Saturday, March 23, 2019

खाली हीरोगिरी से थोड़ी होता है काम


सुबह टहलने निकले। एक दुकान पर एक भाई पुराने कबाड़ को हिल्ले लगा रहे थे। कोल्ड ड्रिंक के खाली डब्बों को हथौड़ी से पिचकाकर पतला कर रहे थे। फ़ूले हुये डब्बे हथौड़ी के नीचे आकर बराबर हो जा रहे थे। एक तरह से डब्बों का अंतिम संस्कार हो रहा था। डब्बे कभी अपने अंदर कोल्ड ड्रिंक समेटे किसी दुकान की फ़्रिज में दरबारियों, मंत्रियों, संत्रियों की तरह अकड़े बैठे होंगे। अंदर की माल निकल जाने के बाद उनके हाल उन उम्रदराज सांसदों जैसे हो गये हैं जिनको लगातार जीतने के बाद भी अगले चुनाव का टिकट न मिले।

कभी फ़ूले-फ़ूले, फ़्रिजों के वातानुकूलित माहौल में रहने वाले डब्बे हथौड़े द्वारा पिचकाये जाने के बाद फ़र्श में इधर-उधर पड़े हुये हैं। इसीलिये कहा गया -समय होत बलवान। अपनी औकात पर किसी को ज्यादा गर्व नहीं करना चाहिये।

डब्बों को पचकाकर ठिकाने लगाने के बाद कबाड़ी ने तारों पर हथौड़ा चलाना शुरु किया। हथौड़े की चोट से तार को अधमरा किया। इससे उसके ऊपर की प्लास्टिक ने अन्दर के तांबे/अल्युमिनियम का साथ छोड़ दिया। प्लास्टिक के साथ छोड़ते ही उसने तांबा निकालकर अलग कर दिया। प्लास्टिक को अलग फ़ेंक दिया। महीनों साथ रहने वाली प्लास्टिक और ताबां अलग-अलग पड़े एक दूसरे को फ़टी आंखों से निहारते रहे। कबाड़ी उनके दुख से निस्संग बाकी बचे सामान पर हथौड़ा चलाता रहा।
बीच-बीच में अपने मुंह के मसाले को मिसाइल तरह फ़ेंकते हुये अपने सामने की जमीन को लाल करता रहा।
सड़क किनारे कुछ लड़के एक लकड़ी के तने पर कालीदास सरीखे बैठे उसको कटते देख रहे थे। कभी कालीदास जिस पेड़ पर बैठे थे उसे काटते पाये गये थे। आज के बच्चों ने यह काम दूसरों को आउटसोर्श कर दिया है। लकड़ी का तना पास से घसीटकर लाये हैं। होली जलाने के लिये। आरे से काटकर तने के टुकड़े कर रहे हैं। तना मोटा है। आरा अन्दर जाकर बहक जाता है। कट नहीं पाता तना।
कुछ देर बाद लौटकर देखते हैं तो लकड़ी के तने को अधकटा छोड़कर बच्चे चले गये हैं। पास बैठा मोची कहता है- ’कभी काम किया हो तो काटें। खाली हीरोगीरी से थोड़ी होता है काम।’
हमें लगा यह बात हमारे लिये भी लागू होती है। लिखना-विखना आता नहीं , खाली गिटर-पिटर करने से थोड़ी होता है कुछ !

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