Friday, February 19, 2010

जीवन पथ पर मिले इस तरह जैसे यह संसार मिला

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दो दिन पहले रमानाथ अवस्थीजी के गीतों का कैसेट मिला तो उसी के साथ एक और दुर्लभ कैसेट मिला। इस कैसेट में हमारे विवाह के अवसर पर गाया गया स्वागत गीत और साथ में कई और मंगलगीत टेप हैं। यह कैसेट कई-कई बार खोया और जितने बार खोया उतने ही बार मिल भी गया। इस बार मिला तो मैंने सोचा आपको भी इसके कुछ गीत सुनवा दूं।
शादी हमारी हुई थी आज से 21 साल पहले 9 फ़रवरी को। शादी ब्याह के मौके पर स्वागत गीत छपे हुये तो हम देखते-सुनते आये थे! इनमें से अधिकतर में वर-वधू पक्ष के लोगों के नाम किसी तरह लय और ताल में घुसा कर गीत बना दिये जाते हैं। लेकिन अपनी शादी में मैंने सुना जब यह गीत तो पाया कि इसके लिये बाकायदा रिकार्डिंग करके हारमोनियम,मंजीरा आदि गाने-बजाने वाले वाद्य यंत्रों को भी शामिल किया गया है। उसी दिन मैंने यह मुक्तक सुना जो कि फ़िर मेरा पसंदीदा मुक्तक बन गया:
जब भी महफ़िल में नजारों की बात होती है
रात में चांद सितारों की बात होती है
उस समय लब पर तुम्हारा ही नाम आता है
जब भी गुलशन में बहारों की बात होती है।

गीत सुनते हुये 21 साल पहले की तमाम यादें बेतरतीब स्लाइड शो सी इधर-उधर होने लगीं। हमने कसके डांटा यादों को- ज्यादा-उछल कूद न करो!जरा अनुशासित होकर रहो वर्ना की बोर्ड से बाहर कर देंगे। लेकिन यादें रूपा फ़्रंटलाइन बनियाइन धारी मॉडल की तरह उचक-उचक सबसे आगे आती रहीं।
हमने कसके डांटा यादों को- ज्यादा-उछल कूद न करो!जरा अनुशासित होकर रहो वर्ना कीबोर्ड से बाहर कर देंगे। लेकिन यादें रूपा फ़्रंटलाइन बनियाइन धारी मॉडल की तरह उचक-उचक सबसे आगे आती रहीं।
मुझे याद है कि उस दिन जयमाल के बाद हमारे साथ के मित्र और हमारे सीनियर कैलाश वर्मा जी देर रात तक बस अड्डे पर ठेले की एक चाय की दुकान पर चाय पीते हुये कवितापाठ करते रहे। उस दिन कैलाश वर्मा जी ने जो कविता पढ़ी वह बाद में मेरे घर में आने पर सुनाई जो कि इसी कैसेट में है शायद! इधर हम कवितापाठ कर रहे थे उधर हमें खोजा जा रहा था क्योंकि विवाह का समय हो रहा था। मोबाइल का चलन तो हुआ नहीं था उस समय जो काल करके बुला लिये जाते! भयंकर सर्दी में सड़क पर खोजे जा रहे थे हम! दूल्हा न होते तो जाड़े में गर्म कर दिये जाते। लेकिन तब फ़िर पूछता ही कौन?
उन्हीं दिनों की एक तुकबंदी भी याद आ रही है। एक मित्र की शादी में शुभकामना स्वरूप संदेशा लिखते हुये मैंने लिखा था:
उई बने रहें, उई बनीं रहैं,
दोनों मिल-जुल कर चले रहैं।

काहे ते यौ कलयुग का संकट है
उई बने रहत उई बनी रहतिं
मुलु दोनों गन्ना अस तने रहत
औ मिलि 36 की स्रष्टि करत!
ईश्वर ते यहै प्रार्थना है
अल्ला ते यहै गुजारिश है
ई 36 उल्टैं 63 मां
और गन्ना बदलै भेली मां।
उई बनी रहैं उई बने रहैं
दोनों मिल-जुल कर चले रहैं।


भावार्थ: कामना है कि पति और पत्नी दोनों आपस में मिलजुल कर जीवन जीते रहें। क्योंकि यह कलयुग का संकट है कि पति और पत्नी दोनों बने रहते हैं लेकिन आपस में गन्ने की तरह तने रहते हैं। और दोनों में 36 का आंकड़ा बना रहता है। इसलिये ईश्वर से यही प्रार्थना है और अल्लाह से गुजारिश है कि यह 36 का आंकड़ा 63 के आंकड़े में बदल जाये और गन्ने जैसे तने हुये पति-पत्नी समय अपने रस को मिलकर एकाकार हो जायें जैसे अलग-अलग गन्ने से निकला रस मिलकर एकाकार होकर गुड़ की भेली बनाता है। दोनों मिल-जुलकर बनें रहें।
डा.अनुराग आर्य की विवाह वर्षगांठ वेलेंटाइन दिवस के दिन थी। वे मुझको अक्सर प्रेम-प्यार से रहने और अच्छा लिखते रहने की समझाइस भी देते रहते हैं। उस दिन सोचते ही रह गये लेकिन उनको विवाह वर्षगांठ की बधाई भी न दे पाये। अब यह पोस्ट खासकर उनके लिये । शादी की सालगिरह और वेलेंटाइन दिवस की मुबारक के ! बस खाली ये करें गीत सुनते समय अनूप -सुमन के स्थान पर अनुराग-मीनाक्षी सुनें! बाकी के जोड़े भी यथानुरूप नाम परिवर्तन कर लें। सागर जैसे मुक्त सोर्स वाले बच्चे बार-बार नया-नया नाम जोड़ते हुये फ़ाइनली पसंद आने वाला नाम मिलने तक इसे मनचाहा नाम जोड़कर सुन सकते हैं! :)



जीवन पथ पर मिले इस तरह जैसे ये संसार मिला


जीवन पथ पर मिले इस तरह जैसे ये संसार मिला,
नयन-नयन से मिले परस्पर दो हृदयों का प्यार मिला।

बरसों बाट जोहते बीते था नयनों को कब विश्राम ,
सहसा मिले खिला उर उपवन सुरभित वंदनवार ललाम।
वर ‘अनूप’ को ‘सुमन’ सदृश सुरभित झंकृत उर तार मिला।
जीवन पथ पर मिले इस तरह जैसे यह संसार मिला।

था निराश सागर में डूबा तिनके का न सहारा
आज वही अनुकूल हो गया जो प्रतिकूल किनारा था
क्योंकि भाग्यवश आज मुझे आशाओं का अम्बार मिला
जीवन पथ पर मिले इस तरह जैसे ये संसार मिला।

ये तो है पर घर की थाती माता की ममता का ज्ञान
धन्य घड़ी जिस दिन होता है हाथों से क्न्या का दान
आज इसे इस घर से उस घर जाने का अधिकार मिला
जीवन पथ पर मिले इस तरह जैसे ये संसार मिला।

देते आशीर्वाद सुहृदजन, घर बाहर के सज्जन वृंद,
जब तक रवि, शशि रहें जगत में तब तक रहें अटल संबंध
आज सुखद बेला में प्रतिपल मित्र जनों का प्यार मिला
जीवन पथ पर मिले इस तरह जैसे ये संसार मिला।

युग-युग अमर रहे ये जोड़ी इसको पग-पग प्यार मिले,
फूले-फले जवानी प्रतिपल नवजीवन संचार मिले,
जैसे ‘कंटक’ की बगिया में प्रिय फूलों का हार मिला,
जीवन पथ पर मिले इस तरह जैसे येह संसार मिला।

 जीवन पथ पर मिले इस तरह जैसे ये संसार मिला,
नयन-नयन से मिले परस्पर दो हृदयों का प्यार मिला।

गीतकार और गायक कंटक जी
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30 responses to “जीवन पथ पर मिले इस तरह जैसे यह संसार मिला”

  1. संजय बेंगाणी
    क्या बात है! पोस्ट के लिए नहीं जी. फैमिली फोटू के लिए :) जुग-जुग जियो…दूधो नहाओ… :)
  2. Shiv Kumar Mishra
    अद्भुत!!
    इतनी पुरानी रिकार्डिंग्स मिल जाए इससे बढ़िया बात और क्या होगी? पॉडकास्ट सुन लिया. बहुत बढ़िया गीत है. विवाह की वर्षगाँठ की हार्दिक शुभकामनाएं.
  3. arvind mishra
    बहुत शुभकामनायें -अपना भी रिकार्ड ढूंढते हैं -हो सकता मिला जाय तो हम भी साझा कर लेते हैं
  4. dr anurag
    शुक्ल जी …कुल ५ दिन का हेर फेर है …तब तक बाबा वेलेंटाइन शायद भारत नहीं पहुंचे थे ..दरअसल इस अवसर को सार्वजानिक करने में हमारी सोच थोड़ी कज़रवेटिव हो जाती है ….पर इंटरनेट के फेसबूकी युग में कुछ छिपा कर रखना शायद मुमकिन नहीं है …….खैर ये गीत हम रात को सुनेगे …फ़िलहाल एक शुक्रिया आपकी खिड़की पे फेंक रहे है …एक पहले पंकज की खिड़की पे जमा है ..केसेट को अब सी .डी में कन्वर्ट कर लीजिये .. इसे समझाइस..मान लीजिये ….
    “सागर जैसे मुक्त सोर्स वाले बच्चे बार-बार नया-नया नाम जोड़ते हुये फ़ाइनली पसंद आने वाला नाम मिलने तक इसे मनचाहा नाम जोड़कर सुन सकते हैं!”
    जे वाक्य कुछ कन्फयुस कर गया ..सागर कुछ टोर्च फेंकेगे
  5. समीर लाल
    बहुत आनन्द गीत सुन कर. विवाह की वर्षगाँठ की विलंबित बधाई एवं शुभकामनाएँ.
  6. Ghost Buster
    अरे वाह! क्या खूब! ढेर सारी बधाईयां. अब ई-स्वामी की पसंदीदा पोस्ट पढ़ने जा रहे हैं.
  7. ताऊ लठ्ठवाले
    बहुत बधाई जी, आज ही मालूम पडा.
    रामराम.
  8. anitakumar
    कंटक जी बहुत ही अच्छे गीतकार और उससे ज्यादा सुरीले गायक हैं। इक्कीस साल बाद भी इस कैसेट की सांउड क्वालिटी इतनी अच्छी है यकीनन सुमन जी ने बहुत सहेज के रखा है और क्युं न हो। आप के यहां शादी इतनी संगीतमयी होती है पता नहीं था, हमारी तरफ़ तो हमने सेहरा गाते सुना था लेकिन अब तो वो भी पुरानी बात हो गयी, फ़िल्मी गानों का जोर है।
    डा अनुराग और मिनाक्षी जी को और आप को व सुमन जी को भी वैवाहिक वर्षगांठ की ढेर सारी बधाई। हम सब के साथ इतना सुरीला और इतना व्यक्तिगत गीत साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रगुजार हैं। आशा है डा अनुराग भी ऐसा ही अपना कैसेट ढूंढ निकालेगें और अरविन्द जी भी।
  9. प्रवीण पाण्डेय
    बहुत आनन्द आया । बधाईयाँ ।
  10. लावण्या
    डा अनुराग और मिनाक्षी जी को और आप को व सुमन जी को भी वैवाहिक वर्षगांठ की ढेर सारी बधाई।
    ” कंटक ” जी की आवाज़ खनकती और साफ़ है
    सुन्दर प्रसंद होगा जिसकी आज भी वैसी ही शुभ छवि दीख रही है
    आपके साहबजादे , माशाल्लाह बड़े हो गये हैं …समस्त परिवार जनों को मंगल कामनाएं आप इसी तरह लिखते रहें ……all good wishes ….
    - लावण्या
  11. amrendra nath tripathi
    गन्ना और गुड़ का ३६ और ६३ से जोड़ना अभूतपूर्व रहा ..
    शादी पर सेहरा गाने का विधान हुआ करता था , जो
    कमोबेश लुप्त हो चुका है … आपका ” जीवन पथ पर
    मिले इस तरह जैसे ये संसार मिला ” , सुनते – सुनते
    सेहरा की याद आ गयी …….
    यहाँ की अवधी तो गजब चित्ताकर्षक है —
    उई बनी रहैं उई बने रहैं
    दोनों मिल-जुल कर चले रहैं ….
    …………. ” बन्नी ” और ” बन्ने ” की ध्वनि भी
    गुम्फित है यहाँ ! यह सौन्दर्य भी गजब है !
  12. amrendra nath tripathi
    विवाह के वर्ष गाँठ की ढेर सारी बधाइयाँ …
    यह खुशी भी कैसेट के स्वर जैसी ही अमित है …
    कोटिशः बधाइयाँ !!!
  13. Prashant(PD)
    सागर, कहाँ हो भाई? लोग चिल्ला-चिल्ला कर गला फाड रहे हैं और तुम हो की ऐसे गायब हुए हो जैसे बेनानी सीमेंट से मजबूती.. ;)
    गाना सुने, खूब पसंद भी आया.. :)
  14. Kavita Vachaknavee
    विवाह वर्षगाँठ की ढेर बधाइयाँ …
  15. वन्दना अवस्थी दुबे
    वाह! मज़ा आ गया. सच है सुमन जी ने इस कैसेट को बहुत सहेज के रखा, वे संगीत-प्रेमी और पारखी हैं शायद इसीलिये. तस्वीरें बहुत सुन्दर हैं. शादी की ही कोई तस्वीर आप डालते तो और भी आनन्द आता. स्वागत गीत बहुत सुन्दर है.
  16. Abhishek
    ज़माना पुराना गीत सुने मजा आया ! डॉक्टर साब को एक एसेमेस तो हम भेजने वाले थे लेकिन गोवा में भूल गए :)
    अब दोनों दम्पतियों को यहीं बधाई दिए दे रहे हैं.
  17. हिमांशु
    खूबसूरत प्रविष्टि ।
  18. Dr.Manoj Mishra
    बहुत ही सुंदर.
  19. Saagar
    हे हे हे हे ! :)
    हमने अपने सारे विकल्प खुले रखे हैं सर जी, हम सब के हैं…
    जो भी प्यार से मिला हम उसी के हो लिए,
    जहाँ पर खटिया मिली हम वोहीं पर सो लिए
    इस मुआमले में हम बहुत क्लिअर हैं … एक वाक्य सुनाता हूँ एक बार हमारे दफ्तर के एक महिला ने पूछा था —
    “सागर इतना काम कैसे करते हो? तुम्हारी शक्ति क्या है ”
    “मेरी गर्लफ्रेंड मेरी शक्ति है” – मैंने जवाब दिया (तिकोना सा मुंह बना कर)
    फिर तुम्हारी कमजोरी क्या है ?
    “दूसरे की गर्लफ्रेंड मेरी कमजोरी है” – मैंने छुटते ही जवाब दिया (चौकोर सा मुंह बना कर)
    इस प्रकार,
    हमने एक और सम्भावना उनकी तरफ फैंक दिया था .)
    अतैव,
    हमने यहाँ कई नाम जोड़े (अतीत और वर्तमान के )
    अंतरिम मसौदा तैयार होने पर आपको सूचित किया जायेगा.
  20. Gyan Dutt Pandey
    तिरसठिया जोड़ी जुग जुग जिए! गुड की भेली सदा रहे हलवा बनाने को!
  21. amrendra nath tripathi
    @ सागर भाई ,
    मान गए ” अभिनव-मदन” हो .. फेंके जाल में मछलिया फंसी ? .. कि जाल में खुद फंस गए ? …
    खैर …. चाहे खरबूजे पर चाकू गिरे या चाकू पर खरबूजा … :)
    ……… ६० साल पुरानी किताब के मुख – पृष्ठ पर था जहान – सोज बेवकूफ बहुत हंस रहा था ….. :)
  22. aradhana
    गीत नहीं सुन पाये…सर्वर ठीक नहीं है. पर फोटुवा बड़ी अच्छी लगी. कैसेट अब मत खोने दीजियेगा और यादों को डाँटियेगा मत…!
  23. Manoj Kumar
    बधाई व शुभकामनाएं।
  24. प्रवीण त्रिवेदी ╬ PRAVEEN TRIVEDI
    सुन्दरतम !
    पिछले २०-२५ दिन का बोझ हल्का होता लगा !
    सच ! बिलकुल सच !
    नाम बदल कर पढने की कोशिश हम भी करेंगे |
    वैसे ९ फरवरी में कितना जोड़ें कि १५ हो जाए ? :)
  25. प्रवीण त्रिवेदी ╬ PRAVEEN TRIVEDI
    मुझे याद पड़ता है कि मेरी बहन (ताऊ जी की )की शादी ऐसी अंतिम शादी थी (1988) जिसमे अंतिम बार ऐसे वैवाहिक समारोहों में इस तरह के अभिनन्दन पत्र पढ़ा जाना और बारातिओं को बांटा जाना याद है | सर जी आपके भी क्या कहने ? सोचा दुबारा थैंक यूं ठेल आयें!
  26. …मगर अब साजन कैसी होली
    [...] सागरसाहब कहते हैं उनकी प्रेमिकायें उनकी ताकत हैं और [...]
  27. Pankaj Upadhyay
    बहुत बहुत शुभकामनायें! तस्वीरें बहुत प्यारी हैं :-)
    Pankaj Upadhyay की हालिया प्रविष्टी..नोट्स…
  28. : ये पीला वासन्तिया चांद
    [...] [...]
  29. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] [...]
  30. krishan narayan shukla
    अब हम क्या कहे .कहने वालो ने तो सब कह दिया आवर,लिखने वालो ने सब लिखदिया

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