Thursday, October 03, 2024

 शरद जोशी के पंच -8

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1. यह भारतीय सेंसर बोर्ड है,जो सेक्स बेचने वाले बड़े निर्माताओं की जेब में पड़ा रहता है। कोई खोखलापन तो हममें है ही कि हम यह सहन करते हैं।
2. किसी भी मामले की जाँच करना अपने आप में एक अद्भुत रहस्यमय कला है। आप कहें कि हमने फ़लाँ हरकत आँख से देखी तो वे आपकी आँखों की जाँच पड़ताल करेंगे और यह पता लगाने की चेष्टा करेंगे कि जिससे देखा गया वह आँख ही थी।
3.आधुनिक जीवन में एक मूल्य पिछले वर्षों उभरा है कि वे सारी बातें, जिनसे करों की गति धीमी होती है,ग़लत है,उन्हें समाप्त करो।
4. आज़ादी के बाद इस देश में सड़कों के नक़्शे ऐसे बने हैं कि जिन रास्तों से नेता गुजरते हैं,उन रास्तों से अच्छे लोग नही गुजरते।
5. राजनीति में तो यह है कि सड़कों पर हाकी होती है, नेताओं के ड्राइंगरूम में शतरंज। समस्या फ़ुटबाल की तरह उछलती है,हाल बास्केटबाल की तरह डाले जाते हैं, संवाद टेनिस की तरह चलते हैं। दोनों बात करने वाले सुरक्षात्मक खेल खेलने वाले क्रिकेटरों की तरह लम्बे समय तक रन न बनने देते हैं, न आउट होते हैं। जिसके हाथ स्ट्राइकर आ जाए वही कैरम की अधिकांश गोटें ले लेता है।
6. इस देश में, जहां एक नेताईरी के साये में दूसरी नेतागीरी पनपती है, पिछड़े क्षेत्रों में प्रधानमंत्रियो की यात्राओं का बड़ा महत्व है। वह आकार उँगली पर पर राष्ट्रीय -अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का गोवर्धन उठाता है और स्थानीय समस्याएँ उसकी छाया में छिप जाती हैं।
7. प्रधानमंत्री जब कहता है कि ग़रीबी सारे देश में है और हमें उससे लड़ना है,तो लोकल गरीब संतोष की साँस लेते हैं कि चलो, अखिल भारतीय मामला है, जब निपेटगा तब निपटेगा। वे अपनी ग़रीबी के स्थानीय कारणों के प्रति क्षमाशील हो जाते हैं।
8. प्रधानमंत्री का आगमन एक जश्न होता है जब स्थानीय नेता,भ्रष्ट छूटभैये,नायब तहसीलदार,तहशीलदार,स्थानीय एम.एल.ए. ,एम.पी., मंत्री,मुख्यमंत्री,पुलिस अफ़सर,थानेदार सब एक हो जाते हैं। इस शर्त पर कि तू मेरी शिकायत मत करना,मैं
तेरी नही करूँगा, वे एक दूसरे के काफ़ी काम कर देते हैं।
9. इस देश में पटवारी गाँव की सच्चाई तहसीलदार से छिपाता है, कलक्टर ज़िले की सच्चाई मुख्यमंत्री से छुपाता है, मुख्यमंत्री राज्य की सच्चाई प्रधानमंत्री से। 'सब ठीक है', 'सब चंगा है' , 'सब अच्छा चल रहा है' की गूंज बनी रहती है।
10. खबरें हर क़िस्म की हैं और वे हर दिशा से आती हैं। दूसरों को तंग करने,उसे नष्ट करने का एक दर्शन देश में विकसित हो गया है। हर व्यक्ति के पास पिस्तौल नही है सौभाग्य से, मगर उसका दिमाग़ धीरे-धीरे पिस्तौल हो गया है। वह लगा भले न पाए, मगर एक निशाना हर एक के दिमाग़ में है।

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