Thursday, December 26, 2019

सूरज भाई आकस्मिक अवकाश पर

 


ठंड भयंकर वाली पड़ रही। कोहरा भी दांत किटकिटाते हुए फूट लिया। सारी दिशाएं ठंड से ठिठुर रहीं। हमने सूरज भाई को फोन लगाया तो बोले -'यार आधे दिन की कैजुअल पर हूँ।'
हमने पूछा -'क्या हुआ तबियत तो ठीक है न!'
बोले-'तबियत चकाचक है। घर में जरा सूर्यग्रहण सेरिमनी है। इसलिए हाफ डे की कैजुअल लगा दी। साल का आखिरी हफ्ता है। छुट्टी बरबाद करने से अच्छा घर वालों के साथ ही रह लें। सब शिकायत करते हैं कि काम के चक्कर में घर वालों को इग्नोर करते हो। सम्भाल लेना यार तुम आधे दिन का काम। आकर फिर चाय पिलायेंगे।'
दुनिया भर के काम काजी लोगों को आकस्मिक छुट्टी लैप्स होने की बड़ी चिंता रहती है।
अब सूरज भाई का काम कौन सम्भाल सकता है। वही आएंगे तो देखेंगे। वो कहते हैं न :
जिसे दिन बताए दुनिया वो तो आग का सफर है
चलता है सिर्फ सूरज कोई दूसरा नहीं है।
आप कैरी आन कीजिये। सूरज भाई दोपहर बाद आएंगे। 🙂

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