Monday, January 20, 2025

गुजारे के लिए जेल




आज अख़बार में एक खबर पढ़ी। खबर का शीर्षक है-"जापान में अकेलापन दूर करने जेल जा रहे बुजुर्ग।" खबर के अनुसार जापान के टोक्यो शहर में मौजूद जेलों में इन दिनों बुजुर्ग अपराधियों की तादाद बढ़ती जा रही है। अपनी ग़रीबी और अकेलापन दूर करने के लिए छोटे अपराध में जेल जाना पसंद कर रहे हैं।

सभ्य समाज में जेल जाना बेइज़्ज़ती मानी जाती है। लेकिन जब खाने-पीने के लाले के साथ अकेलापन भी जुड़ जाए और इंसान बुजुर्ग भी हो जाए तो जीवन जीने के लिए जेलयात्रा भी एक उपाय है। जापान में जेल में बुजुर्गों को नियमित भोजन, मुफ़्त स्वास्थ्य सेवा और लोगों का साथ मिलता है। इसीलिए बुजुर्ग छोटे-मोटे अपराध करके जेल जा रहे हैं।
खबर सुनकर ओ हेनरी की एक कहानी याद आ गयी, "द कॉप एंड द एंथम।" इसका नायक एक गरीब बालक है सोपी। ग़रीबी के कारण उसके खाने-पीने के लाले पड़े रहते हैं। सोपी गुज़ारे के लिए जेल जाने की कोशिश में कई अपराध करता है, लेकिन वह गिरफ़्तार होने में विफल रहता है। फिर, जब वह अपना जीवन बदलने का फ़ैसला करता है और वास्तव में कुछ नहीं करता है, तो उसे एक अधिकारी द्वारा पकड़ा जाता है, उस पर आरोप लगाया जाता है, और उसे तीन महीने की जेल की सज़ा सुनाई जाती है।
अपने देश में भी विकट ग़रीबी है। लोगों को जीवन यापन के लिए पाँच किलो अनाज दिया जा रहा है। चुनाव के अलावा सरकार इस योजना को शायद इसलिए भी ख़त्म करने में हिचकती है कि कहीं इसके ख़त्म होते ही अपराध करके जेल जाने की कोशिश न करने लगें। लोग जेल जाने के लिए बवाल काटने लगें।जो जननेता जितने अधिक लोगों के जेल जाने का इंतज़ाम कर देगा वो उतना बड़ा लीडर कहलायेगा। जेल जाते लोग नारे लगा सकते हैं , वो है तो मुमकिन है। लेकिन अगर कभी ऐसा होगा तो जेल व्यवस्था चरमरा जाएगी।इसलिए यही मनाते है कि यह बवाल जापान तक ही सीमित रहे।

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