फ़ुरसतिया
हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै
Saturday, April 30, 2022
पैसे ठिकाने लगाने की गारंटी
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जब कभी किसी मॉल जाना होता है, उसकी जगर-मगर देखते हैं। खासकर शाम के बाद तो लगता है कि कहीं स्वर्ग है तो यहीं हैं। स्वर्ग अगर कहीं होगा भी त...
Friday, April 22, 2022
अभी पूरा आसमान बाकी है
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रामनाथ अवस्थी जी के प्रसिद्द गीत का मुखड़ा है: सो न सका कल याद तुम्हारी आई सारी रात, और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात। इसी गीत का एक और अं...
हम इंसान हैं जो धरती को अपनी बपौती समझ गदर काटते रहते हैं
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यह तो हम इंसान हैं जो धरती को अपनी बपौती समझ गदर काटते रहते हैं। अपने को सबसे बुद्धिमान प्रजाति समझते हुए दुनिया की सबसे बड़ी बेवकूफियां कर...
Thursday, April 21, 2022
चींटियों के बहाने
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आज सोते में करवट लेते हुए जरा सा आंख खुली तो देखा तीन बजे थे। पलट के सो गए। सोचते हुए कि चार बजे उठेंगे। नींद खुली तो सवा पांच बजे गए थे। तय...
Wednesday, April 20, 2022
गुडमार्निंग-सुप्रभात
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सबेरे-सबेरे मोबाइल खोलते ही कई गुडमार्निंग संदेशे दिखते हैं। कई बार तो भड़भड़ाकर एक के बाद एक के ऊपर एक ऐसे गिरते हैं जैसे मुम्बई की लोकल से य...
Saturday, April 16, 2022
किताबों के बहाने
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आजकल अपने पास मौजूद किताबों की लिस्ट बना रहे हैं। कल तक 274 किताबें हो गईं। अभी तक जिनकी लिस्ट बनी उनमें कुल पेज हैं 68345 कीमत 54184 रुपय...
Friday, April 15, 2022
बातन-बातन बतझड़ हुइगै
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चौराहे के बाद अगल-बगल देखते हुए आगे बढ़े। एक जगह सड़क किनारे दो बच्चे साथ-साथ आते दिखे। बच्चे मतलब बच्ची-बच्चा। बच्ची बच्चे से कुछ बड़ी रही होग...
Thursday, April 14, 2022
बुश बिल्कुल बांगड़ू नजर आता है
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"बुश बिल्कुल बांगड़ू नजर आता है, उसी की तरह बोलता और बिफरता है।" कृष्ण बलदेव वैद जी की डायरी में 'बांगड़ू ' शब्द पढ़कर अप...
Wednesday, April 13, 2022
ऑटो पर हिमालय
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खन्नौत नदी के पुल से आगे बढ़कर दायें मुड़ गए। हरदोई की तरफ। सोचा थोड़ी देर और साइकिलियाया जाए। सुबह चकाचक खिली थी। धूप अभी तेज नहीं हुई थी। चलत...
Monday, April 11, 2022
रमता जोगी बहता पानी
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कल बहुत दिन बाद साइकिलिंग की। गद्दी पर हाथ मारा तो साइकिल फौरन तैयार हो गयी चलने को। कोई मनौना नहीं कि इत्ते दिन बाद चल रहे हैं तो आदत छूट...
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