Saturday, January 31, 2009

आइये घाटा पूरा करें और सुखी हो जायें

http://web.archive.org/web/20140419221552/http://hindini.com/fursatiya/archives/582

29 responses to “आइये घाटा पूरा करें और सुखी हो जायें”

  1. anil pusadkar
    हम तो आडिटर के फ़ालोअर है,वाजिब-गैर वाजिब सुविधाएं मिले बिना कुछ नही कहेंगे।
  2. Dr.Arvind Mishra
    आज ज़रा मुझे भी जल्दी है अब लोगों को कौन समझाए किसी फुरसतिया की पोस्ट को फुरसत से ही पढा जाता है -अब मं लौट कर फुरसत से ही इसे बांचून्गा -जिन्हें फुरसत नहीं वे रास्ता नापें !
  3. nirmla.kapila
    bahut bdiya hame bhi art gallery ke darshan ho jate agar ek photu bhi saath taang dete viang me bahut sahi pol kholi hai bdhai
  4. रंजन
    PD फिर से calculation करो… ये यो और भी गजब है..:)
  5. परमजीत बाली
    बहुत बढिया व्यग्य है जी। पढ कर बहुत ज्ञान वर्धन हुआ। :)
  6. mahendra mishra
    बहुत बिंदास भाई साहब
    एक समस्या है चुनाव हो जाने के बाद इस घाटे की भरपाई करना तो और भी मुश्किल होगा.
  7. seema gupta
    दु:खी मत होऒ, मणिकर्णिका,
    दु:ख मणिकर्णिका के
    विधान में नहीं
    दु:ख उनके माथे है
    जो पहुंचाने आते हैं
    दु:ख उनके माथे था
    जिसे वे छोड़ चले जाते हैं।
    ” behtrin, isko yhan pdhvane ke liye aabhar…..”
    regards
  8. समीरलाल
    घाटा पूरा करके जब कविता पढ़ी तो लगा सोने में सुहागा…बहुत ही उम्दा. बहुत आभार आपका.
  9. ताऊ रामपुरिया
    दु:खी मत होऒ, मणिकर्णिका,
    दु:ख मणिकर्णिका के
    विधान में नहीं
    दु:ख उनके माथे है
    जो पहुंचाने आते हैं
    दु:ख उनके माथे था
    जिसे वे छोड़ चले जाते हैं।
    आज तो श्रीकांत वर्मा जी की कविता पढवाकर आपने धन्य कर दिया.
    ईश्वर करे ऐसे फ़ुरसतिया लेखन करने वाले एक – दो फ़ुरसतिया इस
    ब्लाग जगत मे और पैदा हो जाये तो पढने का आनन्द दुगुना हो जाये.
    बहुत शुभकामनाएं आपको.
    रामराम.
  10. Gyan Dutt Pandey
    सुख और दुख तो पेयर ऑफ अपोजिट्स हैँ। एक के चक्कर में दूसरे को त्यागने का काम तो शायद हो ही नहीं सकता।
    डोम तो वीतरागी है – स्थितप्रज्ञता की उच्चावस्था को प्राप्त। डोम कैसे बनें पर तो समस्त दर्शन टिका है।
    कैसे बनें डोम!
  11. विवेक सिंह
    ब्लॉगिंग करें और समय बचाने की दुहाई दें . यह तो विभावना अलंकार हो गया !
    वैसे यह राजू वालू बेलैंसशीट तो नहीं :)
  12. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    फुरसत नहीं है टिपियाने के लिए तीन बार आने की।
    लेकिन क्या करें। मजबूर जो हैं। चिच की ढिंचक पोस्ट में शामिल होने के लिए करना पड़ता है जी…:)
  13. लावण्या
    भारतीय मानस की यही तो खूबी है कि,
    जिस घाट ना जाने कितने गँगा जी माँ जा कर समाँ गइल..
    उसी को “मणिकर्णिक़ा ” जैसा सुमधुर नाम दै दिया ..
    हे विधाता !
    डोम का जीवन भी किसी तपस्या से कम नहीँ !
    आपकी पोस्ट हमेशा बहुत कुछ समेटे रहती है ..
    यथा नाम तथा गुण !
    - लावण्या
  14. Prashant (PD)
    ई गलत बात है अनूप जी,
    कल हम कम से कम १० बार घूमे हैं आपके यहाँ खाली टिपियाने के लिए.. लेकिन टिपियाने वाला जगहे नहीं दिख रहा था.. हमको हुआ कि कौनो जुगत लगा रहे होंगे, पोस्टवा में कुछ चेंज कर रहे होंगे.. थोडा मन में लालच भी था कि हमारे नाम के साथ फोटुवा भी डालेंगे क्या? लेकिन ऊ भी नहीं हुआ.. आज जाकर टिपियाने वाला डब्बा देखे तो निराश हो गए.. सो अबकी बार फिर से इल्जाम लगायेंगे कि १० बार हम यहाँ आये, मेरी तरह कम से कम २० लोग १० बार यहाँ आये होंगे..ऐसे ही २०० हो गया.. आगे क्या कहें? :)
  15. हिमांशु
    यह है पक्की फ़ुरसतिया पोस्ट । धन्यवाद
  16. संजय बेंगाणी
    री-ठेली मुबारक.
  17. Dr.anurag
    वो एक फ़िल्म में डाइलोग था न शुक्ल जी….कुछ चीजे नफा -नुक्सान में नही देखी जाती “
  18. ghughutibasuti
    हमारे १० मिनट भी अर्पित हो गए ! मजेदार पोस्ट रही।
    घुघूती बासूती
  19. गौतम राजरिशी
    अब ब्लौग पे भी हिसाब गणित बतायेंगे तो कैसे काम चलेगा अनूप….इसी गणित से डर कर तो कमबख्त फौज में आ गया था..
    वैसे श्रीकांत वर्मा जी की इस कविता के लिये असीम धन्यवाद
  20. कार्तिकेय
    सही है..
    ई ससुरे नेती-नेता भी तो थू-थू और धिक्कार दिवस हर मिनट में बहत्तर बार मनाते हैं.. लगाओ टैक्स सबों पर.. थोड़ा रेसेशन कम हो।
  21. Dr.Arvind Mishra
    कविता पढ़ना मणिकर्णिका से लौटना जैसा रहा !
  22. Anonymous
    Bahut sundar…!!
    ___________________________________
    युवा शक्ति को समर्पित ब्लॉग http://yuva-jagat.blogspot.com/ पर आयें और देखें कि BHU में गुरुओं के चरण छूने पर क्यों प्रतिबन्ध लगा दिया गया है…आपकी इस बारे में क्या राय है ??
  23. Smart Indian
    अब पहले पता होता कि आपके बिलाग पे इतनी गणित पढ़नी पड़ेगी तो फ़िर गणित में पाँच साल फेल काहे होते? कविता बहुत गज़ब की है. पोस्ट के बारे में कुछ नहीं कह सकते [पढ़े बिना].
  24. anitakumar
    लगता है आज कल प्रशांत के दफ़्तर में काम कुछ कम है इस लिए गणित की प्रेक्टिस कर रहा है। दोनों लगे रहिए, हमारा तो गणित पहले से कमजोर है जी , अपुन तो चले
  25. roushan
    यहाँ कमेन्ट देने के एवज में क्या क्या सुविधाएं मुहैय्या कराई जानी हैं इस विषय पर थोडा खुल कर प्रकाश डालें
    हमारा मानना है कि लें-देन साफ़ होना चाहिए नही तो यूरेका वाली स्थिति आती ही रहती है
  26. प्रवीण त्रिवेदी-प्राइमरी का मास्टर
    अब गणित भी …… वह भी फुर्सत में !!!
    ओझा जी का करिहें भाई????
  27. Prashant (PD)
    नहीं अनीता जी.. काम तो पहले जैसा ही है, मगर टेंशन वाला काम जरा कम ही है.. पहले काम से ज्यादा टेंशन रहता था.. अब टेंशन से ज्यादे काम रहता है.. :D
  28. : फ़ुरसतिया-पुराने लेखhttp//hindini.com/fursatiya/archives/176
    [...] आइये घाटा पूरा करें और सुखी हो जायें [...]
  29. चंदन कुमार मिश्र
    हिसाब तो ठीक ठाक है लेकिन ब्लाग से पहले से आर्थिक संकट है यहाँ, लिखने वाले को इतिहास का ज्ञान नहीं है…
    चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..इधर से गुजरा था सोचा सलाम करता चलूँ…

No comments:

Post a Comment