Saturday, February 27, 2016

तम्बाकू नहीं खायेगें अब



मयूर (दांये) सोनू के साथ पुलिया पर
कल दोपहर को लंच के लिये मेस आते हुये पुलिया पर दो लोग बैठे दिखाई दिये। साइकिल उनकी सामने खड़ी थी। दोनों साथ के लिफ़ाफ़े से कुछ निकालकर हथेली से रगड़कर खाते हुये दिखे। हमें लगा कि ये दोनों तम्बाकू खा रहे हैं । ’तम्बाकू विरोधी प्रवचन का मौका मिला सोचकर हम किंचित प्रसन्न भी हुये। उनके पास से गुजरते हुये बतियाने लगे।

जैसे खुद को पक्का ईमानदार मानने वाला इंसान दूसरे की हर हरकत को बेईमानी की दिशा में उठा हुआ कदम समझकर उसकी निन्दा करता है। या फ़िर आजकल अपने को देशभक्त मानने वाले लोग अपने से अलग विचार रखने वाले को देशद्रोही ही मानकर यथासंभव उनका हर संभव संहार करने की चेष्टा करते हैं वैसे ही किसी को तम्बाकू खाते देखकर, बीडी पीते हुये उसको प्रवचनामृत पिलाने की सहज इच्छा घेर लेती है अपन को भी।

बात करने पर पता चला कि वे तम्बाकू नहीं खा रहे थे। बल्कि मूंगफ़ली छीलकर खा रहे थे। मूंगफ़ली छीलकर हथेली में रगड़कर दानों का छिलका हटाने को हमने उनका तम्बाकू खाना समझ लिया। कितनी पूर्वाग्रहग्रस्त मानसिकता हो रखी है अपन की भी। आपके साथ भी ऐसा होता है क्या ? :)


उनमें से एक ने बताया कि वे टेंट हाउस में काम करते हैं। वेटर और अन्य सब सर्विस का काम। उसी की मजदूरी लेने जा रहे थे। 375 से 400 रुपये रोज के मिलते हैं। जब टेंट हाउस का काम नहीं मिलता तो बेलदारी का काम करते हैं। उसमें 250 रुपये तक मिलते हैं।

मयूर चौरे नाम था। शक्ल से 20-22 साल के लगने वाले ने अपनी उमर 30 साल बताई। उसके साथ उसका चचेरा भाई सोनू था।

अपना किस्सा बताते हुये मयूर ने बताया कि वह मराठी है। बालाघाट में घर है। लेकिन पिता जबलपुर आ गये। छह बहनों का अकेला भाई है वह। पिता अब हैं नहीं। मां साथ में हैं। शादी हो गयी है। पत्नी छत्तीसगढ की है। मयूर खुद पांचवी पास है। पत्नी आठवीं पास है। दो बच्चे हैं उसके। बच्ची छह साल की और एक बच्चा चार साल का। सब बहनों की शादी हो गयी। दो बहनों की शादी पिता के न रहने पर की।

हमने कहा -’पिता के सात बच्चे हुये। तुम्हारे तीस साल की उमर में दो बच्चे हो चुके। आगे और होंगे!’

’अब नहीं होंगे। हमने वाइफ़ का आपरेशन करवा दिया- छोटा परिवार, सुखी परिवार।’ - मयूर एकदम परिवार नियोजन कार्यक्रम का ब्रांड एम्बेसडर सा हो गया।

हमने कहा -’ बड़े समझदार हो तुम तो यार।’

काम काज के बारे में बात करते हुये बोला- ’ टेंट हाउस के काम में पैसा तो मिलता है लेकिन हमको अच्छा नहीं लगता। लोग गाली-गलौज करते हैं। अबे-तबे करते हैं। शादी-व्याह पार्टी में दारू पीकर बदतमीजी से बात करते हैं। कुछ बोल सकते नहीं। बोलो तो मारपीट तक पर उतारू हो जाते हैं। इसलिये हम कुछ और काम करने की सोच रहे हैं।’

हमने फ़िर कहा -’ तुम तो बड़ी समझदारी की बात करते हो यार। लगते भी नहीं 30 साल के हो।’

इस पर सोनू ने बताया कि कोई भी नहीं कहता इसको कि 30 साल का है यह। सब कम उमर ही समझते हैं इसे।

बात करते हुये अपने मोबाइल में उसने अपने घर वालों के फ़ोटो दिखाये। मोबाइल पुराना था। स्क्रीन शायद ढीला हो गया था। रबड़ बैंड से बांधा गया था। मां, पत्नी, बच्चे सबके फ़ोटो दिखाये । पत्नी का नाम बताया पूनम। धूप में डेढ इंच बाई डेढ इंच के स्क्रीन में फ़ोटो साफ़ नहीं दिख रहे थे लेकिन उसके उत्साह की चमक के चलते हमने सब फ़ोटो देखे और तारीफ़ की।

पत्नी की बात चली तो हमने पूछा- ’ कभी घुमाने / पिक्चर दिखाने ले जाते हो?’

वह बोला- ’ घर में ही टीवी में देखती है। बाहर जाने की फ़ुर्सत ही नहीं मिलती।’

मां का बहुत ख्याल रखता है ऐसा लगा। इतनी तारीफ़ की अपनी मां की उसने कि अगर मुनव्वर राना सुनते तो कुछेक और शानदार शेर निकाल देते।

चलने के पहले हमने उससे कहा -’तुम्हारे दांत से लगता है कि तुम तम्बाकू भी खाते हो! क्यों खराब करते हो अपने दांत? ’

इस पर उसने कहा -’ आपने कह दिया अब आज के बाद से कभी नहीं खायेंगे।’ कहते हुये उसने जेब से तम्बाकू की पुडिया निकालकर वहीं फ़ेंकने का उपक्रम किया।

हमने कहा -’ यहां मत फ़ेंको। अपने साथ ले जाओ। घर में रखना। पत्नी के पास कि अब छोड़ दी। यह आखिरी थी । ’

शाम को फ़ोन पर फ़िर बताया उसने कि तम्बाकू नहीं खायेगा अब ! :)

पता नहीं अपने कहे पर अमल कर पाता है कि नहीं। लेकिन तय किया यही क्या कम ! :)

चलते हुये बोला -’ आप बहुत अच्छे हैं अंकल जी। वर्ना आजकल कौन आम लोगों से इस तरह बात करता है! ’ यह कहते हुये उसने आते-जाते तमाम लोगों की तरफ़ इशारा किया गोया शिकायत दर्ज करा रहा हो कि देखिये इनमें से कोई रुककर हमारा हाल-चाल नहीं पूछ नहीं रहा।  :)

हमने कहा - ’अरे यार,तुम आम नहीं खास हो। इतने समझदार हो। तुमसे बात करके बहुत अच्छा लगा मुझे।’
वह बोला -’मुझे भी बहुत अच्छा लगा अंकल जी। आपसे बात करते-करते मूंगफ़ली कब खत्म हो गयी पता ही नहीं चला। 30 रुपये थे हमारे पास। 10 रुपये की मूंगफ़ली ली थी। सब खा डाली यहीं बैठकर आपसे बात करते हुये।’ यह कहते हुये उसने पास के बचे हुये 20 रुपये भी दिखाये।

हमने कहा -’ अच्छा हम दे देते हैं 10 रुपये तुमको। फ़िर से खा लेना मूंगफ़ली।’ :)
 
मयूर हंसते हुये अपने साथी सोनू के साथ चला गया। हम भी मेस चले आये।

मयूर (दांये) सोनू के साथ पुलिया पर। मूंगफली का पैकेट दोनों के बीच ।





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