Tuesday, June 18, 2013

गठबंधन तोड़ने के लिये मुशायरा

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गठबंधन तोड़ने के लिये मुशायरा

गठबंधनगठबंधन बस टूटने ही वाला है.उसे टूटने से कोई बचा नहीं सकता। अपरिहार्य है इसका टूटना –लगातार इस आशय की खबरें आ रही हैं।
लोग बेसब्री से इंतजार में हैं टूटने की घोषणा सुनने के लिये। लेकिन टूटने में देरी हो रही है।
पता चला कि गठबंधन में शामिल दल के प्रवक्ता गठबंधन टूटने के मौके पर बोलने के लिये शेर याद कर रहे हैं। टूटने की घड़ी को शायराना बनाना चाहते हैं। बारिश के मौके में मौसम आशिकाना हो गया है। शायद इसीलिये विदाई शायराना अंदाज में करने को उतावले हैं लोग।
मुशायरे के लिये तैयार होते शायर शेरवानी, अचकन, टोपी धारण करके तैयार होते हैं। गठबंधन तोड़ने के लिये नेता लोग शायरी रट रहे हैं। अपने चमचों को दौड़ा रहे हैं- जा बे कोई उम्दा शायरी जुगाड़कर ला, गठबंधन तोड़ना है।
एक छुटभैया दौड़ के गया और शायरी की किताब से एक ठो शेर नोट करके ले आया:
दुआ करते हैं जीने की
पर दवा करते हैं मरने की।
नेता जी बोले क्या ये किसी नर्सिंग होम का किस्सा है? डॉक्टर बचाने की कोशिश भी कर रहा है लेकिन सोच रहा है मरीज निपटे तो अगले को बिस्तर अलॉट करें।
नई साहब इसका मतलब है कि आपको समर्थन तो दे रहे हैं लेकिन चाहते हैं कि सरकार आपकी गिर जाये। नेता जी समझ गये। शेर रटन लगे।
इस बीच शेर लीक हो गया। अगली पार्टी के नेता जी ने चेले को दौड़ाया किसी शाइर से इसकी काट वाला शेर लेकर आओ फ़टाक से। चेला हांफ़ता हुआ शेर लाया:
हम दुआ भी करते हैं, दवा भी
पर दगा नहीं देते।
मतलब बताया कि ये गठबंधन पार्टी के शेर का जबाबी शेर है। नेता जी ने रट लिया। इस बीच किसी ने सुझाया कि कुछ और शेर याद कर लिये जायें ताकि मुकाबले में कमजोर न पड़ें। शेर इकट्ठा होने लगे। उसके मतलब भी नेताजी को समझाते जा रहे थे उनके चेले। देखिये कौन-कौन से शेर तैयार हो रहे हैं:
दुश्मनी जमकर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
फ़िर कभी जब दोस्त बन जाये तो शर्मिंदा न हों।

शेर सुनते ही नेता जी बमक गये। गठबंधन तोड़ते समय फ़िर दोस्ती की बात करना बेवकूफ़ी की बात नहीं समझेंगे लोग?
अरे राजनीति में कौन स्थायी दोस्त/दुश्मन होता है साहब। इस शेर से आपका मुस्लिम वोट बैंक मजबूत होगा क्योंकि यह शेर एक बड़े मुस्लिम शायर ने कहा है।
नेता जी खुश होकर घूम-घूम कर शेर रटने लगे. तब तक एक और चेला लपक एक और शेर सुनाने लगा:
एक जरा सी बात पर वर्षों के याराने गये,
पर चलो अच्छा हुआ कुछ लोग पहचाने गये।
Universal_jointनेताजी चेले की तरफ़ देखकर गुर्राये- यहां हमारी सरकार दांव पर लगी है और तुमको ये जरा सी बात लग रही है। चेले ने सहमते हुये कहा -साहब शेरो शायरी में ऐसा ही होता है। आप डाल लीजिये अपनी जेब में। पढेंगे तो ऐसा लगेगा कोई शहादत वाली बात कह रहे हैं।
दूसरी तरफ़ के नेता जी भी गठबंधन तोड़ने के समय पढ़ने वाले शेर तैयार कर रहे हैं। उनको लगा कि राजनीति में किसी का कोई भरोसा नहीं है। क्या पता पत्ते कमजोर रह जाये और उनको पीछे हटकर गठबंधन बनाये रखने के लिये अनु्रोध करना पड़े। मंशा जाहिर करते ही उनके सामने वसीम बरेलवी साहब का शेर पेश किया गया:
शर्तें लगायी नहीं जाती दोस्तों के साथ,
कीजै मुझे कुबूल मेरी हर कमी के साथ।
नेता जी ने शेर नोट कर लिया लेकिन बोले इसकी दूसरी लाइन हम अपने हिसाब से सुधार के पढेंगे और कहेंगे:
शर्तें लगायी नहीं जाती दोस्तों के साथ,
तू है मुझे कुबूल तेरी हर कमी के साथ।
शागिर्दों ने नेताजी के शायरी के हुनर की दाद देते हुये वाह-वाह की। नेता जी ने सर पर हाथ ले जाकर सलाम करते हुये दाद कुबूल की।
एक समझदार शागिर्द ने सलाह दी। साहब अगर आप शेरो शायरी ही करते रहे तो कहीं हिन्दू वोट बैंक न बिदक जाये। इसलिये एकाध कविता भी याद कर लीजिये। अब कविता की खोज मजी जिसमें टूटने, बिखरने, धोखे बाजी और अलग होने के भाव हों। बड़ी मश्किल से एक कविता मिली:
जिस तट पर प्यास बुझाने से अपमान प्यास का होता हो,
उस तट पर प्यास बुझाने से प्यासा रह जाना बेहतर है।
मतलब जिसके समर्थन से सरकार बनाने में बेइज्जती खराब होती हो तो सरकार बनाने से अच्छा अपोजीशन में बैठना अच्छा है।
फ़ाइनल शेर दोनों दल वाले यही सोचकर आये हैं:
फ़साना जिसे अंजाम तक पहुंचाना न हो मुमकिन,
उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा।
शेर बहुत इकट्ठा हो गये थे। अब दोनों दल के लोग गठबंधन तोड़ने के लिये निकल चुके हैं। कभी भी मंच पर आकर गठबंधन मुक्ति मुशायरा शुरु हो सकता है।
क्या पता गठबंधन टूटने पर लोग आपस में बधाई देते हुये कहें- वाह साहब, आपने तो गठबंधन लूट लिया।
उसके बाद टी.वी. इस मुद्दे पर चैनल चर्चा करेंगे। विषय होगा- कवियों/शायरों की मुख्यधारा में वापसी।

6 responses to “गठबंधन तोड़ने के लिये मुशायरा”

  1. देवांशु निगम
    :) :) :)
    देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..दास्तान-ए-इस्तीफ़ा
  2. arvind mishra
    दो चार और ठेल दिए चेलों को यहाँ से चुराने को सहज हो जाता !
    गरज कि काट दिए कशमकश के दिन ये दोस्त
    तुम जाने पे उतारू हो तो हम भी किनारा करते हैं :-)
    arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..भारतीय समाज की विवशताएँ!
  3. विवेक रस्तोगी
    वाह जी वाह.. एक से एक शायरी..
    विवेक रस्तोगी की हालिया प्रविष्टी..एक और क्रेडिट कार्ड
  4. प्रवीण पाण्डेय
    यह यूनीवर्सल कपलिंग काश राजनीति में भी होती, अलग धुरों में। एक कानून बनना चाहिये कि बिना मुशायरा कोई गठबंधन टूटा न माना जाये।
    प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..मैकबुक मिनी
  5. amit kumar srivastava
    राजनीति में यूनिवर्सल कपलिंग कहाँ होती है !!वहां तो डव-टेल जॉइंट होता है । आसानी से जोड़ा और जब चाहा उसे आसानी से अलग कर लिया ।
  6. : फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] गठबंधन तोड़ने के लिये मुशायरा [...]

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