं दूर नहीं
बस यहीं कहीं आसपास हो!
तुम मेरे जीवन का उजास
बहुत सुंदर भाव ! ज़िंदगी की ,जज़्बों की ,ख़्वाहिशात की जीत इस में नहीं कि कितना समय साथ में गुज़रा
बल्कि इस में है कि कैसा समय गुज़रा
सच्ची कविता!
इमानदार अभिव्यक्ति । मिलन , विरह , दुविधा – सभी क्षणों की ।
अनूप भार्गव की हालिया प्रविष्टी..एक ख़याल
गुरु जी आपने …आज का दिन बना दिया…. अंग्रेज़ी में बोलें तो… यू हैव मेड माय डे… आज की कविता बहुत पसंद आई…. बहुत सुंदर भाव हैं….
तुम मेरे जीवन का उजास हो!
यह पंक्ति ही अपने आप में कम्प्लीट है…. बहुत ही सुंदर पंक्ति है…
महफूज़ अली की हालिया प्रविष्टी..मैंने अपने खोने का विज्ञापन अखबार में दे दिया है- महफूज़
वैसे बड़ा भला लगा मन को…
dr.anurag की हालिया प्रविष्टी..सुन जिंदगी!! किसी-किसी रोज तेरी बहुत तलब लगती है
सीधे दिल के भाव उतार दिए हैं कागज़ पर !
[आज उनका जन्मदिन तो नहीं?]
‘मैं यह नहीं कहता
-सच तो यह है कि मैं यह कहना भी नहीं चाहता
कि तुम सबसे सुन्दर
सबसे अच्छी हो इस दुनिया में
या तुम जैसा भला-प्यारा
और कोई नहीं इस सारी दुनिया में।’
इस बात के लिए आप ने कविता में बड़ा ही अच्छा कारण दिया है..
इस नज़र से तो कभी’ तारीफ़ न करने का कारण’ सोचा भी नहीं था.
‘क्योंकि ऐसा सोचना तुमसे बिछुड़कर
पूरी दुनिया में बेमतलब भटकने जैसा है’
———बहुत खूब!—
–सुमन जी की मुस्कान बड़ी प्यारी है ..मम्मी -बेटे की बहुत ही प्यारी सी तस्वीर है.
Alpana की हालिया प्रविष्टी..आसमान पर चलना कैसा लगता है
Sanjeet Tripathi की हालिया प्रविष्टी..चोला-माटी के बहाने छत्तीसगढ़ी गीत की रॉयल्टी को लेकर उपजा विवाद
प्रेम की सहज सरल और तरल अनुभूति शब्दों की चूनर ओढ़े जब बाहर निकलती है, तो एकदम ऐसी ही मोहक दिखती है और अपने अप्रतिम सौंदर्य से अपने संपर्क में आने वाले हर मन में उजास भर देती है…
जोड़ी सलामत रहे आपकी…सदा सदा सदा…
रंजना. की हालिया प्रविष्टी..धन का सदुपयोग
padhe hamene pichli aur usse bhi pichli post, the
padh ke samjhne me itti jor lagani pari ki tip nahi diye the
tipta bhi to kya, ye samajh me nahi aa rahe the.
आपके जीवन का इ उजास बना रहे
और उनका लाली सलामत रहे.
आज त उम्र का नाजायज फ़ायदा उठाकर इ आसिरबाद टाइप का टिपण्णी त लगाइए सकते हैं…
इ प्रेम भाव बना रहे और चाँद त गोदी में देखाइये दे रहा है…
shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..थेम्ज क्रूज मेरी नजर से -
…ओस की एक बूंद.. से शुरूवात हुई थी तारीफ की..!
जब सुनते-सुनते श्रीमती जी बोर हो गईं, बताया कि ओस की वो बूंद सूख चुकी है तो विरह के गीत गाए जाने लगे.. वहाँ भी झिड़की..
…कविता भौतिकीय विचलन का शिकार है.गैलिलियो तक को पता था कि सूरज धरती के चारो तरफ नहीं घूमता.तुमफिर सूरज को क्यों घुमा रहे हो?
..सकपका कर कवि महोदय ने ..
घर घिरा है घरवालों से,
हम घिरे हैं पर बवालों से
..आदि-आदि ऊटपटांग रचना कर डाली..!
हम घबराकर लौट आए ….तुम मेरे जीवन का उदास हो.
मैने सोचा, अगली लाइन होगी..कभी खत्म न होने वाली प्यास हो..!
मगर नहीं…
कवि इस बार धीर-गंभीर हैं..
जितनी भी यादे हैं हमारे साथ की
वे बस पहले और पहले
या उसके भी और पहले की हैं
या फ़िर पहले के थोड़ा बाद की
या फ़िर बाद वाली से कुछ पहले की।
….वाह! वाकई जीवन का उजास इन्हीं के इर्द-गिर्द घूमता है.
..इन तारीफों के पुल से गुजरते वक्त एक और प्रश्न उठ गया दिमाग में..पाठकों से इसके उत्तर की अपेक्षा है..
..कि मंचीय हास्य व्यंग्य कवि (इनमें बड़े-बड़े नाम भी शामिल हैं) जहाँ पत्नी का उपहास करके प्रशंशा बटोरते थे वहीं ब्लॉगर बंधु पत्नी का उजास देखते हैं. पति तो दोनों हैं, दोनो व्यंग्यकार हैं मगर एक उपहास करने से नहीं डरता तो दूसरा सिर्फ प्रशंसा के सौ बहाने तलाशता है. इसके क्या कारण हो सकते हैं..?
बेचैन आत्मा की हालिया प्रविष्टी..आजादी के 63 साल बाद
पूरी दुनिया में बेमतलब भटकने जैसा है
दुनिया भर की सुन्दरता में कुश्ती कराने जैसा
जिसमें सिवाय बदसूरती के कोई नहीं जीतता..
— काव्यत्व के उत्कर्ष पर हैं ये पंक्तियाँ ! प्रेम में पनपती आश्वस्ति , आश्वस्ति से पनपता औदात्य , औदात्य से पनपता त्याग , और फिर काव्यत्व-व्यापकत्व ! प्रेम जगत का प्रेमी बनाता है , एक सार्थक विश्वदृष्टि निर्मित करता है !
कविता की सहजता आकर्षक है ! कविता के उत्तरार्ध से अंत तक जैसे चेहरे पर मंद-स्मिति खिलती जा रही हो ! सुन्दर ! आभार !
amrendra nath tripathi की हालिया प्रविष्टी..बजार के माहौल मा चेतना कै भरमब रमई काका कै कविता ध्वाखा
वो क्या है ना कि विवाह के इतने वर्षों पश्चात जब अचानक स्नेह का सोता फूटता दिखाई दे, वो भी लिंक एवं चित्रों द्वारा स्पष्ट हो कि पत्नी के ही लिये ही फूटा है तो ज़रा कलैंडर की तरफ ध्यान स्वयमेव चला जाता है।
वैसे हम जैसो को तो बस भाव से भरा कुछ हो कविता ही लगता है और कविता है तो बढ़िया ही लगता है। मगर अमरेंद्र जैसे आलोचक की प्रशंसा पा लेना स्वयं में बड़ी बात तो है ही….!!
ये टोटल मौज थी…! यहाँ आने पर आपैआप मौज लेने का माहौळ सा लगे लगता है। अतः कोई भी बात गंभीरता से ना ली जाये (कविता की प्रशंसा के अतिरिक्त )
ऐसे सेंटीयाने की तुलना सिर्फ नत्थूलाल की मूंछों से हो सकती है!
कुच्छ तो चक्कर है….
नीलकमल की हालिया प्रविष्टी..ये प्यार था या कुछ ओर था
http://kanpurbloggers.blogspot.com/
राहुल सिंह की हालिया प्रविष्टी..मर्दुमशुमारी
Kailash Varma की हालिया प्रविष्टी..My new blog!