Sunday, April 16, 2017

शेर-वेर के बाद कुछ व्यंग्य-स्यंग्य जम जाय


आठ बज गये सुबह के, आय गयी है चाय,
जगा रहे स्टेटस को, बेटा अब तो उठि जाव।
बैठ बिस्तरे पर मजे से, खटर-पटर हुई जाय,
लिखें-पढ़ेगे बाद में, तनि शेर-वेर सटि जाय।
शेर-वेर के बाद कुछ व्यंग्य-स्यंग्य जम जाय,
लाइक-कमेंट के बाद , जुगलबंदी भी हो जाय।
-कट्टा कानपुरी

No comments:

Post a Comment