Sunday, August 06, 2017

पंचबैंक


1. नेता और वे (डकैत) , दोनों एक ही काम करते हैं, लूटमार और डकैती का, जिसके लिए नेता आदर-सम्मान और सुख-सुविधाएं भोगते हैं, जबकि उन्हें निंदा और अपमान झेलते हुये बीहड़ों में नारकीय जीवन बिताना पड़ता है। - Suresh Kant
2. बंदूक खुद-ब-खुद किसी पर गोली नहीं दागती। जब उसका घोड़ा दबाया जाता है , तभी गोली चलती है। उससे अगर किसी की जान चली जाए , तो दोष बन्दूक चलाने वाले का ही माना जायेगा , न कि बन्दूक का। Suresh Kant
3. वे थोड़ा झुककर चलते हैं। तमाम मुद्दों पर स्टैंड लेते-लेते कुछ लचक गए हैं। - Sushil Siddharth
4. राजनीति में रहना है तो सोचना पड़ता है। ऐसे में विचार बदलेगा ही। जिस अखबार के लिए बोलना है उसके अनुसार बदलेगा। - Sushil Siddharth
5. हम गोबर लेकर लीप देते हैं। यह है हमारा विचार। -Sushil Siddharth
6. सबका गरीब अलग है। सत्ता का अलग। बेसत्ता का अलग। -Sushil Siddharth
7. पार्टी ने जाने कितना पूजा-पाठ कराया है, जाने कितने गण्डा ताबीज बनवाये हैं, तब किसानों के लटकने का शुभ अवसर आया है। इस लटकोत्सव को गंवाना नहीं है। लम्बा खींचना है। उनकी फांसी की रस्सी को पकड़कर हमें कुर्सी तक पहुंचना है| Sushil Siddharth
8. जो इतना मुल्क में हो रहा है, वह सब करने वाली जनता क्या कनाडा से मंगाई जा रही है या लंदन से आ रही। मौज सब मारें, मरने के लिए हम। Sushil Siddharth
9. चोर पकड़े जाने से बुरा शर्मिंदा होने का मानता है। शर्मिन्दगी इस बात की कि वह पकड़ा गया। वह चोर ही क्या, जो पकड़ा जाये।- Suryakant Nagar
10. जेल में सड़ रहे संत-नेता अदालत ले जाते वक्त हाथ हिलाकर मुस्कराते हैं तो इसकी वजह चरबी चढी उनकी देह है। शर्म रिबाउंड कर जाती है। - सूर्यकांत नागर
11. खुदकशी और आत्मदाह जनता टाइप गरीब-गुरबों में से कोई करता है। उसके लिये रेलगाड़ी की पटरी, नकली दवाओं के लाइसेंस, डिग्रियों का घुन खाता पुलिंदा और पापी पेट आदि स्थितियां हर कहीं उपलब्ध हैं। - सूर्यबाला
12. देश पर बड़े-बड़े लोग ही मरा-मिटा करते हैं। सबके बस की बात नहीं यह। बड़ी हिकमत लगानी पड़ती है, मेनीफ़ेस्टो बनाने होते हैं -उसमें सिलसिलेवार मर-मिटने का प्रक्रिया दर्ज करनी होती है। -सूर्यबाला
13. जब तक मंत्री पद पर व्यक्ति होता है, वह ’सर’ सहित होता है, मंत्री पद से हटते ही ’सर’ रहित। - Hari Joshi
14. सरकार बहरी और प्रजा गूंगी, तो तंत्र निर्विरोध काम करता है। सुनना न सुनना सरकार की इच्छा पर निर्भर करता है। - Hari Joshi
15. सरकार के बिना अपने समाज की कल्पना असंभव है, इसलिये बड़े शहरों में बहुतायत से और छोटे गांवों या कस्बों में बिखरी हुई, कहीं दबंगई से, तो कहीं ठिठक- ठिठककर चलती हुई सरकारें देखी जा सकती हैं। -@Hari Joshi
16. सरकार वही, जो तेज चाल चले। जब वह कोई चाल नहीं चलती, तो उसमें भी कोई न कोई चाल छिपी होती है। - Hari Joshi
17. सरकारें उन्हीं को कहते हैं, जिनमें कई-कई सर और अनेकानेक कारें होती हैं। - Hari Joshi
18. ’आप कैमरे की नजर में हैं’ पढकर मुझे लगता है कि यह वाक्य कह रहा है कि हे देश के उठाईगीरे, बेईमान, चोर और भ्रष्ट नागरिक, संभल जा। कैमरे लगे होने के कारण कोई ऐसी-वैसी छिछोरी हरकत मत करना। हम तेरा असली चरित्र जानते हैं। तू पैदाइशी शरीफ़ बदमाश है तथा पलक झपकते ही कुछ भी गायब कर सकता है और अंटी कर सकता है।- हरीश कुमार सिंह
19. हम उन्हें वोट देते हैं जिताने के लिये, वो हमें झुग्गी देते हैं सिर छिपाने के लिये। हम एक-दूजे के लिये हैं। तू मेरे लिये मैं तेरे लिये। -Harish Naval
20. राशन कार्ड हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। वह हमारा पासपोर्ट है। सबको मिलना चाहिये, मिलेगा। बिजली बोर्ड वाले हमें कहीं से भी तार खींचकर बिजली दे जाते हैं, हम खुशहाली दिखाते हैं। -@Harish Naval
21. हमने देश में सुलभ का कारोबार बढाया है। समझो, हम उनकी इंडस्ट्री में कच्चा माल सप्लाई करते हैं। उनकी वाहवाही होती है, हमारी सफ़ाई होती है। - Harish Naval
Giriraj Sharan Agrawal एवं Ramesh Tiwari द्वारा संपादित संकलित ’समकालीन हिन्दी व्यंग्य’ से साभार !

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