फ़ुरसतिया
हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै
Thursday, October 26, 2017
बहुत कुछ लिखने को बचा रह जाता है
›
सब कुछ लिख दिया जाने के बाद भी बहुत कुछ लिखने को बचा रह जाता है। हम बिस्कुट भिगो के चाय में खाते ही नहीं इसीलिये वो नामुराद डूबने से बच ...
आज रपट जाएं तो
›
आज सबेरे निकले तो साइकिल मारे खुशी के लहराती हुई चल दी। टहलने की खुशी इतनी कि जरा सा पैडल मारते ही सरपट बढ गयी। सामने से स्कूल का बच्चा ...
Sunday, October 22, 2017
नई कार खरीद लो दो मिनट में लखनऊ पहुंच जाओगे
›
आज सुबह इतवारी है। शिद्दत से पंकज बाजपेयी याद आये। साइकिल स्टार्ट किये। 'पैडल स्टीरियिंग' दबाते हुए पहुंच गए ठीहे पर । बीच का तमा...
घोड़े, नाल और एल्गिन मिल
›
पंकज बाजपेयी से मुलाकात करके लौटे डिप्टी का पडाव की तरफ़ से। तिराहे से घंटाघर की तरफ़ बढे तो एक जगह कुछ घोड़े दीवार के पास खड़े थे। दीवार पर ...
Friday, October 20, 2017
असली नाम बताएं कि नकली
›
सबेरे निकले । नजारा नया था। आज बन्दर धमाचौकड़ी नहीं मचा रहे थे। बन्दरहाव से मुक्त बगीचा, सड़क और आसपास। बंदर लगता है पटाखे के डर से इधर-उधर...
वो दारू नहीं नहीं गांजा पीते हैं
›
इसके पहले का किस्सा बांचने के लिये इधर पहुंचे https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10212805174417651 शुक्लागंज पुल पार करके ब...
अबे लंबा दांव लगाओ यार
›
पिछली पोस्ट बांचने के लिये इधर आइये https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10212805567627481 गंगा किनारे से लौटते हुये कटे हुये...
अखिल अचराचर विश्व के लिये चाय
›
इसके पहले का किस्सा बांचने के लिये इधर आयें https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10212806308446001 गंगा तट से चले तो जगह पड़ी ज...
Thursday, October 19, 2017
बाजार पैसे का मायका होता है
›
बहुत दिन बाद आज शाम को निकले साइकिलियाने। निकलते ही लोगों के ठट्ठ के ठट्ठ अड़ गये सामने। गोया कह रहे हों सड़क पार न करने देंगे। ठहरे-ठहरे च...
Monday, October 16, 2017
गुडमार्निंग का फ़ैशन
›
सबेरे टहलने का मजा ही और है। यह बात आज साइकिलियाते हुये फ़िर महसूस हुई। घर से निकलने के लिये जैसे ही गेट खोला वैसे ही बन्दर बाबा बाउंड्र...
1 comment:
Wednesday, October 11, 2017
विकास हो रहा है, धड़ल्ले से हो रहा है
›
शाम को गंगापुल से पैदल वापस लौट रहे थे। सामने से टेम्पो, मोटरसाइकिल धड़धड़ाते चले आ रहे थे। लगता कि बस चले तो हमारे ऊपर से निकल जाएं। पुल...
‹
›
Home
View web version