Tuesday, April 02, 2019

क्रासिंग पर कड़क्को


क्रासिंग पर गाड़ियां रुकते ही बच्चे लपकते हैं। रुकी हुई गाड़ियों के शीशे साफ करने लगते हैं। कुछ लोग बच्चों को घुड़क देते हैं। कुछ चुपचाप साफ करने देते हैं। कुछ लोग कुछ दे देते हैं। ज्यादातर चुपचाप बिना कुछ दिए आगे चल देते हैं।

क्रासिंग पर लालबत्ती बच्चों के लिए कमाई की संभावना हैं। ज्यादातर लोग बिना दिए ही आगे बढ़ जाते हैं। हम भी उनमें ही हैं। 'किसी को मुफ्त पैसा देना ठीक नहीं' वाले तर्क से अपने को बचाते हैं। लेकिन अपन गाड़ी साफ भी नहीं कराते। बच्चे लपकते हैं तो उनको मना कर देते हैं। बच्चे भी अब पहचान गये हैं। दूसरी गाड़ी की तरफ बढ़ जाते हैं। न जाने बत्ती कब हरी हो जाये।
क्रासिंग की तरफ बढ़ती हर गाड़ी बच्चों के लिए रोजगार का एक संभावित अवसर है।
कल बच्चे क्रासिंग के पास सड़क पर कड़क्को खेल रहे थे। सड़क पर गेरू से खांचे खींचकर। खेलते हुये ’ घर’ बसा रहे हैं। दूसरे के ’घर’ में जगह साझा कर रहे थे। भीड़ वाली क्रासिंग है यह। लेकिन बच्चे एकदम बगल से गुजरती गाड़ियों से बेपरवाह उछलते हुए खेल रहे हैं। बहुत 'डेयरिंग'।
हमने कड़क्को खेलते बच्चों का फोटो लेने के लिए मोबाइल आन किया तो एक बच्ची बोली -'पुलिस को देओगे? हमको पकड़वाओगे?' उसके पूछने में डर नहीं है, चुनौती है। फ़ोटो खींचकर क्या बिगाड़ लोगे?
मांगने वाले बच्चों को लगता है कि उनकी फोटो खींचकर पुलिस में देंगे तो पुलिस उनको पकड़ेगी। आमतौर पर भीख मांगते बच्चे कैमरा दिखाते ही फुट लेते हैं।
हमने कहा नहीं। हम पुलिस में नहीं देंगे। वे मेरे आश्वासन से बेपरवाह फिर वहीं खेलने लगे। एक बच्ची खम्भे में टायर लटकाए उस पर झूला झूल रही थी।
शहर की सबसे भीड़ भरी क्रासिंग के पास बच्चे सड़क पर लाइन खींचकर कड़क्को खेलते हुए भीख मांग रहे हैं। भीख मांगते हुये खेलना या फ़िर खेलते हुये मांगना। ’वर्कफ़्राम होम’ घराने की सुविधा। ’बेग एंड प्ले’ या फ़िर ’प्ले एंड बेग’ । इस समस्या का किसी के पास इसका इलाज नहीं है।
वैसे इलाज कोई मुश्किल नहीं है। लेकिन क्या है न कि दशकों से देश की सारी ताकत विकास में लगी है। आम जनता की तरफ देखने की किसी को फुरसत नहीं मिल रही। जैसे ही फुरसत मिलेगी तो कोई ऐसी मिसाइल बनेंगी जो गरीबी, भुखमरी, दरिद्रता को उसके घर में घुसकर मारेगी। उसकी हिम्मत नहीं होगी कि इस तरह क्रासिंग पर बच्चों के बहाने सरेआम अपनी हरकतें दिखाए।
क्रासिंग पर भीख मांगते हुए खेलते बच्चों की संख्या बढ़ रही है। शायद कुछ दिन में ये भी बड़ा वोट बैंक बन जाएंगे। फिर इनके लिए सहूलियत की बात चलेगी। भीख मांगने में होने वाली परेशानियों को दूर करने के वादे होंगे। क्रासिंग पर छतरी और पानी की व्यवस्था होगी ताकि गर्मी में मांगने में आसानी रहे। लाल बत्ती का समय बढ़ाये जाने का आश्वासन होगा।
फिलहाल तो ऐसे ही चलेगा जी।

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