Wednesday, June 03, 2015

थप्पड़ की आवाज हुई -चटाक

दो दिन पहले ये लोग मिले पुलिया पर। मजदूरी करते हैं। महिला को 200 सौ रूपये प्रतिदिन और पुरुष को ढाई सौ रूपये प्रतिदिन मिलते हैं। आदमी को ज्यादा पैसे इसलिए मिलते हैं क्योंकि वह फावड़ा भी चलाता है और कारीगिरी भी करता है जबकि महिला सिर्फ टोकरी से मिटटी और अन्य सामान ढोने का ही काम करती है।

इनकी दो बेटियां हैं। दोनों की शादी कर दी। बच्चियों की शादी के समय बच्चियां जितनी उम्र की थीं उस समय वे बालिग़ नही  हुई थीं। बेटियों की शादी इसलिए जल्द की क्योंकि बाद में लड़के नहीं मिलते अच्छे।बच्चों की शादी करने के बाद दोनों मियाँ बीबी आराम से मजूरी करते हुए से रहते हैं।

आज दोपहर को एक जोड़ा दिखा। आदमी कुछ अक्खड़ टाइप था। मैंने कुछ पूछा तो उसने कुछ कहा जो मैं ठीक से सुन नहीं पाया। इसके फौरन बाद औरत ने आदमी को टोंकते हुए थपड़िया दिया। थप्पड़ की आवाज हुई -चटाक । आदमी का शायद मूड आफ था। इसके बाद वे साईकिल पर सवार होकर चले गए।

सबेरे योग वाले तिवारी जी रोज मिलते हैं। उन्होंने खम्भे पर बैठकर योगासन सीख लिया है। साइकिल उन्होंने भी रैले ही ली है। उनकी साइकिल की बियरिंग खराब हो गयी है। दे आये हैं दुकान पर। बनने के लिए। देगा एकाध दिन में तब तक अस्थाई रूप से दूसरी साइकिल चलाते हैं। हमसे बोले थे गद्दी ऊँची कराने को। कराये हम तो असहज हो गए। फिर औकात में करा लिए साइकिल।

पुलिया कथा पर आज इतना ही। smile इमोटिकॉन

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