Thursday, April 22, 2021

कोरोना बहुत डरपोक है

 

साल भर से कोरोना का हल्ला मचा है। भगदड़ मची है। जिसे देखो कोरोना से हलकान है। मरहूम गब्बर सिंह से भी जबर जालिम , डरावना हो गया है। जहां देखो वहां घुस जाता है। चैन लूट लेता है। मन करता है जय-वीरू को बुलाकर फिर पकड़वा दें लेकिन याद आता है जय भी इसके चक्कर में आ चुके हैं। वीरू भी वरिष्ठ नागरिक हो चुके हैं। उनको कष्ट देना ठीक नहीं।
जबसे कोरोना आया तबसे इससे निपटने के इतने तरीके आ गए बाजार में कि पूछो मत। हर तरीका दूसरे की विरोधी पार्टी का। अगर सब तरीकों को एक साथ रख दिया तो बचाव के तरीकों में महाभारत हो जाय। तीसरा विश्वयुध्द कोरोना से बचाव के तरीकों का हो जाये। पता नहीं कौन विजयी हो लेकिन सरकार एकांत की बनेगी ।
तरह-तरह के तरीके आये कोरोना से निपटने के। कोई बताइस कोरिया के लोग उल्टे हाथ से काम करने लगे जिससे वायरस से बचे रहें। थाली, दीपक भी जले। एक दोस्त ने लम्बी बहस के बाद साबित किया कि अपने समाज में घूंघट और पर्दा कोरोना से बचाव के लिए ही थे। एक ने बताया कि डायनासोर के विलुप्त होने का कारण कोरोना था। सबको कोरोना हो गया, आक्सीजन मिली नहीं और वे निपट लिए।
हमको रोज नए-नए तरीके बताए गए। जितने अपनाए उससे ज्यादा मटियाये। कुछ तो अपनाने की शुरआत के पहले ही फर्जी साबित कर दिए गए। पिछले हफ्ते हमको रोज हड़काया गया कपूर, लौंग, अजवाइन की पुटलिया ताबीज की तरह लटकाने के लिए। दिन भर सूंघने के लिए। हम टालते रहे, डांट खाते रहे। आज तय किया था लटका ही लेंगे। लेकिन सुबह ही एक दोस्त ने लिंक भेजा जिसमें बताया गया था कि इसका कोई फायदा होने का प्रमाण नहीं। हर अवसर आपदा बन रहा है। कोरोना हर एक को अपनी पार्टी की सदस्यता दिला रहा है। लगता इसको भी चुनाव लड़ने की हुड़क मची है। सरकार बनाएगा ससुरा यह भी। बहुत नीच, कमीना है यह कोरोना भी।
ऊपर से देखने में ऐसा लगता है कि हम लोग बहुत डरे हुए हैं कोरोना से। लेकिन सच्चाई यह है कि कोरोना भयंकर रूप से डरा हुआ है। डर के मारे ही जान बचाने के लिए रूप बदल कर घूम रहा है। हर जगह नई तरह से जा रहा है। दबे पांव घुस रहा है। बहुत डरा हुआ है। डर के मारे घिग्घी बंधी हुई कोरोना की। भीड़ में घुसकर, चुनाव रैली में छिपकर अपनी जान बचा रहा है। लेकिन कब तक जान बचाएगा। बस इसके दिन पूरे हुए ही समझिए।
मजे से रहिये। निपट जाएगा कोरोना भी। न वो दिन रहे न ये रहेगे। हिम्मत रखिये कुंवर नारायण की कविता पंक्ति को याद करते हुए:
"कोई लक्ष्य
मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं,
हारा वही जो लड़ा नहीं।"
आइये सब मिलकर लड़ते हैं। कोरोना की ऐसी-तैसी करते हैं। हौसला बनाये रखिये। मुस्कराते रहिये। हौसला और मुस्कान दुनिया के हर वायरस के एन्टीवायरस हैं।
जो होगा, देखा जाएगा। निपटा जाएगा। दम बनी रहे, घर चूता है तो चूने दो।

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