Thursday, October 10, 2024

शरद जोशी के पंच -12


1. क्रिकेट या टेनिस में सफलताएँ खिलाड़ी को कमजोर और पत्रिकाओं को मज़बूत बनाती हैं। पत्रिका का एक अंक उम्मीद लगाता है, दूसरा उसी निराशा का विश्लेषण करता है।

2. इस देश में सभी काम श्रीगणेश की कृपा से आरम्भ हो जाते हैं। संस्थाएँ ज़ोर-शोर से खुल जाती हैं, चाहे बाद में निकम्मी और ढोंगी साबित हो जाएँ। आंदोलन आरम्भ होते हैं, जिसके सदस्य कुछ दिनों बाद आपस में लड़ने लगते हैं। प्रवत्तियाँ जल्दी ही दुष्प्रवत्ति में बदल जाती है।

3. इस देश को श्रीगणेश के अतिरिक्त दो देवताओं की ज़रूरत है। एक ऐसा देवता, जिसकी कृपा से आरम्भ हुआ काम ठीक से चलता रहे, बना रहे, सम्भला रहे। और दूसरा देवता हमें चाहिए समापन के लिए। जिसकी कृपा से बेकार और पुरानी चीजें ख़त्म हो जाएँ।

4. भारतीय बाज़ारों का नजारा यह है कि यहाँ सस्ती चीजें रईस ग्राहकों का इंतज़ार करती हैं और मंहगी चीजें गरीब ग्राहकों का। हथकरघे की साड़ी की ग्राहक इंपाला में आती है और टेरीकाट,नायलोन की ग्राहक बेचारी पैदल या बस में।

5. हमारे देश में यही होता है। योजनाएँ बनाती रहती हैं, काम नही होता। होता है तो देर से होता है, और योजना का काम तो निश्चित ही देर से होता है।

6. वास्तव में इस देश की सबसे कठिन और सबसे बड़ी योजना तो योजना बनाने की योजना है। जब योजना पूरी हो जाती है तो, सबको काम पूरा करने का संतोष मिल जाता है, बल्कि उसके बाद काम करने की आवश्यकता ही नहीं रह जाती।

7. हर योजना के दो लक्ष्य होते हैं। एक आर्थिक लक्ष्य और दूसरा भौतिक लक्ष्य। आर्थिक लक्ष्य पूरे हो हाते हैं, भौतिक लक्ष्य अधूरे रह जाते हैं। नींव खुद जाती है, खम्भे खड़े हो छत का इंतज़ार करते हैं। छत लग जाती है, तब रंग रोगन के लिए स्वीकृति नहीं मिलती। योजना का बड़ा लक्ष्य है काम करने वालों को वेतन और भत्ता देना। उसके बाद वास्तविक काम के लिए रुपया नही बचता, क्योंकि योजना-व्यय में कटौती हो जाती है।

8. जब भी बाढ़ आती है,केंद्र से बयान आते हैं। इतने वर्षों से ये बयान ही चट्टान की तरह खादे बाढ़ को रोक रहे हैं। बयान यह है कि बाढ़ की समस्या के दूरगामी और स्थायी उपाय किए जाने चाहिए।

9. इस देश में प्रांत समस्यायों से चमक में आते हैं और केंद्र बयानों से। भगवान दोनों को बराबर मौक़ा देता है।

10. लोगों का स्वभाव है कि जब तक उन्हें दांत का दर्द नहीं होता वे पेट-दर्द की शिकायत करते रहते हैं। इसलिए पेट-दर्द की समस्या का हल दाँत का दर्द हो गया है।


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