Monday, January 12, 2009

अथ जबलपुर कथा

http://web.archive.org/web/20140419214819/http://hindini.com/fursatiya/archives/567

42 responses to “अथ जबलपुर कथा”

  1. जि‍तेन्‍द्र भगत
    मजेदार संस्‍मरण। साथ में फोटो भी जानदार, दाऍ से बाएँ खि‍सकता हुआ:)
  2. Manoshi Chatterjee
    आप हँसाने में माहिर हैं। बहरहाल, भेड़ाघाट की तस्वीरें देख कर पुरानी यादें ताज़ा हो गईं। शुक्रिया।
  3. Manoshi Chatterjee
    पहली टिप्पणी आपका पोस्ट आधा पढ़ कर ही कर दी। आख़िरी तक पढ़ा तो मन कुछ ख़राब सा हो गया। स्लमडाग मिलियनेयर की याद आई, जिस फ़िल्म को देख कर मुझे बेहद शर्मींदगी हुई थी, और सिनेमा हाल से बाहर मुँह ढक के आने का दिल हुआ था।
  4. दिनेशराय द्विवेदी
    नदी किनारे कोई चड्डी में नजर आए। इस का मतलब यह नहीं कि देश बेहाल है। शादी में भेड़ाघाट फिरी में देखने को मिलेगा यह पता नहीं था। नहीं तो बहाने बनाने वालों की कमी हो जाती। खैर अभी यात्रा विवरण बाकी है। अभी तो बताना है कि लालसाहब आप के समधी कैसे हुए?
  5. abha
    चलिए शादी बढ़िया निपट गई और आप सैर कर आए…..
  6. seema gupta
    जबलपुर आपकी यात्रा और जिवंत वर्णन मजेदार , चित्र लाजवाब
    regards
  7. ताउ रामपुरिया
    फ़िर भी हमें लगा कि समीरलाल ब्लागर होने के बावजूद शरीफ़ हैं, ऐसा करेंगे नहीं।
    ये क्या है जी फ़ुरसतिया जी? हम कहीं गलत दुनियां में तो नही आ गये हैं. ब्लागर होते ही क्या दस नम्बरी का ठप्पा लग जाता है? :)
    रामराम.
  8. संजय बेंगाणी
    सुन्दर.
  9. dhirusingh
    रामजी ने भला ही किया आपका जो इतना घूम फिर आए . शादी की भी बतायं और समीर लाल जी की बिना वजह के व्यस्तता की भी
  10. ज्ञानदत्त पाण्डेय
    ये स्लाइड के चित्र बहुत अच्छे लग रहे हैं। मन होता है कि जबलपुर को स्थाई निवास बनाया जाये!
    अनूप शुक्ल जो भी लिखते हैं, शानदार लिखते हैं।
  11. Dr.anurag
    शुक्र है की अपने समीर लाल कनाडा वाले की मैका जबलपुर है…तभी आप दे दनादन फोटो खीच रहे थे इन झरनों के….उम्मीद है लाल स्वेटर जबलपुर में भी दिखा होगा…..background में ..गन्ने के खेत तो नही दिखाए ना मामा जी ने .”.जब वे मेट” की तरह….
  12. PN Sunramanian
    बड़ा अच्छा लगा आपका जबालिपत्तन का सफरनामा. लगता है.
  13. डा. अमर कुमार

    बहुत सारी यादें ताज़ा करवाने का आभार..
    ज्ञानदत्त जी, मन को रोकें नहीं… वहाँ नर्मदालय में बुकिंग चल रही है !
    इन्टरनेट और सभी सुविधाओं से लैस सीनियर सिटीज़न के लिये बेहतरीन इंतज़ाम !
    पीछे पीछे मैं भी आता हूँ, हमारा शिखर सम्मेलन वहीं होगा !
    बाकी स्लईडिया मस्त है !

  14. kanchan
    ye to aap ke ghumane ki kahani hai…. shadi kab hogi….????
  15. बवाल
    जनाब फ़ुरसतिया जी, हमारे शहर का इतना सुन्दर दर्शन सबको कराने के लिए बहुत बहुत आभार आपका. सविस्तार वर्णन में अचानक नींद का विराम ! क्या बात है ? क्रमश: की गुन्जाइश तो होगी ही आपके पास. कुछ और बढ़ा दीजे न, जी नहीं भरा. नर्मदे हर !
  16. कविता वाचक्नवी
    इतना सहज व जीवन्त लेखन आपका जब भी पढ़ती हूँ, जगह जगह उसकी प्रशंसा व उसमें निहित सारस्वत सौंदर्य की मुग्धता के भाव उमड़ते हैं। प्रशंसा के कई बिन्दु उसमें निहित रहते हैं। कैसे कहा जाए कि क्या क्या अच्छा लगा।
    बस, एक शब्द कहना शेष सूझता है – बहुत रोचक व अर्थगम्भीर।
  17. अजित वडनेरकर
    तस्वीरें भी शानदार, तब्सरा भी जानदार…
    शादी के बहाने धुआंधार भी देख लिया….हम तो पहले ही जानते थे कि समीर लाल धुंआंधार से ज्यादा दूर नहीं रह सकते है। इसीलिए जबलपुर से दूर जाकर भी उन्होंने ओंटेरियो में इसीलिए चुना क्योंकि न्याग्रा वहां से ज्यादा दूर नहीं है….
  18. प्रियंकर
    खूब भालो लिखेछेन ! बेहद मानवीय !
    तस्वीरें भी खासी सुंदर हैं . विवाह समारोह के बाकी विवरण ?
  19. Abhishek Ojha
    ये तीन लेने सबसे मजेदार लगी…
    - इस बात पर हम अपना सा मुंह लेकर रह गये (और किसका लेते उस समय?)
    - शादी की इच्छा रखने वाले कुंवारे-कुंवारियों को शादियों में जाना चाहिये ताकि वे भी हिल्ले लग सकें।
    - क्या माना जाये दो हजार की बचत या अठारह हजार की चपत। यह भी सोचा कि इसी बहाने उनको जबलपुर हमेशा के लिये उनको याद रहेगा।
    इसके बाद तो यथार्थवाद चालु हो गया !
  20. विवेक सिंह
    अतिसुन्दर ! मनमोहक धुंआधार वर्णन ! आभा………र !
  21. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    पच्चीस दिसम्बर के बाद से ही इस रिपोर्ट की प्रतीक्षा थी। मालूम था कि आपका लिखा विवरण मजेदार, रसीला, और ईर्ष्या उत्पन्न करने वाला ही होगा। उम्मीद से कुछ अधिक ही मिला। अगली किश्त की प्रतीक्षा रहेगी।
  22. mahendra mishra
    आपने जबलपुर यात्रा की रोचक यादे पोस्ट में उकेरी है . आपने बढ़िया ढंग से भेडाघाट की फोटोग्राफी को प्रस्तुत किया है उसके लिए आभारी हूँ .
  23. amit
    वाह, शानदार च जानदार यात्रा संस्मरण! :)
  24. shruti
    भेड़ाघाट हमेशा जीवंत लगता है..काश आप चाँदनीरात में उसका दिलकश नजारा कर पाते। यूँ तो नौका में सवार भईया लोग मस्त कामेंट्री करते हैं लेकिन हमारी सालाह पर यदि चाँदनीरात में वहाँ जाएँ तो साथ में मेडिकल टेप ले जाइएगा। नाव वाले भईया के मुँह पर चिपकाने के काम आएगा। उसके बाद नर्मदा मईया के स्पंदन की मीठी धुन सुनिएगा….स्वार्गिक अनुभव होगा।
  25. Shiv Kumar Mishra
    बाह! बाह!
    बहुत खूब विवरण. वैसे एक बात बताईये. आजकल भेंडाघाट में कितने फीट ऊपर से पानी गिरता है? सुना है पहले के जमाने में एक हज़ार फीट ऊपर से गिरता था. आजकल ज़माना ख़राब है तो पांच सौ फीट ऊपर से गिरता है. फोटो-सोटो भी खूब बढ़िया लगा.
  26. समीरलाल
    वाह!! जबलपुर की बहुत उम्दा चित्र प्रदर्शनी लगा दी आपने. मजा आ गया. हम तो चाहते ही थे कि आप जबलपुर पूरा कायदे से देखें, नाश्ते में क्या है. वो तो कभी भी हो जाता. दीपक के फोन को काफी तलाशा गया मगर कोई सुराग नहीं मिला.
    सड़कों में सुधार की तो कोई संभावना निकट भविष्य में दिखती नहीं अतः कानपुर जबलपुर का भाईचारा बरकरार रहेगा.
    बच्चों का कूद कर उतने तेज बहाव और गहराई में पैसे निकालना वाकई दुख देता है मगर यह परंपरागत रुप से तबसे देख रहा हूँ जब से होश संभाला और भेड़ाघाट को जाना. भेड़ाघाट तो शनैः शनैः विकसित होता गया मगर ये बच्चे आज भी वहीं हैं, बस चेहरे बदल जाते हैं.
    आपकी नजरें हर ओर जाती हैं, साधुवाद और एक बार पुनः आयोजन में आकर शोभा बढ़ाने और अनुग्रहित करने का आभार.
    अब आगे का शादिया विवरण भी सुना ही डालिये. :) बहुते डिमांड है भई.
  27. Ghost Buster
    लाजवाब!
  28. Arvind Mishra
    जल्दी जल्दी बताईये आगे क्या हुआ ! हम तो पहिले ही बता दिए थे भईया की हम आई न सकबे -समीर जी ने एक उत्तरापेक्षी चिट्ठी जो भेजी थी ,वैसे पहुच न पाने के ५१ कारणों का आप दस्तावेजी करण कर देते तो मानवता का भला होता -इन्तजार रहेगा !
  29. neeraj
    आप की पोस्ट पढ़ कर जो कष्ट हम वहां ना जा कर पा रहे थे उसे थोड़ा आराम मिला…थोड़ा विवरण और देते तो रही सही कसर भी पूरी हो जाती…हम ना जा पाए…कारण एक हो तो बताएं..कभी समीर जी मिले तो हाथ जोड़ माफ़ी मांग लेंगे…बहुत रोचक जानकारी दी है आपने…आगे भी तो बतईये न की क्या हुआ…खास तौर पर खाया क्या क्या आपने…???ब्राह्मण आदमी को इसकी जानकारी सबसे प्रीतिकर लगती है…हम जो न खा पाए उसका विवरण पढ़कर लार तो टपका ही सकते हैं न…
    नीरज
  30. जीतू
    बहुत सही विवरण। भेड़ाघाट और धुंआधार की फोटो सही खींचे हो।
    हम जब पिछली बार गए थे, तब समीर लाल जी कनाडे मे थे, जब वो जबलपुर पहुँचे, तब हम दिल्ली से कुवैत की फ्लाइट ले रहे थे। खैर! समीर लाल के पास हमारे नाम की एक ठंडी ठंडी बीयर (राम जाने, बची भी होगी की नही) पड़ी होगी। बड़े अरमानों से समीर लाल ने दो बीयर खरीदी थी, एक मेरी याद मे धुंआधार पर बैठ कर अकेले अकेले खतम की थी, दूसरी रख ली थी, बोले इसको सहेज लेते है, अगली बार जब जबलपुर आओगे तो इसी को निकालेंगे (गोया कि बीयर ना गयी, वाइन हो गयी)
    उम्मीद है वो बीयर इस बार निकल गयी होगी। समीरलाल को समधी बनने पर ढेर सारी शुभकामनाएं।
    ना आने के बहानों पर एक लेख तो बनता ही है, कब लिखोगे?
  31. राज भाटिया
    अनिल जी बहुत सुंदर लगा आप का लेख हम नए तो सोचा था कि शायद आप भी बहाना बना कर नही गये, वेसे आना तो हम ने भी था, लेकिन….. याद ही नही रहा, इन बच्चो के बारे जो आप ने लिखा बहुत ही अजीब लगा, हमे फ़तेपुर सीकरी मै भी ऎसा ही नाजारा देखने को मिला था, लेकिन हम ने साफ़ मना कर दिया, लेकिन बच्चो से पुछ लिया अगर भूख लगी हो तो बताओ, क्यो कि इन के मां बाप ही शायद यह सब करवाते हो.
    धन्यवाद
  32. अथ बारात कथा
    [...] दफ़्तर जाते-जाते जबलपुर के किस्से शुरू किये। कुछ साथियों ने ये दिल [...]
  33. लावण्या
    बहुत अच्छे चित्र और मार्मिक यात्रा वृताँत रहा
    -लावण्या
  34. गौतम राजरिशी
    हम ने उल्टा पढ़ा….दरअसल अभी आया था पहले बारात-कथा को पढ़ा। वो इतना रोचक लगा कि वापस उल्टा आया इसे पढ़ने। पूरी दास्तान का ब्योरा शायद इतना मनोरम नहीं बनता,जो आप न लिखते!!
  35. प्रवीण त्रिवेदी-प्राइमरी का मास्टर
    बढ़िया जी!!
    बिलकुले चकाचक ठहाकेदार चित्रमय वर्णन !!
  36. GIRISH BILLORE MUKUL
    AAPALEE YATRA ADHOOREE RAHEE HAM LOG MIL HEE N PAAE
  37. कुश
    बढ़िया रहा जी विवरण..इत्ती सारी मस्त बाते लिखी है आपने की कौनसी कोट करू समझ नही आ रहा …
  38. जबलपुर , कानपुर और जन्मदिन
    [...] अथ जबलपुर कथा [...]
  39. anitakumar
    बहुत सुंदर चित्र, अगली छुट्टी जबलपुर के नाम, समीर लाल जी को बधाई
  40. : नित नमन मां नर्मदे
    [...] सबसे पहली बार अपन समीरलाल के बेटे के विवाह के मौके पर मिले थे। दूसरी बार पिछले वर्ष [...]
  41. : टुनटुन टी स्टॉल, बमबम पान भंडार और सौंन्दर्य की नदी नर्मदा
    [...] पिछली बार जब आये थे तो भेडाघाट तो रस्सी-रास्ते से नहीं देखी थी नर्मदा। इस बार सबसे पहला काम यही किया। सत्तर रुपये का टिकट खरीदकर चढ़ लिये ट्राली में। ऊपर से देखा तो क्या तो गजब की सुन्दरता इठलाती बह रही थी नीचे। वेगड़जी ने सही ही लिखा है नर्मदाजी के बारे में- सौंदर्य की नदी नर्मदा। [...]
  42. फ़ुरसतिया-पुराने लेख
    [...] अथ जबलपुर कथा [...]

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