Friday, July 03, 2009

गर्मी का सौन्दर्य वर्णन

http://web.archive.org/web/20140419221643/http://hindini.com/fursatiya/archives/655

42 responses to “गर्मी का सौन्दर्य वर्णन”

  1. लावण्या
    बहुत सुँदर किया गर्मी का वर्णन आपने सुकुल जी
    - लावण्या
    लावण्याजी: शुक्रिया। :)
  2. समीर लाल 'उड़न तश्तरी वाले'
    अहा!! अब लौटे फुरसतिया अपने रंग में, बहुते दिन बाद!! ओरिजनल, टकाटक…काले आंसू उपमा बहुत धांसू रही…मस्त लेखन जी भर के. बधाई.
    समीरजी: जी भरकर , टकाटक शुक्रिया। :)
  3. अनुराग शर्मा - Smart Indian
    …अब जब हमारी निगाह से नहीं गुजरा तो उसका क्या नोटिस लिया जाना?
    महाराज, हमने तो बड़ी मेहनत करके “जून का आगमन” आपकी नज़रे इनायत किया था मगर आप हमारी गली आये ही नहीं, राजमार्ग से ही गुज़र गए. खैर आपकी चर्चा सामयिक रही, बधाई!
    अनुराग शर्मा: अभी आपकी गली में आ रहे हैं। बताने और टिपियाने के शुक्रिया। :)
  4. amit
    वाह, अन्योक्ति अलंकार से सराबोर लिखे हैं पूरी ब्लॉग पोस्ट, पढ़कर मज़ा आ गया! :) पीछे दो-तीन बार से सिर्फ़ कविता आदि ठेले जा रहे थे आप तो अपने को मज़ा नहीं आ रहा था! ;)
    अमित: शुक्रिया! हमको भी मजा आ रहा है। :)
  5. ajit ji wadnerkar saheb
    आह…याद रहेंगी ये गर्मियां…वैसे हमारे यहां मानसून आ चुका है।
    टाटा गर्मी…अगले साल मिलते हैं…
    अजितजी: मानसून की बधाई! पानी जरा संभालकर खर्चा करियेगा इस साल:)
  6. Amar Kumar

    विचार सुलग रहे हैं
    कुछ लिखने का मन

    डा.साहब: विचारों को प्रकट किया जाये। लिखा जाये। जो होगा देखा जायेगा। :)
  7. हिमांशु
    “पनघट पर हमारा पति कैसा हो विषय पर चर्चा चल रही थी। एक सुमुखि का कहना था – पानी की समस्या देख-सुनकर तो मन करता है कि ऐसा पति मिले जो जरा-जरा सी बात पर रोने लगता हो। थोड़े-बहुत पानी का तो आसरा रहेगा। आखों का पानी देखकर ही जी जुड़ा लेंगे।”
    हम तो जुड़ा गये ऐसी लिखाई पर । अब गाना पड़ेगा – “ये आँसू मेरे पानी के काम दें …..’। टोन वही रहेगी – ’ये आँसू मेरे दिल की जबान हैं ..। प्रविष्टि का आभार ।
  8. अजय कुमार झा
    का शुक्ल जी..पूरा जेठ बिता दिया..आ अब जाके गर्मी का पूरा थीसिस लिखे हैं…शुरूये में लिख दिए होते तो टेम्प्रेचर के ..बढ़ते जाने के हिसाब से मजा लेते रहते…अद्भुत..बरखा रानी तो जल भुन गयी होगी…जले दीजिये..बढिया रहा …
  9. दिनेशराय द्विवेदी
    आप ने भी गर्मियों के साथ नाइंसाफी कर दी।
    इतना खूबसूरत मौसम कि कोई मेहमान आ जाए तो खजूर की बीजणी से हवा कर दें। सादा भात और दाल से स्वागत कर दें। सोने के लिए चटाई या सादी खाट ही पर्याप्त है। गरीब की यार हैं ये गर्मियाँ।
  10. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    अरे भाई साहब, ये आखिरी हिस्सा मेरे मेलबॉक्स से हैक कर लिए क्या? अभी तो कम्पोज किया था।:)
    “तुम आटा गूंथकर गयी वो अभी तक गीला बना हुआ है। समझ में नहीं आता कि उसमें आटा मिलाकर ठीक करूं कि धूप में सुखाकर बराबर करूं।”
    मुझे सबसे मजेदार यह वाकया लगा। पूरा दृश्य उपस्थित हो गया आँखों के सामने।:)
    “अंधेरे जीने में कई मिनटों की मसक्कत के बाद नायक ने नायिका से कहानी आगे बढ़ाने की मौन स्वीकृति सी पाई है। वह प्रेमालाप का फ़ीता काटने ही वाला था कि नल में पानी आने की आवाज सुनकर नायिका उसको झटककर पानी भरने चली गयी।”
  11. Dr.Manoj Mishra
    आपकी पोस्ट से तो गर्मी और बढ़ गयी ,हम सब तो अभी बारिश के इन्तजार में ही हैं .
  12. ताऊ रामपुरिया
    वाह जबरदस्त लिखा है. बहुत शुभकामनाएं.
    रामराम.
  13. Dr.Arvind Mishra
    खूब लिखा है आपने -की बोर्ड सलामत तो है ?
  14. विवेक सिंह
    चौथा और छटवाँ बिम्ब हम अच्छी तरस समझ गए हैं बाकी को समझने की कोशिश जारी है . ओरिजिनल फ़ुरसतिया रौ में आने की बधाई !
  15. Shiv Kumar Mishra
    जय हो.
    अद्भुत सौन्दर्य वर्णन.ऐसे-ऐसे बिम्ब कि वाह ही वाह है जी.
    जमाये रहिये.
  16. sci
    वैसे अपने ऐरिये में तो बरसात शुरू हो गयी है, इसलिए गर्मी के बारे में अब सोचने का भी मन नहीं करता।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }
  17. ज्ञानदत्त पाण्डेय
    जचक के जाती गरमी पर हचक के फुरसतियात्मक लिखा है। बहुत दमदार!
  18. Harsha Prasad
    बहुत सुंदर..
  19. रचना.
    आपने तो गर्मी मे सभी को लपेट लिया,
    प्रकृति से लेकर राजनीति को भी समेट लिया! :)
  20. सुनील कुमार
    महोदय,
    नमस्कार।
    http://www.artnewsweekly.com
    कभी मेरे ब्लॉग कैनवसन्यूज़.ब्लॉगस्पॉट.कॉम पर आपने दर्शन दिया था, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मधुबनी कलाकर यशोदा देवी के एक साक्षात्कार पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। अब ब्लॉग लिखना छोड़ रहा हूं क्योंकि पूरी तरह कला पर समर्पित वेबसाइट मैंने शुरू की है http://www.artnewsweekly.com नाम से। आप हमारी वेबसाइट पर आमंत्रित हैं।
    http://www.artnewsweekly.com कला पर हिंदी में समाचार और विचार का पहला वेब मंच है। आर्ट न्यूज़ वीकली टीम की कोशिश रहेगी कला जगत की तमाम गतिविधियों, विचारों और वैचारिक द्वंदों से लेकर ताज़ातरीन समाचारों को आप तक पहुंचाने की।
    फॉर्म चाहे लेख का हो या फोटो का, अलग-अलग कला माध्यमों, टूल्स, रंग, ब्रश, कैनवस, स्टोन, एचिंग, लिथो कैमरा, लेंस आदि पर लेख और अद्यतन जानकारियां उपलब्ध कराने की भी कोशिश रहेगी। कुल मिलाकर कला पर एक ऐसी वेबसाइट जो आपको हर सप्ताह, हर दिन अपडेट रखेगी।
    आम लोगों तक हमारी बात आसानी से पहुंचे, इसके लिए हमने हिंदी और अंग्रेजी, दोनों ही भाषाओं का मिलाजुला इस्तेमाल किया है, अंग्रेजी के खासकर वो शब्द जो जीवन का हिस्सा बन चुके हैं।
    हमारा यह छोटा सा प्रयास, आपकी निरंतरता कैसे बनाये रखेगा, इसके लिए आपके सुझाव, आलोचनाएं , सहयोग और समाचार आमंत्रित हैं। हमें विश्वास है, आपका भरपूर स्नेह और सहयोग हमें अवश्य मिलेगा। धन्यवाद।
    सुनील कुमार
    http://www.artnewsweekly.com
  21. सुनील कुमार
    अगर आपका कोई संपर्क नंबर हो और अगर आपत्ति न हो, तो कृपया भेंजें या मेरे नंबर पर मेरी मदद के लिए संपर्क करें। धन्यवाद।
    आपके स्नेह का आकांक्षी
    सुनील कुमार
  22. अशोक पाण्‍डेय
    पहले के साहित्‍यकार वातानुकूलित कमरों में नहीं रहते थे, इसलिए गर्मी का सौंदर्य वर्णन बड़ा कष्‍टदायक और इसलिए त्‍याज्‍य था। उम्‍मीद है अब के सा‍हित्‍यकार आपसे प्रेरणा ग्रहण कर इस दिशा में कुछ अभिनव सर्जना करें :) बहरहाल गर्मियों में फूलनेवाले गुलमोहर और अमलतास का सौंदर्य वर्णन तो होता ही रहा है।
  23. kanchan
    चांद सूरज की चमक से ही चमकता है। लेकिन लोग उसकी तारीफ़ सूरज से ज्यादा करते हैं। इससे साबित होता है कि लोग शान्त स्वभाव वाले व्यक्ति को ज्यादा पसंद करते हैं भले ही वह कमजोर हो और उधार की खाता हो। सूरज शायद इसी बात से भन्नाया रहता है।
    shayad sach yahi hai
  24. Abhishek Ojha
    गजबे नजर से देखे हैं गर्मी को ! सौन्दर्य टपटप चू रहा है !
  25. गौतम राजरिशी
    क्या लिखते हो देव…गर्मी का ये सौदर्य-वर्णन वाकई अप्रतिम है।
    सोचता हूँ, एक-दो खयाल उठा लूँ और तीन-चार शेर ठेल दूं अपनी नयी ग़ज़ल के लिये।
    इजाजत है क्या?
  26. venus kesari
    garmee ka itna sundar varnan
    vaah
    venus kesari
  27. अन्योनास्ति
    काओ धासूं गर्मिहा पोस्ट ठेलेओ , दिमाग एक दमे गर्मियाये गा ,बोलह मुन्ना काओ फूंकी- तापी , फ़िरओ ब्लागिस्तान मां आग नइखे लागल ?
    लगत बा सभै नव ज्ञान हेतु ” स्वाइन – फ्लू और समलैंगिकता [पुरूष] के बहाने से ” की गोष्ठी में चला गए हैन|
  28. K M Mishra
    चांद सूरज की चमक से ही चमकता है। लेकिन लोग उसकी तारीफ़ सूरज से ज्यादा करते हैं। इससे साबित होता है कि लोग शान्त स्वभाव वाले व्यक्ति को ज्यादा पसंद करते हैं भले ही वह कमजोर हो और उधार की खाता हो। सूरज शायद इसी बात से भन्नाया रहता है।
    Anup G sirh ek yahi line hi nahi pura lekh hi madhwa kar rakhane layak hai. Badhai ho. Jai ho.
  29. K M Mishra
    Bumphaat
  30. आशीष
    गर्मी और उसके साथियों का इतना अच्छा लेखा जोखा पहले कहीं पढा हो याद नहीं आता है। मज़ा आ गया। वैसे सूरज़ शायद एक और बात से चन्दा से जलता हो: वो ये कि चन्दा के लिये तो चादनी है लेकिन सूरज़ जे लिये गर्मी, जोडी कुछ जमी नहीं।
  31. कहलाने एकत बसत अहि मयूर मृग बाघ।जगत तपोवन सो कियो दीरघ दाध निदाध॥
    Kahlane eakat basat ahi mayur mrig bagh jagat tapovan so kiyo diradh dadh nidadh.Bihari
  32. Laxmi N. Gupta
    “गर्मी के मौसम में सड़क पर तारकोल पिघल रहा है। लग रहा है सड़क के आंसू निकल रहे हैं। बादलों के वियोग में वह काले आंसू रो रही है।”
    वाह! क्या कविता है। अगर मैं अवकाशप्राप्त नहीं होता तो इस स्त्मंभ से चुरा कर कई कवितायें लिख देता लेकिन अब काम करने के लिए मन नहीं करता।
  33. SHUAIB
    बहुत दिनों बाद आपके यहां आया हूं, दिल ख़ुश हुआ आपका लेख पढ़कर :)
  34. चंद्र मौलेश्वर
    ” तुम आटा गूंथकर गयी वो अभी तक गीला बना हुआ है। …” हाँ तो, गरीबी में आटा गीला होता ही है:)
  35. venus kesari
    kai din baad aake blog par aana huaa
    dekh kar achcha laga ki ab tak aapne kuch naya nahee likha jo ham padh na paye ho :)
    venus kesari
  36. sarita
    अति सुंदर
  37. रंजना
    उफ़ क्या कहूँ…….लाजवाब,बेजोड़, एकदम से मुग्ध कर लिया आपके इस अप्रतिम ग्रीष्म वर्णन ने……एक एक वाक्य पर सौ सौ दाद…..
    आपके ये आलेख संभाल कर रख लेती हूँ…जब कभी मन बोझिल हुआ करेगा,इनके सहारे झट तरोताजा हो जाया करूंगी…
  38. J.L. Singh
    Samudra manthan ke baad jitnee cheejein niklee hongee, usase kahee jyada kuch mujhe is lekh mein mil gaya. Thanks a lot!.
  39. Puja Upadhyay
    गर्मी में इस पोस्ट को पढ़ने का अपना ही मज़ा है. गर्मी का ऐसा सौंदर्यफुल वर्णन मैंने आज तक नहीं पढ़ा…धन्य हुआ साहित्य कि आपने इग्नोर की गयी गर्मी की सुध ली और हमें ऐसी फुरसतिया पोस्ट पढ़ने को मिली.
    Puja Upadhyay की हालिया प्रविष्टी..सो माय लव- यू गेम
  40. : फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] गर्मी का सौन्दर्य वर्णन 39 comment(s) [...]
  41. kiran vishwakarma
    थैंक्यू
  42. Basanta Acharya
    हिन्दी साहित्य बहुन अच्छा है,
    Basanta Acharya English Nepali translator

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