Tuesday, August 04, 2009

गर छेड़ा तो पिटोगे भैया से बता देती हूं सच्ची में

http://web.archive.org/web/20140419214650/http://hindini.com/fursatiya/archives/663

39 responses to “गर छेड़ा तो पिटोगे भैया से बता देती हूं सच्ची में”

  1. mahendra mishra
    बिजली फ़िर चली गई और इक आवाज हुई चटाक से
    फ़िर से लैला को मजनू ने जबरियन ’किस’ किया होगा।
    हफ़्ते से बलबला रहा है, इक सांड़ सा सड़क पर,
    कहीं फ़िर कोई कांजी हाउस खुला रह गया होगा।
    बहुत सही महाराज
    बहुत सटीक धाँसू पोस्ट. धन्यवाद.
  2. विवेक सिंह
    थोड़ी आशा जगी है कि अब शायद हमारी दुकान को भी चमकने का मौका मिले !
  3. मुकेश कुमार तिवारी
    अनूप जी,
    कमाल करते हैं आप, गुदगुदाती हुई पोस्ट :-
    न हाथ में मोबाइल न झरती अंग्रेजी मुख-मुहाने से
    ये ब्लागर हो नहीं सकता ,कोई भला आदमी रहा होगा।
    पिट के फ़िर से आया है , बलबला रहा है गुस्से में
    मसल निकली हैं आमिर सी ,कोई बहादुर रहा होगा।
    हफ़्ते से बलबला रहा है, इक सांड़ सा सड़क पर,
    कहीं फ़िर कोई कांजी हाउस खुला रह गया होगा।
    और अंत में इन पंक्तियों में तो जीवन रहस्य छिपा है, ना जाने कितनहौं बार दुहराई गयीं हैं चौराहन पर फिरौ नीक लागत हैं :-
    गर छेड़ा तो पिटोगे भैया से बता देती हूं सच्ची में,
    बहुत दिन बाद लड़की को मौका मिलन का मिला होगा।
    सादर,
    मुकेश कुमार तिवारी
  4. ताऊ रामपुरिया
    हम भी दुकान चमकाने की आशा मे लाईन लगाये बैठे हैं.
    रामराम.
  5. रवि
    एक शेर दरअसल असल में ये है, जिसे जान-बूझकर तोड़ा-मरोड़ा गया है. खुलासा किया जा रहा है -
    न हाथ में मोबाइल न झरती अंग्रेजी मुख-मुहाने से
    ये ब्लागर हो नहीं सकता , फुरसतिया रहा होगा।
  6. अजय कुमार झा
    शुकल जी ….एगो शंका का समाधान कीजिये तो…मान लीजिये कौनो अभी अभी किसी छेड़ने वाले को पीती हो…आ थोडी देर बाद कौनो दूसरा …हाँ कौनो ब्लॉगर ही नमबर लगा दे ..तो कतना प्रतिशत चांस होता है पिटने का…..नहीं नहीं हम तो ओइसे ही पूछ रहे थे ….बांकी ई फोटुआ कैसन तो लगा दिए हैं आप…कौनो न कौनो अपना पति दर्ज करियेबे करेगे ..अरे पति माने आपत्ति ..का आप बचवा का टांग खींच रहे हैं
  7. ALBELA KHATRI
    maza aaya……..
  8. संजय बेंगाणी
    क्या जूड़ रहे है जी? और फोटो? ठीक है जी देखने आते है :)
    वैसे अंतिम वाली पंक्तियाँ चकास थी… :)
  9. सतीश सक्सेना
    फिर पंगा ले रहे हो अनूप भाई , आप भी नहीं सुधर सकते…. छेड़ने में कई बार पिट चुके हो ….
    शुभकामनायें !!
  10. रचना
    Lines are good.. but one more thing– today’s flowers are too good!! having special shades and freshness :)
  11. Shiv Kumar Mishra
    बहुत खूब!
    कसम ली घटिया लिखने की, कि चमकेगी दुकानें औरों की
    ऐसा सब तो सोचने से रहे, कोई बडका ब्लॉगर रहा होगा
  12. Dr.Manoj Mishra
    न हाथ में मोबाइल न झरती अंग्रेजी मुख-मुहाने से
    ये ब्लागर हो नहीं सकता ,कोई भला आदमी रहा होगा………
    आज मूड में हैं?
  13. कुश
    अभी ना जाओ छेड़कर.. मेरा मतलब है.. छोड़कर..
    कि दिल अभी भरा नही..
  14. Pankaj
    हफ़्ते से बलबला रहा है, इक सांड़ सा सड़क पर,
    कहीं फ़िर कोई कांजी हाउस खुला रह गया होगा।
    bahut khoob!!
  15. PN Subramanian
    “हफ़्ते से बलबला रहा है, इक सांड़ सा सड़क पर,
    कहीं फ़िर कोई कांजी हाउस खुला रह गया होगा”
    पढ़कर तो हम भी बिलबिला गए. आभार. .
  16. अर्कजेश
    ब्लोगरी की मूल भावना बचाए रखने के लिए अच्छा चेताया आपने | ब्लोगिंग की मूल भावना है क्या इसके बारे में भी बताने का कष्ट करें | ब्लॉग्गिंग में प्रतिभा पलायन का खतरा पैदा हो रहा है क्या |
    और भी जुड़ने के बाद और टिप्पणी करेंगे |
  17. Shiv Kumar Mishra
    लिखी थी पोस्ट नई और भेजा था लिंक टिपियाने खातिर
    आज फिर से नहीं आया, आज फिर से मेटिया दिया होगा
    आज फिर से किया है उसने टंकी आरोहण का प्रोग्राम
    पढ़कर लगता है शायद कोई बेनामी गरिया गया होगा
  18. anita kumar
    :) मौजूं पोस्ट, कुश की टिप्पणी बढ़िया और रवि रतलामी जी की टिप्पणी उससे भी बड़िया
  19. Gyan Dutt Pandey
    उनका “खराब” लिखना भी कौंधाता है बिजली।
    यहां “अंग्रेजी” के बटन से भी लाइट नहीं जलती! :-(
  20. वन्दना अवस्थी दुबे
    ये तो बहुत बढिया है…इसे आगे बढाऊं क्या?
  21. वन्दना अवस्थी दुबे
    न थी कमीशन की कोई बात,
    न थी रिश्वत कहीं से भी,
    वो थी बदली की फटकार,
    जो बादल लौट गया होगा.
  22. समीर लाल
    दिखा था कल ही नुक्कड़ पर, छेड़ता फिर रहा उसको,
    पिटा फिर लौट कर आया, जाने क्या कर रहा होगा.
    सुना है ब्लॉग लिखता है, फोटूओं को सटा कर के,
    दर्द पिट के जो उठता है, पोस्ट में धर रहा होगा.
    -जैसी उम्मीद थी, वही करते मिले. साधुवाद!! :)
  23. समीर लाल
    अब पूरी: :) फुरसतिया जी को फुरसत में समर्पित:
    नलों से गुम हुआ पानी, कुँऐं से भर रहा होगा
    मिले ’बधाई’ मरने पर, कोई ब्लॉगर रहा होगा.
    दिखा था कल ही नुक्कड़ पर, छेड़ता फिर रहा उसको,
    पिटा फिर लौट कर आया, जाने क्या कर रहा होगा.
    सुना है ब्लॉग लिखता है, फोटूओं को सटा कर के,
    दर्द पिट के जो उठता है, पोस्ट में धर रहा होगा.
    पड़ा वो आज खटिया पर, बिमारी की पनाहों में,
    बिना ब्लॉगिंग के बेचारा, तड़प कर मर रहा होगा.
    टिप्पणियाँ कर नहीं पाता, भूल सब जायें न उसको,
    पोस्ट अगली वो कब लिखे, इसी से डर रहा होगा.
    नाम कुछ और है लेकिन, बुलाते ’तश्तरी’ उसको,
    सुनाता फिर भी किस्से है, नशे में तर रहा होगा.
    -समीर लाल ’समीर’
  24. sbai
  25. निट्ठल्ला टोपोवाला

    छोड़ ब्लागिंग बैठा है यह निट्ठल्ला क्यूँ, न मानो ये ज़रूर दुकान चमकाने में लगा रहा होगा !
    मुझको न थी ख़बर कि ब्लागर भी है मुझमें, सभी को यह ख़बर तेरी रक़ाबत से मिला होगा !

    रक़ाबत =प्रतिद्वँदिता
  26. दिनेशराय द्विवेदी
    मजेदार पोस्ट है जी। लगता है बरसात को रिझाने का प्रयास है।
  27. venus kesari
    कुछ पल्लें नै पड़ा :(
    वीनस केसरी
  28. Prashant (PD)
    @रवि जी – ई एकदम्मे से गलत बात है.. हम जब इनसे मिले थे तब इनके हाथ में मोबाईलवा लऊक(दिख) रहा था.
    हमरे भीतर का शायर भी जाग रहा है.. तो यह गुरू जी श्री श्री श्री 420(108 से ज्यादा है) फुरसतिया महाराज जी को समर्पित.. :)
    ई का का लिख दिये हैं लम्बा-चौड़ा, अंट-संट..
    लिखे वाला जरूर फुरसतिया रहा होगा..
  29. Prashant (PD)
    पिछले शेर में थोड़ा सुधार –
    ई का का लिख दिये हैं अल्ल-बल्ल..
    लिखे वाला जरूर फुरसतिया रहा होगा..
  30. Dr.Arvind Mishra
    पिटने के इस जुमले से पडा है मेरा भी साबका
    यह किसी फुरसतिया ने छुप छुप के सुना होगा
  31. काजल कुमार
    मिठाई फिर खाना कहां मना है. :)
  32. गौतम राजरिशी
    हा! हा! हा!
    बेहतरीन!
  33. अशोक पाण्डे

    पिट के फ़िर से आया है , बलबला रहा है गुस्से में
    मसल निकली हैं आमिर सी ,कोई बहादुर रहा होगा …
    उम्दा शायरी! आनन्द आया!
  34. अब तो कुछ कर गुजरने को दिल मचलता है
    [...] पिछ्ली पोस्ट में वीनस केशरी ने टिपियाया था-कुछ पल्लें नै पड़ा हमें पता है कि वीनस हमसे मौज लेते रहते हैं। असल में वे चाहते हैं कि हम जब भी शेर-ऊर, गजल-उजल टाइप कुछ लिखें तो ब़हर में लिखें। लेकिन ऊ सब पल्ले नहीं पड़ता भैया हमरे। और रही बात समझने की तो हमें खुद बहुत कुछ समझ में नहीं आता अपना लिखा लेकिन हम कभी मुंह लटकाते हैं अपनी पोस्ट पर? नहीं न! फ़िर आप क्यों दुखी होते हैं। इत्ते परेशान काहे होते हैं। हम आपको बतायें भैया कि तमाम पोस्टें हम कई-कई बार पढ़ते हैं। जब नहीं समझ में आता तो पोस्ट के सबसे अबूझ अंश को कापी-पेस्ट करके टिपिया देते हैं- बहुत अच्छा लिखा। मजा आ गया (समझने से बच गये)। तो भैया पल्लै नै पड़ने दुखी मत हुआ करो। मुस्कराते हुये टिपिया दिया करो अच्छा सा समीरलाल की तरह। इलाहाबाद जब आयेंगे तब ज्ञानजी से पैसे लेकर चाय पिलायेंगे। [...]
  35. शशि सिंह
    मोहल्ले में नज़र आता नहीं सालों से
    जरूर कोठरी में बंद रहा होगा
    लगा था रोग जब ब्लॉगिंग का
    पड़ोसियों ने खुब मिजाजपुर्सी किया होगा
    फुरसतिया को पढ़कर ठहाका लगाया होगा
    दिमाग पर लग गया अब कोई सदमा
    घर वालों को कुछ ऐसा लगा होगा
    रांची-आगरा के डॉक्टरों से मिलाया होगा
    छोड़ दे ब्लॉगिंग उसे समझाया होगा
    मछली जल की रानी है जीवन उसका पानी है
    छोड़ कैसे दे ब्लॉगिंग उसकी भी यही कहानी है
    मरने पर न रोय कोई उसके
    आखिरी पोस्ट में उसने यही लिखा होगा
    रखूंगा हास्य कवि सम्मेलन तेरी याद में
    समीरलाल ने अपनी टीप में वचन दिया होगा
    मरने पर न जिसके मातम मना होगा
    हो न हो जरूर कोई ब्लॉगर रहा होगा
  36. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    फुरसतिया ने छेड़ दी, छेड़छाड़ की तान।
    गिरते पड़ते दौड़ते, ब्लॉगर रचते गान॥
    ब्लॉगर रचते गान, घोर तुकबन्दी बनती।
    टिप्पणियों की रेल-पेल में कविता छनती॥
    अजब-गजब सी होती इस चिठ्ठे की बतिया।
    डूब गया ‘सिद्धार्थ’, पिलाये जा फुरसतिया॥
  37. K M Mishra
    कुछ कम अच्छा लिखा करें। औरों को भी अपनी दुकान चमकाने की गुंजाइश बचने दें!
    1.बिजली फ़िर चली गई और इक आवाज हुई चटाक से
    फ़िर से लैला को मजनू ने जबरियन ’किस’ किया होगा।
    का अनुप जी, अब इत्ता भी बढ़िया मत लिखो कि हमारी दुकान ही बंद हो जाये ।
  38. randhirsingh   suman
    1.बिजली फ़िर चली गई और इक आवाज हुई चटाक से
    फ़िर से लैला को मजनू ने जबरियन ’किस’ किया होगा।.good
  39. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] [...]

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