Thursday, July 17, 2025

पार्क में मोटरसाइकिल

शाम को टहलने निकले। सुबह जो लोग लड़ते-झगड़ते दिखे थे वे आसपास बैठे चाय पी रहे थे। जिसके ऊपर गंदगी का आरोप लगा था उसके दोनों बच्चे नंग-धड़ंग दिगम्बर आपस में खेल रहे थे। दोनों मियाँ बीबी चाय पी रहे थे।

पूछने पर बताया कि वे राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले हैं। आते जाते रहते हैं। यहाँ दिहाड़ी पर काम करते हैं। सामने कुछ प्लास्टिक की गाड़ियाँ भी रखी थीं। शायद बेचने के लिहाज़ से। लेकिन बिकती नहीं हैं वे।

अभी बारिश हो रही है। हवा ठंडी बह रही है। पता नहीं फ़ुटपाथ में रहने वाले लोग कहाँ शरण पाये होंगे।

फ़ुटओवर ब्रिज से गाड़ियाँ आती-जाती दिख रहीं थीं। दूर जाती गाड़ियों की लाल लाइट मानो इशारा कर रही हो -“हमारा पीछा मत करो। भिड़ जाओगे।

सड़क पर एक बुजुर्ग मिले। उन्होंने पूछा -“यहाँ कोई पार्क है?” जिस जगह पूछा था वहाँ आगे-पीछे दोनों तरफ़ पार्क थे। हमने बता दिए। वे पास के पार्क की तरफ़ चले गए। हम दूसरे पार्क में आकर टहलने लगे।

कुछ देर बाद वही बुजुर्ग सामने से आते दिखे। हमने पूछा-“पार्क नहीं मिला क्या पीछे ?”

वे बोले-“पार्क तो मिल गया। लेकिन वहाँ मोटरसाइकिल नहीं मिली। मोटरसाइकिल के पहले उन्होंने अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए बहन से जुड़ी गाली भी दी थी।

पता चला किसी पार्क के पास मोटरसाइकिल खड़ी करके भूल गए कि किस पार्क के पास खड़ी की। पार्क दर पार्क खोज रहे हैं मोटरसाइकिल। हमने उनको आसपास के और पार्क बताये। वे उनको खोजने चल दिए।

हमको याद आया हम सुबह अपना चश्मा आधा घंटा खोजते रहे और मोबाइल भी दस मिनट खोजा। हमको तो चश्मा और मोबाइल मिल गए। उन बुजुर्ग को पता नहीं उनकी मोटरसाइकल मिली कि नहीं ?

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