जीसीएफ (गन कैरिज फैक्ट्री) इस्टेट का राम मन्दिर |
सड़क जीसीएफ के राम मंदिर के पास पहुंची। यह मन्दिर 1939 में बना था। फैक्ट्री के बनने के 35 साल बाद। मन्दिर के सामने की दुकान पर चाय पीते हुए लोगों को मन्दिर जाते-आते देखते रहे। भक्त गण जो हड़बड़ी में थे वो बाहर से ही प्रणाम कर रहे थे। कुछ भक्त गण सड़क छूकर अपना 'वाई फ़ाई प्रणाम' निवेदित कर रहे थे। लाउडस्पीकर पर भजन बज रहे थे।
चाय की दूकान वाले ने बताया कि पास की मस्जिद भी 1939 की है। दूकान फैक्ट्री की जमीन पर है। किराया 350 रुपया है।
2004 में जीसीएफ फैक्ट्री की स्थापना के 100 साल पूरे हुए। उस मौके पर प्रकशित स्मारिका पत्रिका में फैक्ट्री के भूतपूर्व अधिकारी शौर्य चक्र विजेता शिव प्रसाद का एक रोचक संस्मरण है। इसमें फैक्ट्री के सुपरिंटेंडेंट स्व. ए.डी.विक के बंगले में स्थित एक पुराने कुएं से पानी निकालने के लिए एक बैल खरीदने का जिक्र है।
हुई है शिला सब चन्द्रमुखी |
सन 1957 में दी गयी यह सलाह एक विदेशी व्यक्ति की थी। इसमें किसी काम के सही होने और व्यक्तिगत फायदा न होने की स्थिति में और ईमानदार होने की स्थिति में व्यक्तित्व का उपयोग करने की बात कही गयी थी। इसकी तुलना में मुझे कई लोग याद आते हैं जो काम पूरा करने के लिए व्यक्तिगत प्रभाव का उपयोग 'व्यक्तिगत ईमानदारी और काम के सही होने की शर्त' को बाईपास करते रहे। हमारे एक वरिष्ठ अधिकारी किसी काम को नियमानुसार गलत होने की बात बताने पर चिल्लाते हुए कहते थे-'रूल्स आर फॉर फूल्स।' नियम बेवकूफों के लिए होते हैं।ज्यादा विरोध करने पर गुस्से में हकलाने लगते थे। मजे की बात यह कि विभाग के कुछ बेहतरीन माने जाने वाले लोग उनके नवरत्नों में शामिल थे और उनकी मंशा पूरी करने में सहयोग करते थे।
लौटते में पानी बन्द हो गया था। आसपास की चट्टाने देखते हुए आये। करोड़ों वर्षों पुरानी ये चट्टाने आपस में न जाने क्या बतियाती होंगीं। क्या पता मौसम के बारे में गुफ्तगू करतीं होगी। उनका कोई अखबार तो आता नहीं होगा। शायद चिड़ियाँ, हवा, धूप उनको रोज के समाचार सुनाती हों। चट्टानों का तो पता नहीं लेकिन आइये आपको सुनाते हैं आज के प्रमुख समाचार:
रोटी बैंक से सेवा दरिद्र नारायण की |
2. इटारसी जंक्शन के कण्ट्रोल रूम में आग लगने से 150 ट्रेनें जहां की तहां खड़ी हो गई।
3.बिजली भरपूर लेकिन,लेकिन नहीं मिल रहे खरीदने वाले।
4. 2020 तक सभी को घर ।
इन ख़बरों के अलावा एक अच्छी खबर हासिये पर थी।बुन्देलखण्ड के महोबा जिले के 40 युवाओं एक अनोखी सामूहिक मुहिम शुरू की है। एक 'रोटी बैंक' बनाया है। इसमें रोज गरीबों को खाना खिलाया जाता है। भोजन संग्रह के लिए शहर को आठ सेक्टरों में बांटा गया है। खाना एक जगह इकट्ठा करने के बाद कार्यकर्ता उसे जरूरतमंदों में बाँट देते हैं। इस मुहिम में सहभागी होकर कुछ लोग खाने की बर्बादी रोकते हैं तो कुछ के लिए यह अन्नदान का धर्म है। इसमें अब कुछ हलवाई भी मदद करने लगे हैं।
आठ बज गए। अब चलते हैं फैक्ट्री। आपका दिन शुभ हो। मङ्गलमय हो।
No comments:
Post a Comment