Wednesday, January 30, 2019

पेंशन कोचिंग सेंटर


सूरज भाई ने पिल्लों को सड़क पर टहलते देखा तो धूप-छांह की कुछ लाइने बना दीं। बोले ये धूप वाले भाग का क्षेत्रफल निकालो।

पिल्ले आपस में ' मिसकौट' करने लगे। कैसे निकलता है बे क्षेत्रफल। एक बोला -'गूगल कर बे। गूगल सब जानता है। बता देगा। आजकल दुनिया में सब सवाल के हल गूगल ही जानता है।'
दूसरा पिल्ला बोला -'अबे गूगल कैसे करें। नेटवर्क ही नहीं आ रहा है। हिल रहा है गोला स्क्रीन पर। बदलना पड़ेगा सर्विस प्रोवाइडर। '
तीसरा तब तक बगल की घास पर लोटपोट होने चला गया। इसके बाद पेड़ के पास टेड़ा होकर जमीन को सींच आया। सिंचाई के पैसे नहीं चार्ज किये उसने। गूगल से कम दरियादिल थोड़ी है।
चौथा इन सब से निर्लिप्त धूप स्नान कर रहा था। आँख मूंद कर। जबसे उसने नई 'शरीफ पेंशन स्कीम' की खबर सुनी है तब से वह शरीफ बनने में लग गया है। बिना किसी को बताये 'पेंशन कोचिंग सेंटर' ज्वाइन कर लिया है। रोज शाम को जाता हैं। अभी मौन रहना और आंख मूंदना सिखाया है। एक दिन आंख मूंदकर सो गया। जागने पर गुरु जी ने पीठ ठोंकी और कहा -'तू बहुत तेजी से सीख रहा है। जल्दी से सच्चा शरीफ बनेगा।'
साथ के पिल्ले उसकी मजाक उड़ाते हैं। कहते हैं -'देख बेट्टा कहीं शरीफ बनने के चक्कर में नवाज शरीफ न बन जाना। मौन रहना सीख गया तो कोई पिंजड़ें के अंदर कर देगा। भौंकना भूल कर सिर्फ पूंछ हिलाता रह जायेगा। कुत्तों की पहचान उनके भौंकने में है। मौन रहना तो गधों का काम है।'
लेकिन वह मन से कोचिंग में लगा है। मौन रहने पर कोई टोंकता है तो पूछता है -'दुनिया भर के तमाम लफड़े देखते हुए भी उनको अनदेखा करके जीने वाले लोग क्या गधे हैं?'
किसी के पास कोई जबाब नहीं पाकर वह अपने को सही मान लेता है। भौंकना भूलकर मौन रहना सीख रहा है।
गुरु जी ने उसको कोचिंग क्लास का मॉनिटर बना दिया। वह तबसे किसी पिल्ले के कोचिंग ज्वाइन करने की राह देख रहा है जिस पर वह मॉनिटरी झाड़ सके।
आगे क्या हुआ पता नहीं चला। लौटकर पूँछेगे।

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