खड़गपुर आई आई टी के मुख्य द्वार पर कार्यक्रम के बैनर। बैनर बता रहा है कि आलोक पुराणिक जी Alok Puranik को भी यहां आना था। ख्यातिलब्ध साहित्यकार के दिमाग से यह सूचना फिसल गई। उन्होंने अपनी झकास ऊर्जा के चलते कोई दूसरा कार्यक्रम 'सकर' लिया जिसके पीर, बाबरची, भिस्ती, ख़र सब वही हैं। लिहाजा उनका यहां आना रह गया। बच्चों का नुकसान हुआ।
आलोक जी ने हालांकि शरीफ लोगों की तरह माफी मांग ली यह कहते हुए कि उनकी जिंदगी में ऐसा पहली बार हुआ। लेकिन विश्वस्त सूत्रों से पता चला कि ऐसा हसीन हादसा उनके साथ पहली बार नहीं हुआ। इसके पहले पिछली बार ज्ञान चतुर्वेदी सम्मान समारोह से लौटते हुए वे जिस ट्रेन में चढ़ गए थे उसके टीटी ने बताया कि उनका रिजर्वेशन नहीं है। आलोक जी ने फट से मोबाइल से रिजर्वेशन टीटी को दिखा दिया। टीटी ने कहा -'यह ठीक है कि आपका रिजर्वेशन इसी ट्रेन में है, बर्थ भी यही है लेकिन रिजर्वेशन जो आप दिखा रहे एक महीने बाद का है।'
इसके बाद आलोक पुराणिक जी को इज्जत के साथ अगली स्टेशन पर उतारा गया। जहां हम लोग अपनी ट्रेनों का इंतजार कर रहे थे। मजे लिए गए उनके। चायबाजी हुई।
इससे सिद्ध होता है कि आलोक पुराणिक अपने समय से कम से कम एक महीना आगे चलते हैं। समय के साथ चलने के लिए उनको याद दिलाना पड़ता है।
कुछ लोगों ने आलोक पुराणिक जी के न आ पाने को राजनैतिक रंग दिया। उनके अनुसार आलोक पुराणिक यहां इसलिए नहीं आये क्योंकि उनका फोटो पोस्टर में बाई तरफ है। आलोक जी जानते हैं कि बंगाल में बाईं तरफ वालों के हाल ठीक नहीं है इसलिए उन्होंने यहां आना बचा लिया।
बहरहाल कल बच्चों को आलोक पुराणिक जी के बारे में बताया गया तो वे बहुत उत्सुक हुए उनसे मिलने के। जल्दी ही किसी कार्यक्रम में उनको यहां बुलाया जाएगा। जिसमें उनका फोटो बीच में होगा। आलोक जी केंद्र में रहते हुए सहज रहेंगे। भूलेंगे नहीं आना।
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