http://web.archive.org/web/20140420081915/http://hindini.com/fursatiya/archives/4478
सफ़ाई का मौका
By फ़ुरसतिया on July 12, 2013
मंत्री
जी की शिकायत है कि उनको सफ़ाई का मौका नहीं मिला. दूध से मक्खी की तरह
निकाल दिया गया. घोर कलयुग है जी. कल तक सरकार में अंगद की तरह जमा आदमी
उत्तराखंड में आई बाढ में मामूली सामान सा बह गया.
मीडिया को भी तकलीफ़ हुई होगी. हफ़्ते भर का जो मामला खिंचता वह दो दिन में निपट गया. मीडिया का ’सनसनी लॉस’ हो गया. बुजुर्गवार ए.टी.एम. न्याय का शिकार हो गये. मंत्रीजी को ऐसे निकाल दिया जैसे ए.टी.एम. से पैसे निकाले गये हों. उनकी तकलीफ़ जायज है. सफ़ाई का मौका न मिला. न हाय-हाय हुई न किचकिच. निकाल बाहर किया गया.
देखा जाये तो बुजुर्गवार ने लीक तोड़ने का काम किया. राजनीति वाले घपले-घोटाले, भाई भतीजावाद और घूस-फ़ूस के लिये बदनाम हैं. बुजुर्गवार ने जनप्रतिनिधियों की बदनामियों की एकरसता को तोड़ा है. भ्रष्टाचार के दलदल से मामला उठाकर यौनाचार की जमीन तक लाये हैं. नयी नजीर पेश की है राजनीतिज्ञों के सामने. बदनामी के लिये कब तक करप्शन का मुंह जोहते रहोगे भाई. बदनामी के लिये करप्शन का विकल्प मौजूद है आपके पास.
बुजुर्गवार ने देश के युवाओं के सामने भी एक नजीर पेश की है. युवा पीढी दिन रात मल्टीनेशनल कंपनियों की चाकरी करती हुई राजनीति से दूर भाग रही है. तनाव के चलते उनके अपने यौनक्षमता प्रभावित हो रही है. इस नजीर से उनको राजनीति में आने की प्रेरणा मिल सकती है. राजनीति में आओ, फ़िर से यंग बन जाओ.
भूतपूर्व वजीर साहब के सहारे बुढ़ापे में जवानी का संचार करने की दवा बेचने वाले भी अपनी दुकान चमका सकते हैं. अगले ने हमारी कंपनी की बनी दवाई खायी तभी जवानी बरकरार रही. हमारी जड़ी सूंघी उसी से ताकत का संचार हुआ. झटका हकीम भी सार्वजनिक शौचालयों में अपना हल्ला मचा सकते हैं. हमसे झटका लगवाओ, कयामत तक जवानी चमकाओ. देशी ताकत की दवा बनाने वाले वियाग्रा के मुकाबले स्वदेशी गोली के चमत्कार के किस्से सुना सकते हैं.
बुजुर्गवार की पार्टी वालों ने उनको सफ़ाई का मौका नहीं दिया लेकिन खुद दिये पड़े हैं सफ़ाई. कह रहे हैं आरोप लगाने वाली पार्टी के लोग यह सब बहुत पहले से करते आ रहे हैं. हमारे यहां तो अब शुरु हुआ.
यह अपराध बोध ठीक बात नहीं. न बुजुर्गवार के लिये, न उनकी पार्टी के लिये न समाज के लिये. सबको छाती ठोंककर कहना चाहिये हम परम्परा से जुड़े रहे हैं. अपने पूर्वज ययाति की परंपरा निबाह रहे हैं.ययाति ने तो अपनी यौन इच्छा पूरी करने के लिये अपने लड़के से जवानी उधार ली थी. हम तो अपनी से काम चला रहे हैं. जवानी के लिये किसी लोन की अर्जी नहीं दी. वे तो सिर्फ़ स्त्रियों को भोगते थे , हम तो लड़कों को भी कृतार्थ कर रहे हैं. पूर्वजों के आदर्शों को नये आयाम दे रहे हैं. नयी नजीर पेश कर रहे हैं.
बुजुर्ग की शिकायत जायज लगती है. उनको सफ़ाई का मौका तो मिलना चाहिये था. आपको क्या लगता है?
मीडिया को भी तकलीफ़ हुई होगी. हफ़्ते भर का जो मामला खिंचता वह दो दिन में निपट गया. मीडिया का ’सनसनी लॉस’ हो गया. बुजुर्गवार ए.टी.एम. न्याय का शिकार हो गये. मंत्रीजी को ऐसे निकाल दिया जैसे ए.टी.एम. से पैसे निकाले गये हों. उनकी तकलीफ़ जायज है. सफ़ाई का मौका न मिला. न हाय-हाय हुई न किचकिच. निकाल बाहर किया गया.
देखा जाये तो बुजुर्गवार ने लीक तोड़ने का काम किया. राजनीति वाले घपले-घोटाले, भाई भतीजावाद और घूस-फ़ूस के लिये बदनाम हैं. बुजुर्गवार ने जनप्रतिनिधियों की बदनामियों की एकरसता को तोड़ा है. भ्रष्टाचार के दलदल से मामला उठाकर यौनाचार की जमीन तक लाये हैं. नयी नजीर पेश की है राजनीतिज्ञों के सामने. बदनामी के लिये कब तक करप्शन का मुंह जोहते रहोगे भाई. बदनामी के लिये करप्शन का विकल्प मौजूद है आपके पास.
बुजुर्गवार ने देश के युवाओं के सामने भी एक नजीर पेश की है. युवा पीढी दिन रात मल्टीनेशनल कंपनियों की चाकरी करती हुई राजनीति से दूर भाग रही है. तनाव के चलते उनके अपने यौनक्षमता प्रभावित हो रही है. इस नजीर से उनको राजनीति में आने की प्रेरणा मिल सकती है. राजनीति में आओ, फ़िर से यंग बन जाओ.
भूतपूर्व वजीर साहब के सहारे बुढ़ापे में जवानी का संचार करने की दवा बेचने वाले भी अपनी दुकान चमका सकते हैं. अगले ने हमारी कंपनी की बनी दवाई खायी तभी जवानी बरकरार रही. हमारी जड़ी सूंघी उसी से ताकत का संचार हुआ. झटका हकीम भी सार्वजनिक शौचालयों में अपना हल्ला मचा सकते हैं. हमसे झटका लगवाओ, कयामत तक जवानी चमकाओ. देशी ताकत की दवा बनाने वाले वियाग्रा के मुकाबले स्वदेशी गोली के चमत्कार के किस्से सुना सकते हैं.
बुजुर्गवार की पार्टी वालों ने उनको सफ़ाई का मौका नहीं दिया लेकिन खुद दिये पड़े हैं सफ़ाई. कह रहे हैं आरोप लगाने वाली पार्टी के लोग यह सब बहुत पहले से करते आ रहे हैं. हमारे यहां तो अब शुरु हुआ.
यह अपराध बोध ठीक बात नहीं. न बुजुर्गवार के लिये, न उनकी पार्टी के लिये न समाज के लिये. सबको छाती ठोंककर कहना चाहिये हम परम्परा से जुड़े रहे हैं. अपने पूर्वज ययाति की परंपरा निबाह रहे हैं.ययाति ने तो अपनी यौन इच्छा पूरी करने के लिये अपने लड़के से जवानी उधार ली थी. हम तो अपनी से काम चला रहे हैं. जवानी के लिये किसी लोन की अर्जी नहीं दी. वे तो सिर्फ़ स्त्रियों को भोगते थे , हम तो लड़कों को भी कृतार्थ कर रहे हैं. पूर्वजों के आदर्शों को नये आयाम दे रहे हैं. नयी नजीर पेश कर रहे हैं.
बुजुर्ग की शिकायत जायज लगती है. उनको सफ़ाई का मौका तो मिलना चाहिये था. आपको क्या लगता है?
Posted in बस यूं ही | 8 Responses
arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..बिचारी कर्मनाशा!
प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..मैं किनारा रात का
…………………………..
…………………………..
प्रणाम.
अच्छा हो कि बाकि मामलों में भी अदालतें इतना त्वरित फैसला सुना दें.
alpana की हालिया प्रविष्टी..रंग बदलता मौसम
पार्टी का ऐलान कर देना चाहिए…
जय हिंद…