Monday, December 16, 2013

सरकार बनाने के लिये सर्वे

http://web.archive.org/web/20140420081628/http://hindini.com/fursatiya/archives/5229

सरकार बनाने के लिये सर्वे

सर्वे “आप” ने घोषणा की है कि जनता कहेगी तो वह सरकार बनाएगी।
यह कुछ-कुछ ऐसा ही है जैसा कि आजकल लड़के-लड़कियां प्रेम-मोहब्बत अपनी मर्जी से करते हैं लेकिन शादी की बात चलते ही संस्कारी बन जाते हैं। कहते हैं- प्रेम भले हमने किया लेकिन शादी मां-बाप की मर्जी से करेंगे। आखिर उन्होंने हमें जनम दिया है। हम पर उनका भी तो कुछ हक है।
वही हाल “आप” का है। बहुमत मिला नहीं तो जनता से पूछेंगे सरकार बनायें कि मटिया दें?
अरे भाई,चुनाव आपने लड़ा। प्रतिनिधि आपने खड़े किये। वोट आपको मिले। अब आप तय करो कि सरकार बनानी है कि नहीं! सब कुछ जनता ही बतायेगी क्या?
ऐसा शायद वे इसलिये कर रहे हैं कि कल को अगर कोई सरकार बनाने के नाम पर उनको गरियाये तो वे कह सकें- भाई हमने वही किया जिसके लिये जनता ने हमसे कहा। हमको मत कुछ कहो। जो कहना हो जनता से कहो जाकर। हम जनता नहीं हैं। जनता के सेवक हैं। जनता की गलती का दोष हमको मत दो।
जनता से सरकार बनाने के बारे में वे शायद इसलिये भी पूछना चाहते हैं ताकि जनता को उसकी गलती का एहसास करा सकें। जनता को उसकी कंजूसी की शिकायत करना चाहते हैं। जनता अगर आठ सीट और जिताये होती तो ठाठ से सरकार चला रहे होते अब तक। जनता को दुबारा डिस्टर्ब न कर रहे होते। जनता की समस्यायें निपटा रहे होते।
अब जनता का बताने का तरीका तो चुनाव ही है। सब जानते हैं। फ़िर अब और कौन जनता से पूछना चाहते हैं भाई आप सरकार बनाने के बारे में? कहां मिलेगी आपको जनता? वो तो काम धंधे में लगी है। मंहगाई से जूझ रही है। रोज के झंझटों से निपट रही है। उसको कहां फ़ुरसत जो रोज-रोज बताये कि वह क्या चाहती है?
लेकिन जनता से पूछताछ शुरु हो गयी है। चैनल वाले पूछ रहे है.बताइये ‘आप’ को सरकार बनानी चाहिये कि नहीं? अगर आपकी राय सरकार बनाने के पक्ष में है तो ‘हां’ लिखिये और विरोध में हैं तो ‘न’ लिखिये। भलाई के काम में चैनलों का धंधा शुरु। तीस पैसे का एस.एम.एस.पाँच रुपये में होगा। कुछ चैनल के पास जायेगा कुछ टेलीफ़ोन कंपनी में। भ्रष्टाचार मिटाने की कीमत तो चुकानी पड़ेगी भाई।
जनता की राय जानने के लिये टोल फ़्री नम्बर की सुविधा का उपयोग भी हो सकता है। ‘आप’ लोग कुछ टोल फ़्री नम्बर लेकर जनता से सरकार बनाने या न बनाने के बारे में उसकी राय पूछेंगे। सवाल-जबाब कुछ इस तरह से हो सकते हैं:
दिल्ली में सरकार बनाने के लिये जनता की राय जानने के इस कार्यक्रम में आपका स्वागत है। हिन्दी में बातचीत के लिये एक दबायें टु कन्टीन्यू इन इंगलिश प्रेस टू।
आप एक दबा के आगे बढ़ेंगे तो अगला सवाल होगा- क्या आप देश से भ्रष्टाचार मिटाना चाहते हैं? हां के लिये ‘एक’ दबायें न के लिये ‘दो’ दबायें।
आप एक दबाकर आगे बढ़ेंगे तो फ़िर अगला सवाल होगा- क्या आप एक ईमानदार सरकार चाहते हैं? हां के लिये ‘एक’ दबायें न के लिये ‘दो’ दबायें।
‘एक’ दबाकर जैसे ही आप आगे बढ़ेंगे फ़िर सवाल होगा- क्या आप मंहगाई को कम करने चाहते हैं? हां के लिये ‘एक’ दबायें न के लिये ‘दो’ दबायें।
इसी तरह के तमाम सवालों के जबाब में आप ‘एक’ दबाकर आगे बढ़ते जाते हैं। सवाल इस तरह के हो सकते हैं:
— क्या आप सस्ती बिजली चाहते हैं?
— क्या आप भ्रष्टाचारियों को जेल भेजना चाहते हैं?
— क्या आप साफ़ पानी चाहते हैं?
— क्या आप बेहतर स्वास्थ्य सुविधायें चाहते हैं?
क्या आप, क्या आप के सवालों से जूझते हुये आप आगे बढ़ते जाते हैं। कई बार टोल फ़्री का कनेक्शन कट जाता है लेकिन एक राज्य में सरकार बनाने के बारे में राय देने की भागेदारी के लालच में दुबारा जबाब देने लगते हैं।
आखिर में सवाल आता है अगर हम बहुमत में न होने के बावजूद सरकार बनाते हैं तो आप हमसे नाराज तो न होंगे? नाराज न होंने के लिये ‘एक’ दबायें नाराज होने के लिये ‘दो’ दबायें।
आप सरकार बनाने से नाराज न होने की बात कहकर समझते हैं कि बवाल कटा राय देने का। लेकिन अगला सवाल आता है– आपकी बात का मुझे विश्वास नहीं हो रहा है। आपसे अनुरोध है कि कृपया दोबारा अपनी राय व्यक्त करें। अगर आप सहीं में हमारे द्वारा सरकार बनाने का समर्थन करते हैं कृपया दोबारा इस सर्वे में भाग लेकर हमारे हाथ मजबूत करें। हमारी हौसला आफ़जाई करें।
आप झक मार कर दोबारा से सर्वे में भाग लेने की सोचते हैं। ईमानदार सरकार की स्थापना के लिये मन की हुड़कन आपको एक बार और मेहनत के लिये तैयार कर लेती है।
लेकिन आप जैसे ही एक दबाकर सर्वे समर में कूदते हैं तब तक दिल्ली में राज्यपाल शासन लागू हो जाता है। सर्वे अधूरा रह जाता है।

6 responses to “सरकार बनाने के लिये सर्वे”

  1. sanjay jha
    …………….
    ऐसे में तो जनता फूट लेगी………
    …………….
    प्रणाम.
  2. सतीश सक्सेना
    हमारा बस चले तो कट्टा कानपुरी को पी एम् बनवा दें !
    सतीश सक्सेना की हालिया प्रविष्टी..क्या होगा , यदि कल का सूरज, मेरे प्राण नहीं देखेंगे -सतीश सक्सेना
  3. indianrj
    कांग्रेस कि सरकार तो गई, लेकिन “आप” ने दिल्ली में एक confusion का माहोल पैदा कर दिया है. ठीक है, पुरानी व्यवस्थाओं से आम लोग उक्ता चुके थे, इसलिए उन्हें एक नया विकल्प ठीक लगा, लेकिन ये नया विकल्प उन्हें और ज़यादा उलझा रहा है. आप के लोगों की बॉडी लैंग्वेज देखें तो वो स्वमुग्ध और दूसरों को हमेशा कटघरे मैं खड़े करने की मानसिकता से ग्रस्त लगते हैं, ऐसे शंकालु प्रवृति के लोग बजाय अपनी सरकार बनाने के सिर्फ इस बात पर प्रश्नचिन्ह खड़े करके मालूम नहीं क्या जताना चाहते हैं कि “बिना शर्त समर्थन कोई नहीं देता”. अरे भाई, दिल्ली के लोगों ने तुम लोगों पर भरोसा जताया है, तो सरकार बनाइये और वादे पूरे कीजिये.
  4. प्रवीण पाण्डेय
    अब हर निर्णय के लिये जनता के पास जायेंगे तो पाँच साल में १० निर्णय ले पायेंगे।
    प्रवीण पाण्डेय की हालिया प्रविष्टी..लुटे जुटे से
  5. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    उन्हें यदि तनिक भी यह भान होता कि कर के दिखाने की नौबत भी आ सकती है तो इतनी ऊँची-ऊँची बातें नहीं फेंकते। कमबख़्त जनता ने बाकियों से उकताकर ऐसा बटन दबा किया कि अब हालत “साँप-छंछूदर” की हो गयी है। ऐसे में एक असंभव टाइप शर्तों वाली बिदकाऊ चिठ्ठी लिखने के अलावा रास्ता ही क्या बचा था?
    सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी की हालिया प्रविष्टी..दहलीज़ पे बैठा है कोई दीप जलाकर (तरही ग़जल)
  6. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    […] सरकार बनाने के लिये सर्वे […]

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