Sunday, February 09, 2014

चेहरा मोहब्बत वाला


अरे कहां गायब हो जाते हो कमरे में ताला लगा कर? सुबह से फोन भी बन्द किये बैठे हो। इतवार का मतलब ये थोड़ी की फ़रार टाइप हो जाओ। #सूरज भाई फोन पर ही हड़काने लगे!

अरे भाई कानपुर आय थे। बहुत दिन बाद घर ! रास्ते में नेटवर्क नहीं मिला । फ़िर बैटरी खलास हो गयी। इसी लिये बात नहीं हो पायी। -हमने सफ़ाई दी।

अरे बताये होते तो पहले तो चकाचक धूप भेजते कानपुर। अभी तो हल्की भेजी है। कोई नहीं अभी एवन वाली धूप भेजते हैं। -#सूरज भाई प्यार से बोले।

स्टेशन से बाहर सड़क पर आये तो देखा सूरज भाई मुस्करा रहे थे। चेहरा मोहब्बत वाला।

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