
आज अभी फैक्ट्री से कमरे पर लौटते हुए पुलिया पर एक भाई जी मिले। साइकिल के कैरियर पर लकड़ी लदी थी। कंचनपुर से 10 रूपये की खरीद के लाये थे । चूल्हा जलाने के लिए। बेलदारी करते हैं। पुलिया के पास खड़े होकर दिहाड़ी गिन रहे थे। हम चुपचाप चले आये।
इसके पहले कल सर्वहारा पुलिया पर विश्वकर्मा जी मिले।2008 में फैक्ट्री से रिटायर। घर मरम्मत कराने के लिए ठेलिया पर बल्ली लिए धराये थे।'टेलीफून बीड़ी' पीते पुलिया पर आराम कर रहे थे।
कानपुर की सन 1948 की पैदाइश है विश्वकर्मा जी की। आर्मापुर में। आर्मापुर इंटर कालेज के पहले बैच से निकले।1964 में अपरेंटिस किया। पिताजी भी आर्डनैंस फैक्ट्री में थे।वाहन निर्माणी में आये तब शुरू हुई थी फैक्ट्री। गियर शाप में काम करते थे। हर तरह का गियर बनाया। सीखा।अभी भी कभी काम पड़ता है तो बुलाये जाते हैं फैक्ट्री।
आर्मापुर के किस्से बताते हुए बोले- "पनकी पावर हाउस हमारे सामने बना। शाम को चले जाते थे। देखने। कभी कुछ काम भी कर देते थे।"
बात करते हुए सड़क के पार से आवाज आई-"अरे भाई छोड़ दो इनको जाने दो।" पता चला स्कूटर पर हमारे मोतीलाल इंजीनियरिंग कालेज के सीनियर शुक्ल जी अपने स्कूटर से घर लौट रहे थे। हमको विश्वकर्मा जी से बतियाते देखा तो वे भी आ गए पुलिया पर। शुक्लजी सिविल इजिनियारिंग की पढाई किये हैं लेकिन पिछले बाइस साल से होम्योपैथिक डाक्टरी कर रहे हैं। इस बारे में विस्तार से फिर कभी।
विश्वकर्माजी ने शुकुलद्वय का फोटो खींचा और तीनों लोग अपने-अपने गन्तव्य को गम्यमान हुए। ठेलिया वाला पहले ही बल्ली लेकर चला गया था।
बात करते हुए सड़क के पार से आवाज आई-"अरे भाई छोड़ दो इनको जाने दो।" पता चला स्कूटर पर हमारे मोतीलाल इंजीनियरिंग कालेज के सीनियर शुक्ल जी अपने स्कूटर से घर लौट रहे थे। हमको विश्वकर्मा जी से बतियाते देखा तो वे भी आ गए पुलिया पर। शुक्लजी सिविल इजिनियारिंग की पढाई किये हैं लेकिन पिछले बाइस साल से होम्योपैथिक डाक्टरी कर रहे हैं। इस बारे में विस्तार से फिर कभी।
विश्वकर्माजी ने शुकुलद्वय का फोटो खींचा और तीनों लोग अपने-अपने गन्तव्य को गम्यमान हुए। ठेलिया वाला पहले ही बल्ली लेकर चला गया था।
- Ayudhya Misra, Subhash Chander, Sujata Tewatia और 52 अन्य को यह पसंद है.
- अनूप शुक्ल गरीब की जोरू और भाभी जिसकी होगी वे जाने लेकिन हमारे शुक्ला सर की ये प्रेमिका सरीखी रही जिससे बाद में निकाह भी किये। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद सिविल इंजीनियरिंग का काम करने के बाद सब कुछ छोडकर डाक्टरी में आ गए और आनंदित हैं अपने काम से। प्रवीण 'सुनिये मेरी भी'
- Kiran Dixit भाई जी किसी को तो छोड़ दिया करो ।जो भाई साहब लकडियाँ लेकर जा रहे थे उनका ढांचा तो स्वयं लकड़ी की तरह लग रहा है।
- प्रवीण 'सुनिये मेरी भी' सर जी यह अद्भुत शास्त्र है, आप भी दु तीन ठो पिछली सदी में छपी किताबें पढ़ें, अगले दिन से ही नया मुर्गा ढूंढ़ अपना ज्ञान उस पर आजमा बीमारी मिटाने का जूनून सर चढ़ बोलेगा आपके...
- सचिन तिवारी · Kajal Kumar और 36 others के मित्रस्टेट की पुलिया बहुत से घुमकड़ो राहगीरों की विश्राम करने की जगह होती है शहर की भीड़ बड़ी गलियों में कहा । 20 साल हों गए जबलपुर के फैक्ट्री स्टेट की शांत वातावरण को देखे
- Ashutosh Gupta विश्वकर्मा जी गियर बनाने में महारत रखते हैं, उनकी कमी अभी भी बहुत खलती है gear shop में।
- Er K S Gupta आपके सीनियर शुक्लजी सिविल इंजीनियरिंग की पढाई करके होमिओपॅथिक की प्रैक्टिस कर रहे है | ऐसा क्यों हुआ कभी चर्चा करे ?
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