Wednesday, August 26, 2015

सुन सुन दीदी तेरे लिए

सुन सुन दीदी तेरे लिए
एक रिश्ता आया है।
https://www.youtube.com/watch?v=URgwYbOoNuM
पंकज टी स्टाल पर यही गाना बज रहा। आज निकले तो पुलिया छट्ठू सिह दुसरे पुलियाहरों के साथ दिखे। खड़े हो गए हमको देखकर। अटेंशन टाइप। हम भी उनके सम्मान में साइकिल से उतरकर बतियाने लगे।
गाना बजने लगा:
बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ।
https://www.youtube.com/watch?v=cLSAwKmFxZM
पहले के मुकाबले समय कैसे बदला है। यह पूछने पर छट्ठू सिंह ने बताया-बहुत बदल गया। आदमी के पास खाने को नहीँ था पहले। सन 42 में एकबार खाता था आदमी लेकिन पहलवानी करने जाता था। हौसले की बात कर रहे थे शायद। मुंह में एक्को दांत नहीँ। आवाज मुंह से निकलती लेकिन इधर-उधर फुट लेती। समझ नहीं आती। हाल बकौल Mukesh Sharma जी -हाथ पांव कीर्तन कीर्तन, मुंह पंजीरी बांटे।
छट्ठू दिन कलकत्ता, आसाम भी रहे । वहां के किस्से सुनाये। बताया- जीवन में कोई ऐसा नहीँ जिसको पास कोई दुःख नहीं हो।
बाजू आ आ आ
बाबू समझो इशारे हौरन पुकारे पम पम पम
यहाँ चलती को गाड़ी कहते हैँ प्यारे पम पम पम
https://www.youtube.com/watch?v=e47BnRL1H74
रस्ते में कई अभिभावक मिले । दुपहिया वाहनों पर अपने स्कूल जाते बच्चों को बस में बैठाने के लिए खड़े थे। बस का इन्तजार कर रहे थे। वाहनों की कुर्सी पर बैठे हुए। गाना बज रहा है:
सावन का महीना पवन करे शोर
जियरा रे झूमे ऐसे, जैसे वन मां नाचे मोर।
https://www.youtube.com/watch?v=LWy_RhgFeVA

पंकज टी स्टॉल पर चाय पी रहे हैं लोग। एक आदमी बड़े ध्यान से सिगरेट पी रहा है। ध्यानमग्न। प्याज की कीमत, सेंसेक्स की धड़ाम से मुक्त गगनबिहारी सोच को डिस्टर्ब करना ठीक नहीं लगा। सिगरेट पीकर एक इंच सफेद हिस्से के साथ उसने जमीन पर फेंक दिया। सिगरेट का टुकड़ा धुंए के साथ सुलगता हुआ जमीन पर पड़ा था। उससे करीब दो फिट की दूरी पर एक दूसरा टुकड़ा सुलग रहा था। पता नहीं दोनों एक दूसरे को देख पा रहे थे कि नहीं। देख पाते तो शायद यह गाना गाते जो बज रहा है:
अंखियो के झरोखे से, मैंने देखा जो साँवरे
तुम दूर नजर आये,बड़ी दूर नजर आये।
https://www.youtube.com/watch?v=KqpIIaCJggY
गांजा पीने वाले आड़ में गांजा बना रहा हैं। जैसे कट्टरपंथी लोग पहले अपने अनुयायियों का मूल दिमाग निकालकर बाहर करते हैं फिर उसमें अपनी विचारधारा ठूंसते हैं उसी तरह ये गंजेड़ी बीड़ी की तम्बाकू निकाल कर उसमें तैयार गांजा भर रहे हैं। जैसे अपनी विचारधारा से लैस करने के बाद कमांडर कहता होगा- अब यह बन्दा तैयार हो गया- काम के लिए/प्रचार के लिये/संहार के लिये। वैसे ही बीड़ी में गांजा भरने के बाद गंजेड़ी सोचता होगा -बीड़ी तैयार हो गई। अब आएगा परम आनंद।
अगला गाना बजने लगा:
सारे के सारे
गामा को लेकर
गाते चले।
https://www.youtube.com/watch?v=b_kTeoaSkek

चाय की दूकान पर अनीता आ गयी। कूड़ा बिनती है।आज उठने में देर हो गयी। तबियत ठीक नहीं है।लेकिन आ गई कि 40-50 का कुछ तो मिल जायेगा।पूछती है-चाय पी लें भैया? चाय पीते हुए बताती-आदमी रिक्शा चलाता है। सब पैसा दारु में उड़ा देता है। इसलिये कूड़ा बीनना पड़ता है।चार बच्चे हैं ।दो लड़के, दो लड़की। बड़ी बेटी 22 की।
उम्र पूछने पर बोली -60 के होंगे। फिर शादी के समय की उम्र करीब 18 साल और बच्ची की उम्र 22 साल मिलाकर उम्र तय होती है- 40 से 42 साल। फोटो खिंचवाने को पहले मना किया फिर कहा-खींच लो।दिखाई तो जिन भावों से देखती रही फोटो वह मुझे समझ नहीं आया आँखों में क्या भाव थे। अपने को देखते हैं कभी-कभी तो कैसे मिले-जुले भाव होते होंगे कुछ वैसे ही।मुझे सबसे ज्यादा उदासी और असहायता का भाव दिखा।शायद मेरी समझ में उसकी आर्थिक सामाजिक स्थिति की बात भी छायी हो।
पंकज टी स्टाल से चलते समय गाना बज रहा है:
आ जा सनम, मधुर चांदनी में हम-तुम मिले
तो वीराने में भी आ जायेगी बहार,
झूमने लगेगा आसमां।
https://www.youtube.com/watch?v=B5MBVZpPzi0
मधुर चांदनी तो मिलेगी 12 घण्टे बाद। अभी तो आप सूरज भाई की किरणों की संगत में मजे से रहिये। मुस्कराइए। देखिये और महसूस करिये कि पूरी कायनात आपकी मुस्कान के साथ कदमताल कर रही है।
हां, और सम्भव हो तो इन गानों को सुनिए भी जिनको सुनते हुए मैंने यह पोस्ट लिखी। बताइये कैसा लगा?
रांझी में पंकज टी स्टाल से की गयी पोस्ट की गलतियां कमरे पर पहुंचकर ठीक की जाएँगी।तब तक आप मस्त रहें।
सब लोग सुखी रहें । स्वस्थ रहैं। मस्त रहें।
मन करे तो ’कट्टा कानपुरी’ का कलाम सुनें मेरी आवाज में
https://www.youtube.com/watch?v=No9FXPiKMUQ&feature=youtu.be

फ़ेसबुक लिंक:
 https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10206299383816952

No comments:

Post a Comment