Friday, October 07, 2011

उसकी गलतियां मुझे बड़ा सुकून देती हैं

तू कहे तो महीने भर के लिये मिलना-जुलना बंद कर दूं,
स्पांडलाइटिस से बेहाल हूं, तब तक सड़क भी बन जायेगी।

मेरे घर वाले तुमको तो बड़ा शरीफ़ समझते हैं,
खुदा जाने कैसे वो हमारे ’लफ़ड़े’ पे यकीन करेंगे!

तू मेरी हरकतो पे न जा, बेसिकली मैं तो बड़ा शरीफ़ हूं,
पर मैंने तो सुना था,लड़कियां लफ़ंगो को लाइक करती हैं।

मेरी खूबियां बताते हो तो अपन को जबाब नहीं सूझता,
खामियां का सिलसिला शुरु हो तो हम भी तगड़ा जबाब दें।

तेरे सब कारनामों की फोटोकापी अपन के पास हैं,
तू हमारी करतूतें बताओगे तब हम भी शुरू होगे।

उसकी गलतियां मुझे बड़ा सुकून देती हैं,
उनका जिक्र करके मैं अपने पाप धोता हूं।

-कट्टा कानपुरी

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