Saturday, May 29, 2021

इब्ने शफी, बी.ए के पंच

 "जब एक आदमी पागल हो जाता है तो उसे पागलखाने में बंद कर देते हैं और जब पूरी कौम पागल हो जाती है तो ताकतवर कहलाने लगती है।"

-इब्ने शफी, बी.ए.
उपन्यास 'अनोखी रक्कासा' से।

शहंशाहियत में तो सिर्फ एक नालायक से दो-चार होना पड़ता है, लेकिन जम्हूरियत में नालायकों की पूरी टीम बवाले जान बन जाती है।
-इब्ने शफी, बी.ए.
उपन्यास 'भयानक जजीरा'- 1953 से।

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