Tuesday, April 13, 2021

अपना पराठा बचाएं, चूहों को निपटाएं

अखबार में खबर पढ़ी-डलिया से पराठा गुम होने से महिला हुई बेहोश। दो पराठे में से एक पराठा डलिया से गायब हो गया। महिला ने देखा और बेहोश। बाद में यह समझाया गया कि पराठा चूहा ले गया।
पराठा गायब होने पर महिला के बेहोश होने के पीछे कई कारण रहे होंगे। न जाने क्या-क्या सोच रही होगी महिला। क्या पता आटा खत्म हो गया हो घर में, कल कैसे बनेगा खाना , यह सोच रही हो। या कोई और चिंता कर रही हो। उसी समय पराठा गायब देखकर झटका लगा हो और बेहोश हो गयी हो।
चूहे द्वारा पराठा ले जाने वाली बात इसलिए समझाई गयी होगी कि चूहे आमतौर पर ले जाते होंगे पराठे। चूहे अनाज खाने, चुराने के लिए मशहूर हैं। गल्ला गोदामों की अनाज की कमी/चोरी चूहों के मत्थे ही जाती है। बिहार में तो बांध कुतर गए थे चूहे।
चूहों की तरह कई सरकारी महकमों के लोग भी बदनाम हैं समाज की चीजें कुतरने के लिए। अखबार की एक खबर के मुताबिक एक आदमी ने खुदकशी कर ली। अखबार के मुताबिक खुदकशी का कारण यह था कि उसकी नाबालिग बेटी का अपहरण गांव कुछ ताकतवर लोगों ने कर लिया था। पुलिस लड़की की बरामदगी के लिए एक लाख रुपये मांग रही थी। उस आदमी ने 20 हजार जुगाड़ के दे दिए। बाकी के 80 हजार नहीं जुगाड़ पाया। पुलिस दाम कम करने को राजी नहीं हुई होगी। उस आदमी ने मजबूरी में आत्महत्या कर ली।
अखबार के मुताबिक आदमी का लिखा सुसाइड नोट जिसमें पुलिस द्वारा पैसे मांगे जाने का जिक्र होगा पुलिस ने फाड़ दिया। मामला एकाध दिन की सुर्खी के बाद रफा-दफा होने की गुंजाइश बन गयी।
एक पेंशनर द्वारा दी जानकारी के मुताबिक लेखपाल ने उनकी रिपोर्ट लिखने के लिए पन्द्रह हजार लिए थे।
इसी तरह के चूहे समाज को खोखला कर रहे हैं। अफसोस यह भी कि इनके लिए कोई चूहामार दवाई भी नहीं मिलती। जो मिलती है उसके मारक तत्व खत्म चोरी हो जाते हैं।ये चूहे उसको खाकर और ताकतवर हो जाते हैं। चूहामार दवाई इन चूहों के लिए नशे के काम आती है।
चूहे पकड़ने के लिए चूहेदानी का प्रयोग पहले ही असफल हो चुका है। बकौल परसाई जी :
"सरकार कहती है कि हमने चूहे पकड़ने के लिये चूहेदानियां रखीं हैं. कुछ चूहेदानियों की जब हमने जांच की तो पता लगा उसमें घुसने के छेद से बड़ा छेद, पीछे से निकलने के लिये होता है। चूहा जैसे ही फंसता है उधर से निकल जाता है क्योंकि पिंजड़ा बनाने वाले चूहों से मिले हुये हैं और चूहा पकड़ने वाले भी। हम पिंजड़ा देखते हैं वे उन्हें छेद दिखा देते हैं।
हमारे हिस्से बस चूहेदानी खरीदने का खर्च बढ़ रहा है..."
इलाज क्या है इसका। इलाज यही है कि अपने आसपास के चूहों को पहचान कर उनसे दूर रहा जाए। उनके दांत तोड़ने की व्यवस्था की जाए। चूहों के सारे बिल बन्द किये जायें।
अपने पराठे को बचाने के लिये चूहे को निपटाना जरूरी है।

 https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10222112323610564

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