Friday, May 15, 2009

हंसती, खिलखिलाती, बतियाती हुई लड़कियां

http://web.archive.org/web/20140419213055/http://hindini.com/fursatiya/archives/615

20 responses to “हंसती, खिलखिलाती, बतियाती हुई लड़कियां”

  1. शिव कुमार मिश्र
    बुजुर्ग होना कोई गुनाह है का? बुजुर्ग को किसी सेल्फ डिफेन्स की ज़रुरत नहीं होती. उसकी बुजुर्गीयत ही उसकी सेल्फ डिफेन्स होती है. कुश ने आपसे मौज न ली होती तो इतने सारे सवालों के जवाब कहाँ से मिलते?
    कुश की जय हो.
  2. जि‍तेन्‍द्र भगत
    सही लगा संवाद का ये तरीका भी।
  3. समीर लाल 'उड़न तश्तरी वाले'
    मेरी पसंद में प्रत्यक्षा जी का बस फोटू…वो भी ऐसे सवाल जबाब के बाद!!
    सब ठीक ठाक तो है..दो चार लाईन कोई उनकी रचना की भी ले लेते…तो अच्छा लगता !! :)
  4. os ki boond
    sahi hai, LADKIYAN cheez (SAMAJH RAHE HAI NA CHEEEEZ) hi to hain abhi tak.
  5. अविनाश वाचस्‍पति
    आपकी पसंद लाजवाब। प्रत्‍यक्ष हैं प्रत्‍यक्षा जी लेकर कई सवालों के जवाब। और आपने भी टिप्‍पणियों की प्रतिटिप्‍पणियां देकर किया है नेक काम। हंसने और सोचने की प्रक्रिया काफी मन लुभावन लगी।
  6. बी एस पाबला
    आपकी मौज़ से अधिक तो हमें आपकी पसंद, पसंद आयी
  7. ताऊ रामपुरिया
    भाई कुश को घणा धन्यवाद. आगे से भी ऐसा ही किया करें.:)
    रामराम.
  8. tasliim
    बढिया है, चलता रहे। कौनो हर्ज नाही।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }
  9. neeraj
    भाई मजा आ गया हालाँकि मैं देर से आया लेकिन तब भी…मजा तो मजा है कभी भी लिया जा सकता है…कुश तो है ही नटखट…उसके कारण क्या जोर मजा आया…
    नीरज
  10. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    मुझे तो उम्मीद थी कि इस कड़ी में कविता जी की सुनायी हुई कविता पढ़ने – सुनने को मिलेगी। और इलाहाबाद में दोपहर के भोजन के नाम पर ठन-ठन गोपाल का किस्सा भी बताएंगे।
    लेकिन आपकी झोली में तो कुछ ज्यादा ही मजेदार आइटम भरे पड़े हैं। सच में आनन्द आ गया। जय हो मौज लेने वालों की।
  11. गौतम राजरिशी
    अच्छा सवाल-जवाब रहा देव….और आजकल बड़ी जल्दी-जल्दी पोस्ट लगने लग गयी है
  12. Abhishek
    अरे एकदम चकाचक है .
  13. मीनाक्षी
    कुश की शरारत भरे सवालों के कारण ही हमें आपकी एक और रोचक पोस्ट पढ़ने को मिल गई… हम शिवकुमार मिश्रजी से सहमत है… नेत्रहीन अध्यापिका के लिए अगर बोलकर टाइप होने वाला प्रोग्राम बन जाए तो बहुत अच्छा हो… कई नेत्रहीन लाभ पा सकेगे.
  14. कुश
    जिस क्रम में आपने हमसे पुछा “कुश ने लड़कियों को देखने की बात पर ही क्यों सवाल उठाया?” उसी क्रम को बिना तोडे हम बताय देते है कि भई अपनी पसंद का विषय आने पर उत्सुकता तो होगी ही.. बस इसी उत्सुकतावश पूछ लिया.. पर आपने हमको आज की पिक्चर का हीरो बना दिया..हमारे लिए तो यही बहुत है..
  15. कविता वाचक्नवी
    भई वाह!
    हमारे नाचने की कल्पना से इत्ते लोग हँस लिए, प्रसन्न वदन भए, यह कौनो छोटी खुशी की बात है जी?
    और आप काहे हमारे पुष्टि करने के लिए रुके रहे, आप तो साक्षात उस क्षण उहाँ थे। चित्र लेने वाले आपही के कैमरे का कोऊनो कमाल अऊर कारीगिरी लगती है हमहुँ को तो।
    कैमरे के अंजर-पंजर जाँचे जाएँ। कारस्तानियों की तफ़्तीश हो।
    :) :) :)
  16. dr anurag
    इसे कहते है सेल्फ डिफेन्स ….बोले तो….
  17. vandana a dubey
    वाह अनूप जी वाह एक तो लडकियों को देखते हैं उस पर…
  18. प्रमेन्‍द्र प्रताप सिंह
    देर आये दुरूस्‍त आये, कभी कभी फोटो लेने का अंदाज ऐसा होता है कि जब आप स्‍वयं को देखिये तो भी नही पहचान सकते, कविता जी तो सिर्फ नृत्‍य मुद्रा में थी।
  19. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] हंसती, खिलखिलाती, बतियाती हुई लड़कियां [...]

Leave a Reply

Enable Google Transliteration.(To type in English, press Ctrl+g)

− 3 = one

No comments:

Post a Comment