Saturday, July 08, 2017

जबाबी तुकबंदियां

1. ज़िक्र है फ़िक्र है हादसा है, इश्क़ इसके सिवा और क्या है।
और क्या चाहिए ज़िंदगी में, ख़्वाब हैं दोस्त हैं फलसफ़ा है।
वो मेरा दोस्त पक्का है ये पक्का हुआ अब,
कि उसकी लिस्ट से नाम अपना सफा है।
पटक के मारा नहीं दोस्त को चौराहे पर मैंने,
इस जरा बात पर मेरा दोस्त मुझसे खफ़ा है !
2. लोग सच का बुरा मानते हैं
झूठ की चारसूं वाहवा है।
Sushil Siddharth
·
सच का भाव फ़िर उचक गया भईया,
झूठ के चेहरा फ़क्क पड़ि गवा है।
3. मैं उसे छोड़ना चाहता हूं
आज वह भी यही चाहता है।
छोड़ने को तो मैं आज क्या अभी छोड़ दूं
लेकिन फ़िर बाद में बहुत जोर से डांटता है।
4. किताब छप गयी और देखो वो भी बन गया लेखक
प्रकाशक से दोस्ती रखने का भी अपना नफ़ा है ।
दाबे बैठा है रॉयल्टी जिसे प्रकाशक बना दिया हमने
मासूमियत से पूछता है, यार मेरा किसी से खफ़ा है?
5. तुम्हारी बातको मानू न मानू तुमसे मतलब
तुम गर खफा हो तो क्या इसमें मुझे नफा है
बहुत देर इधर-उधर की हांकता रहा अगला
हड़काया गया तो सर पर पैर रख हुआ दफ़ा है।
6. यही तो जान है हमारी दोस्ती में
ज़िन्दगी के हर ग़म अपने दफा है
गम आये तो साथ आयीं खूब खुशियां भी,
जिन्दगी का यही तो हसीन १. फ़लसफ़ा है।

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