फ़ुरसतिया
हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै
Sunday, August 12, 2012
बाबाजी सबेरे-सबेरे अपनी दुकान सजा रहे हैं
ये बाबाजी सबेरे-सबेरे अपनी दुकान सजा रहे हैं! जबलपुर रेलवे स्टेशन के बाहर!
पसंद
पसंद
·
·
सूचनाएँ बंद करें
·
साझा करें
·
संपादित करें
·
प्रचार करें
·
Sagar Nahar
,
Satendra Saxena
,
Amit Kumar Srivastava
और
5 अन्य
को यह पसंद है.
DrArvind Mishra
who is this blogger?
12 अगस्त 2012 पर 07:56 पूर्वाह्न
·
पसंद
अनूप शुक्ल
DrArvind Mishra
, ब्लॉगर टिपिया रहा है।
12 अगस्त 2012 पर 08:13 पूर्वाह्न
·
पसंद
Vineet Kumar
इ तो लग रहा है खैनी-चून्ना का काम हो रहा है.
12 अगस्त 2012 पर 10:03 पूर्वाह्न
·
पसंद
अनूप शुक्ल
Vineet Kumar
ई खैनी चूना नहीं अपना साज-सिंगार कर रहे हैं। बोले तो बाबागिरी का मेक अप !
12 अगस्त 2012 पर 10:04 पूर्वाह्न
·
पसंद
·
3
Vineet Kumar
ओह, लालवाला को चिनौटी समझ लिए.
12 अगस्त 2012 पर 10:05 पूर्वाह्न
·
नापसंद
·
2
Dhirendra Pandey
कर्मयोगी हैं बाबा कुछ सीखो अनूप जी खाली पीली कंप्यूटर (बतर्ज कागज़ ) रंगते रहिते हो
12 अगस्त 2012 पर 01:10 अपराह्न
·
नापसंद
·
1
Aradhana Mukti
लगता है अबहियन हिमालय छोडि के आयें हैं बाबा
12 अगस्त 2012 पर 02:51 अपराह्न
·
नापसंद
·
1
Amit Kumar Srivastava
आदमी की पूँछ तो गायब हो गई | अब उसके स्थान पर पहिये जरूर उग आयेंगे | हर चीज़ में पहिया नज़र आता है |
13 अगस्त 2012 पर 12:01 अपराह्न
·
नापसंद
·
3
कोई टिप्पणी लिखें…
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment