Tuesday, March 01, 2011

ट्विटरिया ब्लागिंग के कुछ नमूने

http://web.archive.org/web/20120318005253/http://hindini.com/fursatiya/archives/1883

ट्विटरिया ब्लागिंग के कुछ नमूने

    ट्विटरिया ब्लागिंग के कुछ नमूने
  1. पता नहीं लोग ब्लागिंग में अच्छा लिखने के लिये काहे इत्ता हलकान रहते हैं। जबकि ब्लागिंग की नींव तथाकथित खराब लिखने वालों पर टिकी है।
  2. ब्लागिंग का भला चाहने वाले टोंक-टोंक कर इसकी स्वाभाविकता खतम करने का बुरा काम करते हैं।
  3. बिना रगड़-घसड़ के जब दुनिया नहीं चलती तो ब्लागिंग कैसे चल सकती है। लड़ाई-झगड़ा, अबे-तबे विहीन ब्लागजगत मुझे किसी अस्पताल की इंटेसिव केयर यूनिट सा डरावना लगता है।
  4. कुछ साधारण (घटिया नहीं लिख रहे हैं लेकिन अगर आप समझना चाहो तो समझ लो) कविताओं में तत्सम शब्दों की भरमार देखकर किसी ऐसे लोफ़र (जिसे उसके घर वाले मारे प्यार के क्यूट कहते रहते हैं) बच्चे की याद आती है जो भाव मारने के लिये अपने चाचा, ताऊ, मामा, भांजे के बड़े पदों पर होने का हवाला देकर प्रभाव डालना चाहता है। ( अगर आप कवि हैं और आपको लगता कि यह बात आपके लिये लिखी गयी है तो हमारा डिस्क्लेमर भी साथ में शामिल करे लें कि ऐसा कतई नहीं है। यह होना मात्र एक संयोग है! )
  5. अच्छा लिखने वाले और खराब लिखने वालों में से किसी एक को चुनना हो तो मैं खराब लिखने वाले को वोट दूंगा। एक तो इसलिये कि वे बहुमत में हैं और दूसरे इसलिये कि उनके अच्छे लिखने की संभवनायें हमेशा बनी रहती हैं।
  6. खराब लेखन और घटिया लेखन में अंतर सिर्फ़ मंशा का होता है। कुछ लोग अच्छी-अच्छी बातें भी इस तरह लिखते हैं जिसे देखकर लगता है कि कितनी घटिया बात लिखी है।
  7. अपने प्रेम. मोहब्बत और लगाव का हवाला देते समय मुझे सोने के गहने याद आते हैं जिनकी मजबूती बनाने/दिखाने के चक्कर में उनकी शुद्धता (कैरेट) कम हो जाती है।
  8. स्विस बैंक का पैसा आकर यहां करेगा क्या? आयेगा फ़िर वापस चला जायेगा! काहे के लिये किराया फ़ूंकना!
  9. काला रंग सब तरह के प्रकाश को सोख लेता है वैसे ही काला पैसा भी होता होगा क्या?
  10. स्विस बैंक के नोट बेचारे अंधेरे में फ़ड़फ़ड़ाते होंगे। फ़ड़फ़ड़ा भी नहीं पाते होंगे। वे एयरकंडीशन में पड़े कहीं कुड़बुड़ाते रहते होंगे। पड़े होंगे किसी कोने में सोचते कि कोई आयेगा उनको एक खाते से दूसरे में डाल देगा।
  11. एक खाते से दूसरे खाते में टहलते रहना ही स्विस बैंक के नोट की नियति है।
  12. स्विस बैंक के नोट टाफ़ी, कंपट, बिंदी, टिकुली की खरीद के लिये कभी इस्तेमाल नहीं हो सकते। उनको खर्च करके खुशी नहीं बल्कि और जुटाने की तृष्णा हासिल होती है।
  13. भारत-इंगलैंड मैच में दोनों टाई होने पर दोनों टीमों के प्रसंशकों की प्रतिक्रियायें देखकर लगा गैरबराबरी की भावना मानव का मूल स्वभाव है।
  14. बेचारा मुनफ़ पटेल एक रन कम लेकर जितनी गालियां पाया उसको देखकर लगा कि अगर कहीं उसने एक रन ज्यादा दे दिया होता तो क्या होता! शायद लोग उसका तो हुलिया बिगाड़ देते।
  15. शुरुआत में तेंदुलकर की धीमी बल्लेबाजी पर पान की चुकान दुकान पर लोगों की प्रतिक्रियायें सुनकर लगा कि भले ही अपने यहां तेंदुलकर एक ही हो लेकिन उसके कोच बनने के लिये तैयार रमाकांत अचरेकर गली-गली में टहल रहे हैं।

65 responses to “ट्विटरिया ब्लागिंग के कुछ नमूने”

  1. sanjay jha
    जानदार च शानदार पंच………….हेलीकाप्टर शोट्स…………..
    प्रणाम.
  2. पवन कुमार मिश्र
    शुरुआत में तेंदुलकर की धीमी बल्लेबाजी पर पान की चुकान पर लोगों की प्रतिक्रियायें सुनकर लगा कि भले ही अपने यहां तेंदुलकर एक ही हो लेकिन उसके कोच बनने के लिये रमाकांत अचरेकर गली-गली में टहल रहे हैं।
    बिलकुल सही फरमाया आपने
    यहाँ पर यही चलता है औने पौने पोस्ट लिखने वाले अपनी अपनी दूकान खोल कर बैठे है कि ” आओ तुम्हे ब्लॉगर बनाये जिस तरीके से लिखते हो उसको कोई पढने वाला नही उसमे जरा छौंक बघार करो किसी पोस्ट को छिछिया दो मस्त पोस्ट बन जायेगी गुरु”.
    पवन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..जरा कुछ देर ठहरो तुम अभी तो बात बाकी है
  3. सतीश सक्सेना
    अनूप भाई !
    आनंद देने के लिए आपका दिली आभार !
    लिखते रहो फुरसतिया सर ! आपकी समझ का जवाब नहीं……
    सारी दुनियां को अपनी तरह मानते हो वाकई समदर्शी हो भाई जी !
    लिखते रहो कबाडियों के बीच, उनके बीच चमकते दमकते कभी तो अच्छा भी लिखोगे ! :-) )
    अफ़सोस यह है कि लोग आपसे मौज लेने की हिम्मत नहीं कर पाते …
    इससे अधिक मौज लेने की मेरी हिम्मत नहीं :-(
    सतीश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..हताश अपेक्षाएं – सतीश सक्सेना
  4. ashish
    बढ़िया मौजात्मक फुरसतिया पोस्ट . मस्त कर गयी सुबह सुबह .
  5. Shiv Kumar Mishra
    सुन्दर पोस्ट!
    बधाई!
    “पता नहीं लोग ब्लागिंग में अच्छा लिखने के लिये काहे इत्ता हलकान रहते हैं। जबकि ब्लागिंग की नींव तथाकथित खराब लिखने वालों पर टिकी है।”
    बिल्कुल सही लिखे हैं. इसके लिए एक ठो बिल्कुल बधाई.
  6. आशीष 'झालिया नरेश' विज्ञान विश्व वाले
    अच्छा लिखने वाले और खराब लिखने वालों में से किसी एक को चुनना हो तो मैं खराब लिखने वाले को वोट दूंगा। एक तो इसलिये कि वे बहुमत में हैं और दूसरे इसलिये कि उनके अच्छे लिखने की संभवनायें हमेशा बनी रहती हैं।
    हम भी बहुमत मे है :)
    आशीष ‘झालिया नरेश’ विज्ञान विश्व वाले की हालिया प्रविष्टी..अनुपात का सिद्धांत और दानवाकार प्राणी- परग्रही जीवन श्रंखला भाग ७
  7. Saagar
    पांच नम्बर के साथ हम भी हैं :) (मतलब उसमें हम भी हैं ) हमें भी वोट दिया जाए.
  8. rachna
    सचिन को कुछ कहा तो सही नहीं होगा इसको ट्विटर धमकी समझे
    और अच्छे बुरे लेख नहीं कर्म होते हैं आप के कैसे हैं सविस्तार से चिंतन करे
    rachna की हालिया प्रविष्टी..क्रिकेट वर्ल्ड कप मे दिल्ली कि टीम क्यूँ नहीं हैं अगर इंग्लॅण्ड कि हैं तो
  9. सतीश चन्द्र सत्यार्थी
    मस्त है जी..
    और हमारे जैसे लेखकों का सपोर्ट करने के लिए स्पेशल धन्यवाद रहेगा… :)
    सतीश चन्द्र सत्यार्थी की हालिया प्रविष्टी..छुट्टी कथा
  10. Anonymous
    सबसे अच्छा हास्य वही है जब व्यक्ति अपने ऊपर हंस सके. आप इस कला में माहिर हैं सिर्फ दूसरों पर ही नहीं स्वयं पर भी हँसते हैं. में आपका तबसे प्रशंशक हूँ जब लगभग दो साल पहले ‘कादम्बिनी’ में हिंदी ब्लॉग के बारे में पढ़ते समय हिंदी ब्लॉग्गिंग के पुरोधाओं में आपका नाम भी पढ़ा. उसके बाद अलोक पुराणिक जी और आपके ब्लॉग पर गया, सिर्फ यह जानने के लिए कि ऐसी क्या खास बात है आपके ब्लॉग में. वाकई ब्लॉग्गिंग में जो ‘कनपुरिया स्कूल’ आपने विक्सित किया है उसकी जितनी भी तारीफ़ कि जाए कम है.
  11. प्रवीण पाण्डेय
    जीवन ज्ञान के दर्शन करा दीजिये आपने।
  12. सोमेश सक्सेना
    ब्लोगिंग और स्विस बैंक वाले ‘पंचेस’ अच्छे है पर क्रिकेट वाले साधारण हैं.
    सोमेश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..फ़र्ज़ और फर्क
  13. shikha varshney
    @ब्लागिंग का भला चाहने वाले टोंक-टोंक कर इसकी स्वाभाविकता खतम करने का बुरा काम करते हैं.
    १०० % सहमत……
    @अच्छा लिखने वाले और खराब लिखने वालों में से किसी एक को चुनना हो तो मैं खराब लिखने वाले को वोट दूंगा। एक तो इसलिये कि वे बहुमत में हैं और दूसरे इसलिये कि उनके अच्छे लिखने की संभवनायें हमेशा बनी रहती हैं
    चलिए अपना तो एक वोट पक्का :)
    shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..घूमता पहिया वक्त का
  14. वन्दना अवस्थी दुबे
    बढिया ट्विटाये आप तो :) . एक नम्बर की मौजिल पोस्ट. वैसे रोने-धोने पर क्यों नहीं ट्विटराये आप?
    वन्दना अवस्थी दुबे की हालिया प्रविष्टी..तिरंगे लहरा ले रे
  15. प्रमोद सिंह
    कहां से एतनी बुद्धि आती है ? रामचन्‍नर गुहा के संगतो में नहीं फिर कइसे एत्‍ता सामयिक इतिहास बोध धारे रहते हैं ? गुप्‍ते ‘आउटलुक’ के बिनोद जी मेहता से दोस्‍ती सांठे हैं ? मगर, सच्‍ची, कइसे अइसे लिख लिये ? विंडो सेवने न है ?
  16. देवेन्द्र पाण्डेय
    मैने साहित्यकारों द्वारा ब्लॉगिंग को कूड़ा कहने के सवाल पर एक ब्लॉग में लिखा है…
    …..कूड़ा कहना, नाक बंद कर निकल जाना आसान है ( अक्सर बुद्धिजीवी ऐसा ही किया करते हैं ) मगर कू़ड़े में फूल खिलाने का काम तो माली ही कर सकता है।
    …..इस पोस्ट को पढ़कर ब्लॉगिंग के आलोचक कुछ सीख सकते हैं।
  17. Sanjeet Tripathi
    मजा आ गया। मस्त।
    Sanjeet Tripathi की हालिया प्रविष्टी..बुद्धिजीवियों से लेकर चश्मे और टंगी गर्दन के नाम
  18. Indian Citizen
    ब्लागिंग की नींव तथाकथित खराब लिखने वालों पर टिकी है।
    हम भी इसी के कायल हैं, इसीलिये नींव का पत्थर बनने की कोशिश कर रहे हैं :)
  19. हरीराम
    “ब्लागिंग का भला चाहने वाले टोंक-टोंक कर इसकी स्वाभाविकता खतम करने का बुरा काम करते हैं।”
    और ब्लागरों का भला चाहनेवाले भी टोंक-टोंक कर उनकी स्वाभाविकता ख़त्म करने पर तुले हुए हैं.
  20. vijay gaur
    आपकी ब्लॉग पोस्ट को पढ़ते हुए लगता है कि पत्र पत्रिकाओं का लेखन और ब्लागिंग का लेखन किस तरह भिन्न हो सकता है| वरना ज्यादातर हिंदी ब्लॉग को पढ़ते हुए यह भेद दिखाई नहीं देता- यह स्वीकारने में कोई हर्ज नहीं कि “लिखो यहाँ वहाँ” भी उन ज्यादातर में से ही है जो पत्र पत्रिकाओं जैसे ही लेखन को तरजीह दे रहे हैं| फुरसतिया की यह भिन्नता चिह्नित की जाने वाली है |
  21. eswami
    ये वाली अधिक पसंद आई लेकिन तेवर जरा नर्म लगे. शीर्षक देख कर लगा था कि
    “छपास की उत्कण्ठा छपास की योग्यता पर हमेशा हावी होती है.” जैसे कुछ से शुरुआत होगी! चलिये इस हवन में इसे हमारी ओर से ही एक आहूती मान लीजिये. :)
    eswami की हालिया प्रविष्टी..सबटरेनियन रीवर्स
  22. Suresh Chiplunkar
    बेचारा मुनफ़ पटेल एक रन कम लेकर जितनी गालियां पाया उसको देखकर लगा कि अगर कहीं उसने एक रन ज्यादा दे दिया होता तो क्या होता! शायद लोग उसका तो हुलिया बिगाड़ देते…
    सत्य वचन… इससे साबित होता है कि “कम लेना” ज्यादा ठीक है, बजाय “ज्यादा देने” के… :)
    Suresh Chiplunkar की हालिया प्रविष्टी..“साम्प्रदायिक” तो था ही- अब NDTV द्वारा न्यायपालिका पर भी सवाल… NDTV Communal TV Channel- Anti-Judiciary- Anti-Hindu NDTV
  23. arvind mishra
    ये अचानक स्विस बैंक कहाँ से टपक पड़ा -सही कहते हैं हिन्दी ब्लागिंग अब खानों के असोसियेनों पर टिकी है -
    पान की चुकान क्या बला है!
  24. arvind mishra
    अब अगली पोस्ट हिस्टीरिया ब्लागिंग पर आनी चाहिए -मैं तो यही समझकर पढ़ गया -मगर बाद में देखा तो शीर्षक और निकला
  25. neeraj
    :) ) हा हा
  26. मनोज कुमार
    “पान की चुकान पर”
    इसे ठीक कर लें नहीं तो ….
    नहीं तो …..
    आपको भी हम
    “तथाकथित खराब लिखने वालों”
    की श्रेणी मे रख देंगे। (जो कि आप हैं नहीं)!
    इस आलेख में आपका युग बोध खुलकर प्रकट हो रहा है। व्यंग्य अपनी तीक्ष्ण धार लिए है।
  27. जि‍तेन्‍द्र भगत
    काफी दि‍नों के बाद आपको पढ़ा।
    आनंद आ गया।
    जि‍तेन्‍द्र भगत की हालिया प्रविष्टी..इन दि‍नों !!
  28. रामघसीटे
    मस्त औ चौंचक है, यह ट्विटरिया राग !
    हमहूँ अच्छा लिखे के सँभावना टोहे निकरे हन ।
    कल बड़ा मन रहा, कि प्रणबबाबू के घसीटी,
    लेकिन अबहिन तो हम खुदै घिसटा रहे है ।
    एक ठईं हमारौ ट्विटरिया आहुति ले लेयो ।
    ” पहले भी अपना जूस निकरा आगे भी अपनी ही निकलेगी, खामखा बज़ट का जूस निकारे से फायदा ? “
    थोड़ा ऑफ़ द लेंग्थ है, लेकिन चले देयो । चर्चा से सबै चर्चाकार फ़रार हैं कि कोनो की ज़मानत वमानत होय गयी । कल्ह चर्चा पर मिलो ।

    रामघसीटे की हालिया प्रविष्टी..तो आज लग जाये एक शर्त
  29. ePandit
    “पता नहीं लोग ब्लागिंग में अच्छा लिखने के लिये काहे इत्ता हलकान रहते हैं। जबकि ब्लागिंग की नींव तथाकथित खराब लिखने वालों पर टिकी है।”
    आपके इस ट्वीटज्ञान को आत्मसात कर लिया है। हर नई पोस्ट लिखने से पहले इसे पढेंगे, हिम्मत मिलेगी। जय हो। वैसे आप से प्रेरित होकर हम भी ट्विटर पर ज्ञान बघार दिये।
    http://twitter.com/Shrish/status/४२७६७४६८०१५५२१७९२
    “उपयोगी ब्लॉग पोस्ट पर हमेशा कम टिप्पणियाँ आती हैं और फालतू पोस्ट पर ज्यादा।”
    ePandit की हालिया प्रविष्टी..गिम्प – सर्वश्रेष्ठ मुफ्त ग्राफिक्स ऍडीटर- हिन्दी-इण्डिक यूनिकोड समर्थन सहित
  30. ePandit
    ओह आपके गूगल ट्राँसलिट्रेशन नें ऊपर लिंक में अंग्रेजी अंक हिन्दी में बदलकर लिंक ब्रेक कर दिया।
    http://twitter.com/Shrish/status/42767468015521792
    मैं बहुत देर हैरान होता रहा कि ये लिंक में हिन्दी-अरबी अंक देवनागरी अंकों में कैसे बदल गये। :-)
    ePandit की हालिया प्रविष्टी..गिम्प – सर्वश्रेष्ठ मुफ्त ग्राफिक्स ऍडीटर- हिन्दी-इण्डिक यूनिकोड समर्थन सहित
  31. : मौज लेने के साइड इफ़ेक्ट
    [...] कल की पोस्ट में मैंने लिखा था: [...]
  32. Neeraj Badhwar
    बहुत अच्छा लिखा है अनूप जी…मज़ा आ गया।
  33. Dr.ManojMishra
    @अपने यहां तेंदुलकर एक ही हो लेकिन उसके कोच बनने के लिये तैयार रमाकांत अचरेकर गली-गली में टहल रहे हैं। ..
    ई है सौ टके की बात.हमारे यहाँ पूरे विश्व की समस्या को चौराहे पर चाय पीते हुए लोग निपटा देते हैं.
    बढियां लगी आपकी पोस्ट.
  34. पंकज नरुला
    फुरसतिया भाई – खूब मौज ले के लिखे हो। आप की झाड़े रहो कलट्टरगंज, मण्डी खुली बजाजा बंद पोस्ट याद आ गई। ५ और ७ बहुत बढिया लगी। ७ एक दम भैलनटाइन प्रेरित लगती है।
    पंकज नरुला की हालिया प्रविष्टी..हिन्दी रशियन भाई भाई
  35. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    एतना मजा थोक में उठाकर धर दिए कि हचमापेच हो गया :)
    सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी की हालिया प्रविष्टी..हे संविधान जी नमस्कार…
  36. महफूज़ अली
    गुरूजी ………परनाम….
    मजा आ गया इस पोस्ट में… आपने तो कवियों की क्लास ही ले डाली… हम वैसे भी बहुमत में हैं… और हमारे में संभावनाएं भी बहुत हैं… पर इतना भिगो कर नहीं मारना चाहिए था… बहुते मजेदार पोस्ट…
  37. चंद्र मौलेश्वर
    कृपया पांच नम्बर के ट्वीट को देखे। हम बहुमत में है , भारत में डेमोक्रेसी जो है :)
    चंद्र मौलेश्वर की हालिया प्रविष्टी..ब्लॉगर-सर्वे – सहयोग की अपील
  38. संजय @ मो सम कौन?
    मौज़दार पोस्ट है, मजेदार पोस्ट है।
    लेकिन फ़ुरसतिया ब्रांड पोस्ट और इस ट्विटरिया पोस्ट में वैसा ही अंतर लगा जैसा नौ गज के घाघरे और मिनी स्कर्ट में। अपन ठहरे ‘स्कूल ऑफ़ ओल्ड थोट्स’ वाले, आपकी लंबी चौड़ी पोस्ट्स ज्यादा आनंद देती हैं।
    संजय @ मो सम कौन? की हालिया प्रविष्टी..अमर प्रीत – एक पुरानी कहानी

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