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आज
दोपहर को पुलिया पर शेरू (स्वेटर में) और श्याम कश्यप से मुलाक़ात हुई।
शेरू दिन में बेलदारी का काम करते हैं। शाम को पापड़ बेचते हैं। आज भी बाजार
से पापड़ लेकर लौटते हुए रस्ते में पुलिया पर बैठकर धूप ने सुस्ताने लगाने
लगे।पापड़ का अर्थशास्त्र समझाते हुये बताया शेरू ने कि बाजार से पापड़ 60
रूपये किलो मिलते हैं। एक किलो में करीब 40 पापड़ चढ़ते हैं। मतलब डेढ़ रूपये
का एक पापड़। उसे गरम करके पांच रूपये का बेचते हैं। दो घण्टे में सौ सवा
सौ बचा लेते हैं।
कश्यप जी के काम के बारे में पूछा तो बताया
- आलराउंडर हैं। मतलब जो काम मिल जाए कर लेते हैं। आज कोई काम नहीं मिला तो
आराम कर रहे हैं पुलिया पर।
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