Saturday, September 06, 2014

खम्भे पर पद्मासन

तिवारी जी ने बताया कि वे 12-14 आसन करते हैं। योगासन उन्होंने मंडला के शुक्ला जी से सीखे। पुलिया के पास के एक खम्भे की तरफ़ इशारा करके बताये कि कभी-कभी वहां पद्मासन करते हैं। हमने कहा -वाह जरा करके दिखाइये। वे फ़ौरन पुलिया से उतरकर साइकिल समेत सीमेंट के पिलर पर पहुंच गये। साइकिल खंभे के बगल में खडी की और उसका सहारा लेकर खम्भे पर पद्मासन लगाकर बैठ गये। वैसे भी आजकल अच्छे दिन की तलाश में हर कोई तो पद्मासन लगाने को बेताब है।

तिवारी जी को बडी सहजता से पद्मासन लगाता देखकर याद आया कि पिछले साल यहां हनुमान मंदिर में एक भंडारा हुआ था। उसमें सब लोग जमीन पर बैठे थे- पाल्ती मारकर। उठते समय यह शर्त लगी कि देखें कौन बिना जमीन में हाथ लगाये अपने आसन से उठ जाता है। हम उठ गये थे। इसी से याद आया कि हमारा बच्चे को पाल्थी लगाकर बैठने में समस्या होती है। हड्डी का डाक्टर कहता है कोशिश करेगा हो जायेगा। अब वो चला गया हास्टल। मौज से कुर्सी मेज पर बैठकर खाता है। कौन कोशिश करेगा! 

तिवारी जी कल चले जायेंगे बिलासपुर। क्या पता कब वापस आयेंगे। कब फ़िर से दिखेगा पुलिया पर योगाभ्यास!

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