Sunday, March 17, 2013

फ़ेसबुक के स्टेटस

http://web.archive.org/web/20140420082413/http://hindini.com/fursatiya/archives/4131

फ़ेसबुक के स्टेटस

आज दुनिया फ़ेसबुक मय है। जिसे देखो फ़ेसबुक पर गंजा पड़ा है। जिसके पास अंतर्जाल है वो फ़ेसबुक पर है। दुनिया फ़ेसबुक मय हो ली है। हाल यहां तक कि काजल कुमार के कार्टून के मुताबिक बच्चे इम्तहान में प्रश्नपत्र के प्रश्न लाइक करके घर वापस आ जा रहे हैं।
अपन भी फ़ेसबुक पर हैं। रोज सुबह कोई स्टेटस अपडेट न करें तो लगता है गुडमार्निंग नहीं हुई। स्टेटस अपडेट करते ही लगता है सुबह सुहानी हो गई। अच्छा स्टेटस हो गया तो सवा सुहानी। लोगों को स्टेटस पसंद आ गया तो सुबह डबल सुगंधित।
फ़ेसबुक के स्टेटस अपन अपनी सारी मुर्खता और चिरकुटई निकाल के धर देते हैं। हल्के होने का माध्यम है यह दीवार। वैसे भी भारत में दीवारों के बहुमुखी उपयोग होते हैं। फ़ेसबुक की दीवार भी हमारे लिये हल्का होने की जगह है। अपनी सारी शंका/दुविधा/शरारत चिपकाने की जगह।
स्टेटस सटाते-सटाते कई बार स्टेटस के बारे में सोचते रहते हैं। मुझे स्टेटस अक्सर इंसान की तरह ही लगते हैं। कभी-कभी लगता है कि स्टेटस को हमारी बातें कैसी लगती होंगी। उनकी भी तो आत्मा होती होगी। वे भी तो कभी आराम करना चाहते होंगे जब हम उनको ठेल देते हैं -जा बेटा स्टेटस, चढ़ जा फ़ेसबुक पर। लोग लाइक करेंगे।
ऐसे ही पिछले दिनों स्टेटस के बारे में सोचते हुये कुछ स्टेटस फ़ेसबुक पर ठेले मैंने। बवाल भाई ने हालांकि टोका भी है अपन को लेकिन सोचते हैं जित्ते स्टेटस के बारे में जो लिखा और जो सोचते हैं वो एक जगह इकट्ठा कर दें। देखिये आप भी:

  1. एक ठो झन्नाटेदार स्टेटस दिमाग में उचक रहा है। हम उसको बरज रहे हैं कि बेटा अब इत्ती रात फ़ेसबुक पर मत जाओ जमाना खराब है। कहीं किसी ने लाइक कर दिया तो क्या करोगे? स्टेटस मुंह फ़ुलाकर दिमाग की देहरी पर बैठा है। ये आजकल के स्टेटस भी न बड़े नखरीले होते हैं।
  2. कई लोगों को टैग करके फ़ेसबुक पर अवतरित स्टेटस(पोस्ट) किसी अस्पताल के आई.सी.यू. में भर्ती मरीज की तरह होता है जिसे हिलाने-डुलाने-चलाने के तीमारदारों की जरूरत होती है। :)
  3. फ़ेसबुकिये बगुले की तरह होते हैं। जैसे ही कोई स्टेटस नयी मछली की तरह उछलता है वे उसे लपक के लाइक कर देते हैं। :)
  4. आज नहाते समय एक मजेदार स्टेटस सूझा। हमने सोचा पहले उसे पोस्ट कर दे फ़िर नहायें। अधनहाये कमरे में आये तो याद आया कि लैपटाप तो बगल के कमरे का दोस्त ले गया है। वापस आये नहाने। बाद में वो स्टेटस याद बिसरा गया। पता नहीं किसकी वाल पर होगा। क्या हाल होगा। किसी ने लाइक किया कि भूखा प्यारा लाइक मिलने के इंतजार में सूख रहा होगा।
  5. भूल गये स्टेटस मुझे घर से गायब हो गये बच्चों से लगते हैं। कुछ समय बाद हुलिया तक बिसरा जाता है। सिर्फ़ यही याद रहता है कि एक ठो स्टेटस गुम हो गया।
  6. कभी-कभी लगता है कि कोई कम धांसू स्टेटस मेरे दिमाग के किसी कोने में पड़ा हमको कोसता होगा कि मैं इस /उस खूबसूरत स्टेटस का जुड़वां स्टेटस हूं लेकिन जरा कम स्मार्ट लगा उस समय तो उसको पोस्ट कर दिया गया। हमारी सुधि आज तक न ली मेरे स्टेटस जनक ने।
  7. दिमाग से गुम हो गये स्टेटस के बारे में सोचता हूं कि रपट लिखा दू- मेरे दिमाग से एक स्टेटस गायब हुआ। दिखने में थोड़ा शरारती है। बेवकूफ़ी का लिबास पहने है। पहुंचाने वाले को पचीस लाइकस का इनाम।

  8. ऊपर वाली सूचना में यह भी जो दूं – बेटा स्टेटस तुम जहां कहीं हो वापस आ जाओ। अपन की फ़ेसबुक दीवार सूनी आंखों से तुम्हारी राह ताक रही हैं। अनगिनत टिप्पणियां तुम्हारे इंतजार में लाइकस पांवड़े बिछाये तुम्हारा इंतजार कर रही हैं।
  9. कल रात एक स्टेटस ने फ़ेसबुक पर जाने से मना कर दिया। बोला -इत्ती रात हम न जायेंगे फ़ेसबुक पर। हमें नींद आ रही है। सोने दो। वो पट्ठा अभी तक सो रहा है। :)
  10. स्टेटस मूलत: एक जैसे ही होते हैं। कुछ लोग बेवकूफ़ी से शुरु करते ज्ञान की बात तक पहुंचते हैं बाकी के लोग ज्ञान की बात से शुरु करके बेवकूफ़ी की मंजिल तक पहुंचते हैं। रास्ता दोनों को बराबर तय करना होता है।

मेरी पसंद

सुरतिय, नरतिय, नागतिय यह चाहत सब कोय,
वे कैसोहू स्टेट्स लिखें, पर लाइक करें सब कोय।
स्टेटस ऐसा डालिये जिसमें कछु होय हंसी-मजाक,
स्टेटस भी रोअंटे होयेंगे, लोग लाइक करेंगे खाक ?
फ़र्जी ज्ञानी हर गली मिलें, सच्चा मिले न कोय,
ज्ञान छोड़ सब बात करे, है सच्चा ज्ञानी सोय।
सतगुरु हमस्यों रीझिकर, एक कह्या प्रसंग,
मेरे स्टेटस को लाइक कर, वर्ना बहुत होयगा तंग।
कट्टा लफ़ड़ा भी भला, जो सिर्फ़ फ़ेसबुक पर होय,
मारपीट से बचत है, बस लाइक अनफ़्रेंड ही होय।
—-कट्टा कानपुरी

15 responses to “फ़ेसबुक के स्टेटस”

  1. देवांशु निगम
    कई दिनों से आपके स्टेटस देख कर लग रहा था की ये बड़े चालू टाइप के ओवरडिमांडिंग स्टेटस हैं | केवल फेसबुक पर आकर नहीं मानेंगे , ब्लॉग पर भी आयेंगे |
    आ गए जी आ गए !!!!
    फुरसतिया जी की जय हो !!!!! :) :) :) :)
    देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..वो दिन कैसा होगा !!!!
  2. काजल कुमार
    :)
    काजल कुमार की हालिया प्रविष्टी..कार्टून :- फ़ेसबुक के साइड इफ़ेक्ट
  3. प्रवीण शाह
    .
    .
    .
    “स्टेटस मूलत: एक जैसे ही होते हैं। कुछ लोग बेवकूफ़ी से शुरु करते ज्ञान की बात तक पहुंचते हैं बाकी के लोग ज्ञान की बात से शुरु करके बेवकूफ़ी की मंजिल तक पहुंचते हैं। रास्ता दोनों को बराबर तय करना होता है।”
    यानी रास्ता एक ही है… बस दूसरा छोर देखने की बेकरारी है…

    प्रवीण शाह की हालिया प्रविष्टी..एडवांस ऑर्डर मिलने पर होली की उपाधियाँ बांट रहा हूँ… लेंगे क्या ?
  4. प्रवीण शाह
    .
    .
    .
    “स्टेटस मूलत: एक जैसे ही होते हैं। कुछ लोग बेवकूफ़ी से शुरु करते ज्ञान की बात तक पहुंचते हैं बाकी के लोग ज्ञान की बात से शुरु करके बेवकूफ़ी की मंजिल तक पहुंचते हैं। रास्ता दोनों को बराबर तय करना होता है।”
    यानी रास्ता एक ही है… बस दूसरा छोर देखने की बेकरारी है… गजब है यह फेसबुक तो…
  5. amit kumar srivastava
    एक पुराना स्टेटस जो बार बार कुलांचे मार ऊपर आ जाता है :
    “उनका स्टेटस लाइक किया लायक समझ कर ,
    कमबख्त अन्फ्रेंड कर गई ,नालायक समझ कर ।”
    amit kumar srivastava की हालिया प्रविष्टी.." वह काला तिल ………."
  6. रवि
    मेरा स्टेटस ये है कि मैं अभी टीप मार रहा हूँ. इसे अब आप ही चढ़ा दें फ़ेसबुक पर अपनी वाल में मेरा नाम लेकर. चलेगा?
    रवि की हालिया प्रविष्टी..अब इंटरनैट पर शब्द के अर्थ खोजिए सीधे अरविंद लैक्सिकन पर!
  7. प्रवीण पाण्डेय
    इतने स्टेटस से तो स्टेटसों का स्टेटस कम हो जायेगा।
    प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..जीने का अधिकार मिला है
  8. भारतीय नागरिक
    लाइक – मुझे तो कभी ना-लाइक करना पसन्द आता है, लेकिन क्या करूं ना-लाइक वाला बटन है ही नहीं.
    भारतीय नागरिक की हालिया प्रविष्टी..पड़ोसी के यहाँ आग लगे, हमें क्या!
  9. अल्पना
    कट्टा कानपुरी रचना बहुत अरसे बाद पढ़ी.
    :) मनोरंजक!
    अल्पना की हालिया प्रविष्टी..रंग आसमान के…
  10. shikha varshney
    और अंत में आपकी पसंद …सबसे बढ़िया :)
  11. manuprakashtyagi
    हम्म पर अभी सरकार पर रंग नही चढा कि वो फेसबुक एप्स बनाकर एग्जाम ले
  12. Abhishek
    :)
    Abhishek की हालिया प्रविष्टी..स्पेशली मेड फॉर…
  13. Pankaj Upadhyay
    बढ़िया :)
    Pankaj Upadhyay की हालिया प्रविष्टी..नोट्स…
  14. suman
    बहुत मजेदार पोस्ट है …आभार !
  15. : फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] फ़ेसबुक के स्टेटस [...]

Saturday, March 16, 2013

बुरा न मानो होली है

http://web.archive.org/web/20140420082908/http://hindini.com/fursatiya/archives/4115

बुरा न मानो होली है

एक बार फ़िर होली आ रही है।
जिसे देखो वो मस्तियाने के अभ्यास में जुटा है। होली के मौके पर कोई किसी से कम हंसमुख न दिख जाये।
लोग अपनी बेवकूफ़ियों के श्रंगार में जुटे हैं। होली में झांकी निकालेंगे। पुराने चुटकुलों को नया रंग दिया जा रहा है। मार्डन शरारतों का उत्पादन चल रहा है। बजट और प्रधानमंत्री वाले मजाक थोड़े पुराने हो गये। लेटेस्ट मजाक स्वीट सिक्स्टीन वाला चलेगा लगता है होली में।
होली के मौके पर हास्य/व्यंग्य के लेखों की मांग बढ़ जाती है। दनादन उत्पादन बढ़ जाता है। मांग और आपूर्ति में संतुलन गड़बड़ाता है। हास्य सामग्री कम पड़ जाती है। जैसे होली में खोये की कमी आलू और मैदे से पूरी की जाती है वैसे ही हास्य सामग्री की कमी हास्यास्पद सामग्री से की जाती है।
होली आमतौर पर मार्च में आती है। मार्च हर वर्ग के लिये गदर कष्ट का महीना होता है। बच्चों इम्तहान देने में हलकान, अध्यापक लेने में हलकान, गुरुजी नकल कराने में मस्त, उड़नदस्ता पकड़ने में पस्त। हर तरफ़ लक्ष्य पूरा करने का हड़कम्प मचा दिखता है। उत्पादन का लक्ष्य पूरा करना, खपत का टारगेट भी। वसूली और कमाई दोनों टाप करनी है। नौकरीपेशा आदमी तो बहुमुखी मार झेलता है- इनकम टैक्स के चलते तन्ख्वाह कम, दफ़्तर देर तक। बची कसर तबादले पूरी कर देते हैं। ऐसे में बेचारा वो परेशान भी नहीं हो पाता कायदे कि उसे होली वाले पकड़ लेते हैं। हंस बेटा होली है। बुरा न मानो होली है।
होली के मौके पर आदमी परेशानियां का ’कष्टमर’ हो जाता है। तमाम तरह के कष्टों से इतना घिर जाता है मौका मिलते ही उनके चंगुल से अदाबदा के भागता है। कष्टों उसे पहचान न लें इसलिये अपने अपने को रंग डालता है। मेकअप ऐसा करता है कि कष्ट उसे पहचान न लें। एकदम रंगबिरंगा हो जाता है। अपने को कीचड़ , तारकोल, सफ़ेदा से पोत लेता है कि कष्ट को हवा न लगे कि वह छिपा किधर है। मार्च के कष्टों के मारे एकजुट हो जाते हैं। वे सब आपस में एक-दूसरे को ऐसा रंग-बेरंग कर देते हैं कि आदमी डॉन हो जाता है और उसको सात मुल्कों के भी कष्ट की पुलिस नहीं पकड़ पाती।
होली के बहाने तमाम सुन्दर कल्पनायें आंखों के आगे झिलमिलाने लगी हैं। लग रहा है मंहगाई को होली ने स्टेचू बोल दिया और वह ठहर गयी है। खुशियां तड़ से जवान हो गयी हैं। सारे कष्टों को पकड़कर कांजी हाउस में बंद कर दिया गया है। भ्रष्टाचार ने अपनी पारी घोषित कर दी है।सदाचार और ईमानदारी अब क्रीज पर आ चुके हैं। न्याय अंपायरिंग कर रहा है। दर्शक खुशी से दोनों की बैटिंग देख रहे हैं। स्कोरबोर्ड पर अच्छाइयों का स्कोर बढ़ता जा रहा है। लगता है इस बार रिकार्ड बनेगा।
हम अभी होली का सौंदर्य वर्णन लिख ही रहे थे कि अचानक संपादक का चेला आकर हमारा अधूरा लेख खैंचकर फ़ूट लिया। वो लेख ऐसे छीन के भागा जैसे गली-मोहल्लों में उचक्के महिलाओं के गले से जंजीर छीनते हैं, जैसे चुनाव के बाद सरकार बनाने के लिये विपक्षी दल के विधायक लूटते हैं। भागते-भागते वह बोला -“संपादक जी ने कहा है लेख जहां है, जिस हालत में हो ले आओ, होली अंक तैयार करना है।” अब “जहां है जिस हालत में है” वाले तरीके से तो कबाड़ उठता है। अपने लेख की यह गति देखकर हीमोग्लोबीन काफ़ी कम होने के बावजूद हमारा खून खौलने को हुआ।
मेरा गुस्सा भांपते हुये वह भागते हुये बोला- बाकी का लेख अगले साल छप जायेगा। बुरा न मानो होली है।

13 responses to “बुरा न मानो होली है”

  1. काजल कुमार
    जब पेशा ही नौकर का है तो कोई कर भी क्या सकता है….
    काजल कुमार की हालिया प्रविष्टी..कार्टून :- रे काले कउए से तो डरियो…
  2. Alpana
    ” आदमी परेशानियां का ’कष्टमर’ हो जाता है। ”बहुत बढ़िया!
    रोचक लेख है ,
    “जहां है जिस हालत वाले आधे -अधूरे लेख को पढ़कर लोग भी बुरा नहीं मानेंगे
    क्योंकि होली है!
    Alpana की हालिया प्रविष्टी..मेरा खज़ाना /मेरा पुरस्कार
  3. aradhana
    खुशियाँ तड़ से जवान हो गयीं :)
    aradhana की हालिया प्रविष्टी..एफ बी जेन बोले तो फेसबुकिया पीढ़ी
  4. प्रवीण पाण्डेय
    रंग लाना है बेरंग जीवन में, टैम नहीं है..
    प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..जीने का अधिकार मिला है
  5. Anonymous
    हम अभी होली का सौंदर्य वर्णन लिख ही रहे थे कि अचानक संपादक का चेला आकर हमारा अधूरा लेख खैंचकर फ़ूट लिया
    जे बात………………….. :)
    समझदार चेला था जी :)
  6. संतोष त्रिवेदी
    बुरा न मानो होली है :):)
    संतोष त्रिवेदी की हालिया प्रविष्टी..राम और शिव की महत्ता !
  7. shefali
    होली है ….
    shefali की हालिया प्रविष्टी..एक बार जो बना जमाई…..
  8. arvind mishra
    मजा नहीं आया :-(
    श्रंगार=श्रृंगार
    अदाबदा=अदबदा
    arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..होली की उपाधियाँ ही उपाधियाँ: कोई भी चुन लें :-)
  9. sanjay @ mo sam kaun
    सबकी समस्यायें गिनवा दीं, बैंकवालों की वार्षिक लेखाबंदी को बिसरा दिये – ये अच्छी बात नहीं है। खैर, हम बुरा नहीं मान रहे क्योंकि होली है.
    sanjay @ mo sam kaun की हालिया प्रविष्टी..श्रद्धाँजलि.
  10. PN Subramanian
    रोचक.
    PN Subramanian की हालिया प्रविष्टी..श्मशान शयनि
  11. प्रवीण शाह
    .
    .
    .
    हा हा हा,
    मजेदार…
    आपका कष्टमर !
  12. समीर लाल
    चलो…अगले साल लौट कर आने का कारण बना रहा…और क्या चाहिये…होली मुबारक…सपरिवार..
    समीर लाल की हालिया प्रविष्टी..चचा का यूँ गुजर जाना….हाय!!
  13. : फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] बुरा न मानो होली है [...]

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Wednesday, March 13, 2013

दफ़्तर पुराण

http://web.archive.org/web/20140419155301/http://hindini.com/fursatiya/archives/4111

दफ़्तर पुराण


निकल पड़े घर से मर्दाने
अब ये सब दफ़्तर जायेंगे। 
 
हंसी-ठहाका सब करेंगे मर्दे
काम इधर-उधर सरकायेंगे।

अपन का पूरा-पक्का है सब,
रामलाल का पिछड़ा है जी।

रामलाल का कहना है कि,
बाकी का कूड़ा-कचरा है।

रोयेंगे सब सुविधाओं को
अपने को बेचारा बतलायेंगे।

कोसेंगे से उस नौकरिया को,
जिसे वे कभी न छोड़ पायेंगे।

बास मिला है बौढ़म सनकी पूरा,
नीचे वालों की तो बस मत पूछो।

हमी लगे हैं तो ये हो पाया,
वर्ना तो सब कुल चौपट होता।

यही कहानी हर दफ़्तर की,
यही हाल दुनिया संसार का।

चलों चलें यार अब दफ़्तर को,
काम समेटे जो सब पसरा है।
-कट्टा कानपुरी

8 responses to “दफ़्तर पुराण”

  1. sanjay jha
    जय हो कट्टा कानपुरी की.
    प्रणाम.
  2. सतीश सक्सेना
    महाराज ,
    सर्विसिंग करा लो …??
    चला कही रहे हो, जा कहीं रही है !

    बैरल में जंग लगी
    हैमर कमज़ोर है !
    ट्रिगर गार्ड टूट गया
    कारतूस गीले हैं !
    पेटी में बंद रखो, बोर क्यों करते हो ?
    कानपुरी कट्टे में, ग्रीज़ की ज़रुरत है !


    सतीश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..एक चिड़िया ही तो थी,घायल हुई -सतीश सक्सेना
    1. sanjay jha
      ‘मूसल’ प्रहार नवी ओखला वालों के तरफ से…………….
      प्रणाम.
  3. प्रवीण पाण्डेय
    पहले काम की बातें, फिर होगा काम..
    प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..नेटवर्क टैक्स
  4. aradhana
    हे हे हे…! कट्टा कानपुरी :)
    aradhana की हालिया प्रविष्टी..Meet a Forum Volunteer: Tess Warn
  5. भारतीय नागरिक
    बस स्थानीय मान का अन्तर होता है.. :D
  6. rajesh kumar singh
    गज़ब,गज़ब,गज़ब, मर्दे और क्या कहूँ लिखते रहें ऐसी और रचनाओं का बेसब्री से इंतजार है
  7. : फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] दफ़्तर पुराण [...]

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वह दुनिया का आखिरी दिन होगा

दु्निया में खुद के
जिन्दा रहने के लिये
जरूरी है चालाक बने रहना।

लेकिन दुनिया के वजूद
के लिये बहुत जरूरी है
तमाम लोगों का बेवकूफ़ बने रहना।


जिस दिन दुनिया से
बेवकूफ़ी खतम हो जायेगी
वह दुनिया का आखिरी दिन होगा।

आलस्य के बिना दुनिया अधूरी है

आलस्य
दुनिया का
सबसे खूबसूरत पहलू होता है।

दुनिया में बहुत
सी चीजें सुन्दर
होती हैं।
लेकिन सबसे
सुन्दर होता है
अलसाया हुआ सौंदर्य होता है।


मोनालिसा की फोटो पेंटिंग
सबसे खूबसूरत इसीलिये
दिखती है क्योंकि
वह सुन्दर है साथ में अलसायी हुई भी।
आलस्य के बिना दुनिया
अधूरी है।