Monday, September 22, 2014

पेड़ों के कोन में आइसक्रीम सूरज भाई

 ये सूरज भाई ऐसे पेड़ों के कोन में आइसक्रीम सरीखे घुसने की कोशिश में लग रहे हैं। ऐसे भी लग रहा है जैसे सूरज पेड़ों की निहाई पर ( Anvil) पर धरा हो और आसमान उस पर हथौड़े से प्रहार कर रहा हो जिससे उसकी रोशनी फूट-फूट कर इधर -उधर छितरा रही है | मानों  पेड़ ने अपनी मुट्टी में सूरज को धर लिया हो। दिशाएं हंस रहीं हैं सूरज और पेड़ की इस हरकत पर। लग तो यह भी रहा है कि डूबने के पहले सूरज पेड़ों के कन्धों पर  लटका हुआ 'प्रकाश के प्रयोग'  कर रहा है। मन तो किया कि टोंक दें लेकिन फिर सोचा किसी की निजी जिन्दगी में क्या दखल देना।

एक सीन तो यह भी बन रहा है कि गरम  सूरज को आसमान पेड़ों की संडासी में फंसाए पश्चिम दिशा को ले जा रहा है वहां जाकर देगा एक किनारे| दिन भर का थका हारा सूरज अब मार्गदर्शक बनने लायक ही रह गया दीखता है | 

शाम को गयी थी उस दिन। अब तो सूरज भाई नये तेवर के साथ आकाश पर दैदीपिय्मान हैं।
ये सूरज भाई ऐसे पेड़ों के कोन में आइसक्रीम सरीखे घुसने की कोशिश में लग रहे हैं। ऐसे भी लग रहा है जैसे सूरज पेड़ों की निहाई पर ( Anvil) पर धरा हो और आसमान उस पर हथौड़े से प्रहार कर रहा हो जिससे उसकी रोशनी फूट-फूट कर इधर -उधर छितरा रही है | मानों पेड़ ने अपनी मुट्टी में सूरज को धर लिया हो। दिशाएं हंस रहीं हैं सूरज और पेड़ की इस हरकत पर। लग तो यह भी रहा है कि डूबने के पहले सूरज पेड़ों के कन्धों पर लटका हुआ 'प्रकाश के प्रयोग' कर रहा है। मन तो किया कि टोंक दें लेकिन फिर सोचा किसी की निजी जिन्दगी में क्या दखल देना।

एक सीन तो यह भी बन रहा है कि गरम सूरज को आसमान पेड़ों की संडासी में फंसाए पश्चिम दिशा को ले जा रहा है वहां जाकर देगा एक किनारे| दिन भर का थका हारा सूरज अब मार्गदर्शक बनने लायक ही रह गया दीखता है |

शाम को गयी थी उस दिन। अब तो सूरज भाई नये तेवर के साथ आकाश पर दैदीपिय्मान हैं।

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