Saturday, February 06, 2021

दरवज्जे की पल्ले से झांकती धूप

 

नींद खुली तो बाहर चिडियों की आवाज सुनाई दी। ऐसा लगा किसी मामले पर बहस चल रही हो। चिड़िया बहस भले कर रहीं थीं लेकिन आवाज में कर्कशता नहीं थी। क्या पता वे बहस न करके आपस में लड़िया रही हों पर हम उसको बहस समझ रहे हों। इंसान दूसरे में अपना ही अक्स खोजता है। जो जैसा होता है , दूसरे को भी उसी पैमाने से नापता है।
दरवज्जा खोलकर देखा। चिड़ियां फुदकते हुए और टहलते हुए कड़क्को जैसा कुछ खेल रहीं थीं। सहज भाव से फुदकते हुए। फुदकते हुए चिचिया भी रहीं थी। इंसान इसी को वर्जिश करना कहता है। लेकिन वर्जिश तो पहले कहते थे। अब तो वर्कआउट कहने लगे हैं शायद।
एक ही हरकत के लिए शब्द कितनी तेजी से बदलते हैं। कई बातें जो कभी भ्रष्टाचार मानी जाती थीं, अब वे सहज शिष्टाचार की पार्टी में शामिल होकर देशसेवा कर रही हैं। कई तो मलाईदार पदों पर काबिज हो गईं हैं।
चिड़ियों की बातचीत समझ में नहीं आने के बावजूद अच्छी लग रही थी। लेकिन हम ज्यादा देर तक उसको सुने नहीं। वापस घरघुसुवा हो गए। क्या पता चिड़ियां कोई ऐसी बात कर रहीं हों जिसको कोई समाजविरोधी मानकर उनके खिलाफ एफआईआर करवा दे। चिड़ियों का क्या, वे तो फुर्र होकर कहीं और फुदकने, चहकने लगेंगी। बवाल हमारे मत्थे आएगा।
हम वापस आ गए। गये तो अकेले थे लेकिन वापस लौटे तो कई किलो कायनात साथ लाये। साथ के सामान में खुली हवा थी, हवा की खुशबू थी, चिड़ियों की चहकन थी, पेड़ों की पत्तियों की हिलडुल थी। तमाम खुशनुमा दोस्तों की मुस्कान और भी न जाने क्या-क्या था।
कमरे में आकर देखा कि दरवज्जे के पल्ले को हल्के से खोलकर धूप चुपचाप कमरे के अंदर आ गयी। हमको देखकर छह फुटिया धूप मुस्कराई। बड़ी तेज। कमरा जगमगा सा गया। धूप जिस तरह अंदर घुसी आहिस्ते उससे लगा पुरानी पिक्चरों की संयुक्त परिवार की कोई बहुरिया बेआवाज अपने नए-नवेले पति के पास आई हो। धूप की शरारती मुस्कान देखकर लगा कि शायद अब गाना गाने ही वाली है:
'मैं तुमसे मिलने आई, मंदिर जाने के बहाने।'
यह भी लगा कि पूजा के लिए बनाए गए मंदिर और दूसरे धर्मस्थल कैसे उन अरमानों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किये गए जिनको समाज ने सहज होते हुए भी गलत माना और वर्जित किया।
धूप बहुत प्यारी और चमकीली लग रही थी। उसका फोटो खींचा तो धूप का चेहरा सफेद हो गया। जैसे नायिका को उसके कड़क बाप ने उसको उस लड़के की साइकिल के कैरियर पर बैठे देख लिया हो जिसको बाप बदमाश समझता हो।
धूप थोड़ी देर बाद वापस चली गयी। शायद बाहर अपनी सहेलियों के साथ खेलने लगी हो।

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