Tuesday, February 04, 2014

दिल्ली में सब नमूने बसते हैं क्या?

क्या यार ये तुम्हारी दिल्ली में सब नमूने बसते हैं क्या? ‪#‎सूरज‬ भाई कमरे में घुसते ही बोले।
अरे भाई ! दिल्ली में जो जाता है नमूना हो जाता है! लेकिन हुआ क्या?-- हमने पूछा!

अरे कुछ नहीं! कल तुम्हारे कहने पर दिल्ली गये थे। पता नहीं कौन एक नेता टाइप नमूना हमारी किरणों से कहने लगा - 6000 डिग्री का तापमान लेकर चलती हो पर यहां तक 10-20 ही पहुंचता है। जनलोकपाल बिल पास होते ही इसकी जांच करवाऊंगा। पहले तो मुझे बड़ा गुस्सा आया। सोचा इसको इसके मन चाहे तापमान पर ले जाकर पूछूं -अब ठीक है? लेकिन फ़िर उसकी बात सोचकर हंसी आ गयी। बताते हुये सूरज भाई फ़िर से हंसने लगे। 

उनको जोर से हंसते देख हमने शेर सुना दिया:

"अपनी खुशी के साथ मेरा गम भी निबाह दो,
इतना हंसो कि आंख से आंसू छलक पड़े।"

शेर सुनकर सूरज भाई खुश हो गये। बोले शेर तो चकाचक है। लेकिन तुम भी कम रागिया नहीं हो। तुम्हें कौन सा गम आ गया?
चाय पीकर #सूरज भाई अभी बाहर निकले हैं। सब जगह बनन में बागन मे बगरयो बसन्त टाइप मामला हो गया है।

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