'रोज
तीन-चार किलोमीटर साईकिल चलाओ बहुत है। योग-फोग, कसरत की कोई जरूरत नहीं।
साइकिल से चलने से फायदा कि रस्ते में कोई मिल गया तो दो मिनट ब्रेक मारकर
हालचाल पूछ लिए। मोटरसाइकिल में आदमी फुर्र से निकल जाता है। न हाल न चाल, न
दुआ न सलाम।साइकिल से बढ़िया कोई सवारी नहीं।' एक भाई जी हमारी साइकिल के
पिछले पहिये को अंगूठे से दबाते हुए बोले।
'योग हो, साइकिलिंग हो, वाकिंग हो, रनिंग हो, कसरत हो या और कोई एक्सरसाइज- हर एक के अपने फायदे होते हैं।'- दूसरे भाई जी ने बहस में व्यवस्था दी।
साइकिल अच्छी सवारी है।सेहत के लिए भी और जेब के लिए भी। लेकिन हिंदुस्तान दिखावे में मार खा रहा है। क़िस्त पर चार पहिया की गाड़ी ले आते हैं भले ही पेट्रॉल के लिए अलग लोन लेना पड़े। चार क़िस्त बाद बैंक वाले उठा ले जाते हैं गाड़ी क़िस्त न भरने के चलते।- बात लोन के व्यवहारिक पहलू की तरफ टहल ली।
दुकान पर जलेबी छन रहीं थीं। जलेबी ज्यादा बनानी थी इसलिए जहां जरा सी सिंकी जलेबी उसे जलेबी- बच्चा चिमटे से टेढ़ा करके एक किनारे कर दे रहा था और बची हुई जगह में जलेबी की नई लाइन बिछा दे रहा था। बगल की मेज पर समोसे अपने पेट में आलू भरे अच्छे बच्चों की तरह अनुशासन में बैठे थे। कड़ाही में उबलता तेल उनको तलने के लिए इंतजार कर रहा था।
बगल में फोन की बैटरी पर बहस चल रही थी। स्मार्ट फोन की बैटरी जल्दी खत्म हो जाती है। गेम खेलने से जल्दी खत्म होती है। पावर बैंक रखना चाहिए। आठ घण्टे ड्यूटी पर चल जाये बस बहुत है, फिर तो घर पहुंच जाएंगे। कोई यह बतकही देखकर धारणा बना सकता है कि हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी समस्या लोगों की बैटरी जल्दी खलास हो जाना है। बहुत जल्दी डिस्चार्ज हो जाती है।
क्या पता अगले चुनाव में कोई पार्टी वायदा करे- हम आपको देर तक चलने वाली बैटरी देंगे।
इस बीच पेड़ से एक फल टपककर नीचे गिरा। पक गया होगा तो गुरुत्वाकर्षण के अधीन नीचे गिरा होगा। क्या पता जिस जगह से गिरा हो उस जगह के आसपास के फल, पत्तियां, टहनियां फल के वियोग में गमगीन हों। पत्तियां हिलडुल कर सीना पीटती हुई विलाप कर रहीं हों। कोई फल की सुगन्ध के किस्से सुना रहा हो। कोई कह रहा हो बड़े भले फल थे खूब रसमय । जिस भी पक्षी को देखो उन पर ही चोंच मारता था। सूरज की हर किरण आकर उन पर ही विश्राम करना चाहती थी। हवा इधर से आये या उधर से, बिना इनको सहलाये निकलती नहीं थीं। इसी तरह की क्या पता और अनेक बातें पेड़ से फल के नीचे गिरने पर हो रहीं हों। पेड़ से फल के गिरने को पेड़ों की दुनिया में फल का भूलोकवासी हो जाना कहलाता हो शायद। पेड़ से फल का गिरना उसका मर जाना होता हो। फिर कोई ऐसा ही फल उगता हो पेड़ पर तो कोई फुनगी चहक कर कहती हो -इसकी शक्ल तो उनसे मिलती है।
अब इसको क्या कहेंगे कि जिस फल के बहाने इत्ती बातें कर गए हम उसका नाम तक नहीं जानते। आंवले जैसा दीखता वह फल आंवला ही था -कह नहीं सकता। वैसे कुछ कहने के लिए कुछ जानना जरूरी होता तो तमाम जनप्रतिनिधि गूंगे होते। आज का समय अपनी ही हांकते रहने का है। जहां चुप हुए तो दूसरे की सुननी पड़ेगी और फिर क्या होगा आप समझ सकते हैं।
लौटते में एक बच्ची एक बुढ़िया को लकड़ी के सहारे मन्दिर की तरफ ले जा रही थी। बुढ़िया को दीखता नहीं है। वह बच्ची के साथ उसकी लकड़ी पकड़े हनुमान मन्दिर की तरफ तेजी से जा रही है। आज मंगलवार है। ज्यादा लोग भीख देने आएंगे। मन्दिर पहुंचकर एक कोने में खाली जगह पर बैठ गई। वहां पहले ही मांगने के लिए बैठी महिलाओं ने उसके आ जाने का नोटिस किया और सब लोग दानियों का इन्तजार करने लगे। सबके पास अपने-अपने भिक्षा पात्र थे। भिक्षापात्र से राहत इंदौरी का शेर याद आ गया। उर्दू में भिक्षा पात्र को कांसा कहते हैं। शेर इस तरह है:
शेर कितना गजब का है न! कवि कहना चाहता है कि उसके भिक्षा पात्र की कीमत किसी बादशाह के ताज से भी अधिक है। शायरी और कविता भी कितनी खूबसूरत कल्पनाओं में विचरण करने की सुविधा देती हैं।
कल उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जलाकर मारे गए पत्रकार जगेंद्र के परिवार वालों को सरकार ने 30 लाख रूपये और दो नौकरी देकर उनकी सहायता की। कोई कहेगा की सरकार ने शहादत खरीद ली, कोई कहेगा सरकार ने सहायता की। आप पता नहीं क्या कहेंगे लेकिन हम तो यही कहेंगे कि भाई चल उठ अब दफ्तर जाने का समय हो गया।
तो भैया चलते हैं। आपका दिन शुभ हो, मंगलमय हो। जय हो, विजय हो।
फ़ेसबुकिया टिप्पणियां
'योग हो, साइकिलिंग हो, वाकिंग हो, रनिंग हो, कसरत हो या और कोई एक्सरसाइज- हर एक के अपने फायदे होते हैं।'- दूसरे भाई जी ने बहस में व्यवस्था दी।
साइकिल अच्छी सवारी है।सेहत के लिए भी और जेब के लिए भी। लेकिन हिंदुस्तान दिखावे में मार खा रहा है। क़िस्त पर चार पहिया की गाड़ी ले आते हैं भले ही पेट्रॉल के लिए अलग लोन लेना पड़े। चार क़िस्त बाद बैंक वाले उठा ले जाते हैं गाड़ी क़िस्त न भरने के चलते।- बात लोन के व्यवहारिक पहलू की तरफ टहल ली।
दुकान पर जलेबी छन रहीं थीं। जलेबी ज्यादा बनानी थी इसलिए जहां जरा सी सिंकी जलेबी उसे जलेबी- बच्चा चिमटे से टेढ़ा करके एक किनारे कर दे रहा था और बची हुई जगह में जलेबी की नई लाइन बिछा दे रहा था। बगल की मेज पर समोसे अपने पेट में आलू भरे अच्छे बच्चों की तरह अनुशासन में बैठे थे। कड़ाही में उबलता तेल उनको तलने के लिए इंतजार कर रहा था।
बगल में फोन की बैटरी पर बहस चल रही थी। स्मार्ट फोन की बैटरी जल्दी खत्म हो जाती है। गेम खेलने से जल्दी खत्म होती है। पावर बैंक रखना चाहिए। आठ घण्टे ड्यूटी पर चल जाये बस बहुत है, फिर तो घर पहुंच जाएंगे। कोई यह बतकही देखकर धारणा बना सकता है कि हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी समस्या लोगों की बैटरी जल्दी खलास हो जाना है। बहुत जल्दी डिस्चार्ज हो जाती है।
क्या पता अगले चुनाव में कोई पार्टी वायदा करे- हम आपको देर तक चलने वाली बैटरी देंगे।
इस बीच पेड़ से एक फल टपककर नीचे गिरा। पक गया होगा तो गुरुत्वाकर्षण के अधीन नीचे गिरा होगा। क्या पता जिस जगह से गिरा हो उस जगह के आसपास के फल, पत्तियां, टहनियां फल के वियोग में गमगीन हों। पत्तियां हिलडुल कर सीना पीटती हुई विलाप कर रहीं हों। कोई फल की सुगन्ध के किस्से सुना रहा हो। कोई कह रहा हो बड़े भले फल थे खूब रसमय । जिस भी पक्षी को देखो उन पर ही चोंच मारता था। सूरज की हर किरण आकर उन पर ही विश्राम करना चाहती थी। हवा इधर से आये या उधर से, बिना इनको सहलाये निकलती नहीं थीं। इसी तरह की क्या पता और अनेक बातें पेड़ से फल के नीचे गिरने पर हो रहीं हों। पेड़ से फल के गिरने को पेड़ों की दुनिया में फल का भूलोकवासी हो जाना कहलाता हो शायद। पेड़ से फल का गिरना उसका मर जाना होता हो। फिर कोई ऐसा ही फल उगता हो पेड़ पर तो कोई फुनगी चहक कर कहती हो -इसकी शक्ल तो उनसे मिलती है।
अब इसको क्या कहेंगे कि जिस फल के बहाने इत्ती बातें कर गए हम उसका नाम तक नहीं जानते। आंवले जैसा दीखता वह फल आंवला ही था -कह नहीं सकता। वैसे कुछ कहने के लिए कुछ जानना जरूरी होता तो तमाम जनप्रतिनिधि गूंगे होते। आज का समय अपनी ही हांकते रहने का है। जहां चुप हुए तो दूसरे की सुननी पड़ेगी और फिर क्या होगा आप समझ सकते हैं।
लौटते में एक बच्ची एक बुढ़िया को लकड़ी के सहारे मन्दिर की तरफ ले जा रही थी। बुढ़िया को दीखता नहीं है। वह बच्ची के साथ उसकी लकड़ी पकड़े हनुमान मन्दिर की तरफ तेजी से जा रही है। आज मंगलवार है। ज्यादा लोग भीख देने आएंगे। मन्दिर पहुंचकर एक कोने में खाली जगह पर बैठ गई। वहां पहले ही मांगने के लिए बैठी महिलाओं ने उसके आ जाने का नोटिस किया और सब लोग दानियों का इन्तजार करने लगे। सबके पास अपने-अपने भिक्षा पात्र थे। भिक्षापात्र से राहत इंदौरी का शेर याद आ गया। उर्दू में भिक्षा पात्र को कांसा कहते हैं। शेर इस तरह है:
'वो खरीदना चाहता था कांसा मेरा,
मैं उसके ताज की कीमत लगा के लौट आया।'
शेर कितना गजब का है न! कवि कहना चाहता है कि उसके भिक्षा पात्र की कीमत किसी बादशाह के ताज से भी अधिक है। शायरी और कविता भी कितनी खूबसूरत कल्पनाओं में विचरण करने की सुविधा देती हैं।
कल उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जलाकर मारे गए पत्रकार जगेंद्र के परिवार वालों को सरकार ने 30 लाख रूपये और दो नौकरी देकर उनकी सहायता की। कोई कहेगा की सरकार ने शहादत खरीद ली, कोई कहेगा सरकार ने सहायता की। आप पता नहीं क्या कहेंगे लेकिन हम तो यही कहेंगे कि भाई चल उठ अब दफ्तर जाने का समय हो गया।
तो भैया चलते हैं। आपका दिन शुभ हो, मंगलमय हो। जय हो, विजय हो।
फ़ेसबुकिया टिप्पणियां
- Ajai Nigam · Ajay Sahu और 9 others के मित्रSamose achhe bachchon ki tarah anushashan me baithe the - wah tulna bhi atulniya
- हृदय नारा़यण शुक्ल जय हो ।
- Dhirendra Veer Singh सुबह की सैर .......खाते पीते
- Anil Verma · Abhisek Dubey और 7 others के मित्रइंसान भी पका हुवा फल के समान हो चूका है कब गिर जाये कोई भरोशा नहीं है
- DrArvind Mishra बस वही फोते की फिक्र रहती है! Satish Saxena
- Neeraj Mishra सुप्रभात सर..
- Nidhi Dixit आप समझ नही पाये वो फल आपके स्वागत मे नीचे आया होगा फल ने सोचा होगा कि जो भी रास्ते मे मिलता है उसकी चर्चा फेस बुक पर करते है तो क्यो न अपना भी नाम दर्ज करा लूं ़
- Parveen Goyal Good morning !! Very nice.. If I will stop talking.. My turn will not come.. Same on roads , everybody want to move fast continuously pressing horns in the cars..
- संतोष त्रिवेदी हम आपकी कलम के इसीलिए दीवाने हैं।
- Rekha Srivastava साइकिल पर चलते हुए आप जमीन से जुडे रहते है और सबसे वास्ता रखते है ।
- श्रीनिवास राय शंकर आपका दिन शुभ हो।
- Ashutosh Kumar शुभ प्रभात सर जी ॥
पहले 80-90% अंक जो सुख देते थें,वहीं अब बैटरी के चार्ज होने पर होता हैं । - Sonam Dubey Kuchh kahne k liye kuchh janna jaruri hota to sare janpratinidhi..... " like इमोटिकॉन
- Danda Lakhnavi बतकही सराहनीय...
- Manas Pandey पेट में आलू भरे तलने के इंतज़ार में बैठे समोसे... क्या बात है सर ..बेहतरीन
- Shahnawaz Khan आपकी साइकिल योगा चलती रहे
- Arjun Nirapure · Friends with Manas PandeyNice sir ji
- Virendra Bhatnagar आप गद्य में भी कितनी खूबसूरत कल्पनाओं में कितनी खूबसूरती से विचरण कर लेते हैं ।
- Rajeshwar Pathak हिन्दुस्तान दिखावे की मार ,,,.
सच कहा सर, प्रणाम - Manisha Dixit खाक इंसाफ है ....अंधे बुतों का इंसाफ है .. ऐसे इंसाफ से कहाँ दिल में चुभे काँटे निकालते हैं.... frown इमोटिकॉन
- Satyapal Yadav आप की लेखनी...अचानक,महाभारत के संजय का ख़याल आया..!
- Kush Vaishnav Aapko padhna bhi ek prakar ka yog hai
- Ajai Rai Atiuttam awaaysome lekhan.
- सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जय हो, विजय हो। आपकी लेखनी की...!
- Navnit Chaurasia · Friends with अमित कुमारPrakati ka apna cycle hota hai sir renovation cycle. Jab koi vastu pak jati hai to bas tapak jati hai.iska matlab uske punarjam ka intzam ho gaya. Ye fal ka tapakna us fal ka mukti pradan karta hai aur dunia ko.hum log bhi tapkenge ,.
- Anamika Vajpai पढ़ना सु-फल हो गया.…एक फल के विनाश बिना दूसरे की उत्पत्ति संभव नहीं, इस चक्र को " फल भूमिस्थ हुआ" से समझा दिया... smile इमोटिकॉन
- Mazhar Masood बहुत अपटूडेट है आप राहत का शेर कहींं हमारे शहर की तरफ़ इशारा तो नहीं
- Nisha Shukla ओह्ह...आपकी पोस्ट पढ़कर क्या कहें समझ नहीं आ रहा....!!!
- Md Shabbir वैसे कुछ कहने के लिये कुछ जानना ज़रूरी होता तो तमाम जनप्रतिनिधि गूंगे "होते"..................ये पंक्ति पढ कर श्री लाल शुक्ल जी की याद आ गयी...अति सुन्दर व्यंग्य
- Supriya Singh Adbhut vicharan.
- Neeraj Goswamy Saty vachan maharaaj
- Alok Ranjan Gd day sir
- Nishant Yadav सुबह को जब आफिस जाता हूँ तो आपके पोस्ट को पढ़ते हुए जाता है मन एक दिमाग एक दम फ्रेश हो जाता हैआप अपनी खिलखिला के अपनी बातों के तीखे बोल भी बोल देते है आपसे लेखन की शैली भी सीख रहा हूँ जैसे एकलव्य ने द्रोण की मूर्ति का रख कर धनुर्विद्या सीखी थी अनूप शुक्ल ji
- Anand Kumar sundar sir jee
- RB Prasad बहुत ही खुबसूरत रचना ...मनमोहक.
- Manoj Kumar ठ
Sundar sir ji - Krishn Adhar कहने को कुछ वाकी नहीं है फिर यूं ही-जलेवी,समोसे के स्वाद ने भूंख जगा दी,राहत इंदौरी के शेर से मैं प्रभावित नहीं हुआ,इन वड़वोली वातोंसे हमारी हीन ग्रन्थि का ही प्रदर्शन होता हैऔर गरीवी का महिमामंडन जो किसी भी तरह उचित नहीं,फल गिरने के कारण न्यूटनी वोरियत दूर करते हैं।.आप धन्य हैं जो इतना....।
- Mahesh Shrivastava boondo ke aane se sanvarti ye mitti, is sko kisi kabil ye namee karti hai , shabdo ke poudho ko mahakne ke liye tere ahsas ki jamee karti hai
- Ram Kumar Chaturvedi साइकिल सबारी वाकई में बहुत ठीक है।खराब होजाये तो लादो और चलदो।
- Bhupender Tomar · 18 पारस्परिक मित्रshab bo time gaya isse good aap ke jase paidel aana jana chaiye.2,benifit HElTH.+Coreption.dono...................m....m...
- Kamlesh Bahadur Singh ..देश की असली समस्या स्मार्ट फोन की बैटरी............हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी समस्या लोगों की बैटरी जल्दी खलास हो जाना है। बहुत जल्दी डिस्चार्ज हो जाती है.......ISS SE BaRi KOee SamaSyaa Aap Ko Nahi Dikhati....?Ha...Ha...
- Mukesh Sharma जलेबी समोसे का जिक्र अक्सर आता है बिला इस लिहाज के की पाठको के मुंह में सुबह सुबह पानी आवेगा ।
- Shwetank Gupta · ब्रजभूषण झा और 9 others के मित्रवाह! लाजवाब
- Sushil Kumar 'वैसे कहने के लिये कुछ जानना ज़रूरी होता तो तमाम जन प्रतिनिधि गूँगे होते। '
- Gitanjali Srivastava daily routine life par aap itna baarik vivran likhte hai jitna humlog sochbhi nahi paate.
- Sanjay Mishra · Ajit Singh और 4 others के मित्रmere hisab se to sarkare apradhiyo ka manobal badha rahi hai es tarah ek galat paripati ki suruwat hai
- Ram Singh साईकिल की यात्रा के अद्भुत लेखक श्री अनूप शुक्ल जी को बहुत बढिया लेखन पर बधाई
साईकिल के प्राचीन उपयोग का एक प्रासंगिक चित्र , पहले पहल अग्निशामक दल का साईकिल प्रयोग !
Mukesh Sharma एक वैकल्पिक सायकल की व्यवस्था कानपूर में भी की जाए (पाठको की तरफ से ) ।
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