Tuesday, January 29, 2019

ओस के कपड़े पहने धूप में नहाती पत्ती

सबेरे की चाय पी रहे थे। बगल में मेज पर रखा मोबाइल नागिन डांस टाइप करने लगा। लगा कोई गड़बड़ डाटा खा गया है। हाजमा खराब हो गया है। ऐंठ रहा है पेट। मोबाइल पर हम वैसे ही खफ़ा रहते हैं आजकल। काफ़ी टाइम खा जाता है। उसको ऐंठते देख खुश टाइप होने का मन किया। लेकिन हुए नहीं। केवल अनदेखा कर दिया।

मोबाइल को अनदेखा करके चुस्कियाते हुये लैपटॉप में घुस गये। मोबाइल फ़िर डांस करते हुये अकड़ने लगा। ज्यादा अकड़ा और आवाज भी तेज तो हाथ बढाकर उठाये। देखा सूरज भाई का कॉल था। हेल्लो, गुडमार्निंग के बाद मजाक का सिलसिला शुरु हुआ। हम बोले-’ भाई जी राशिफ़ल आ रहा है। अपनी राशि बताओ तो आज का भाग्यफ़ल बतायें।’
सूरज भाई भन्नाये हुये थे। बोले - ’यार, ये तुमको राशिफ़ल की पड़ी है। यहां धरती के ऊपर कोहरे के बादल सुरक्षा गार्डों की तरह खड़े हैं। आने नहीं दे रहे हमारी किरण बच्चियों। कह रहे हैं अपना पासवर्ड बताओ। टोकन दिखाओ। अजब-अजब तमाशा करते हैं ये धरती के चौकीदार। मन किया पूरी धरती को गर्मा के खल्लास कर दें। लेकिन फ़िर तुम्हारा ध्यान आ गया तो छोड़ दिये। तुम्हारी चाय का लिहाज कर गये।’
हमने फ़ौरन कोहरे को हड़काया। कोहरा ऐसे फ़ूटा जैसे सरकारें बदलते ही नए बने माननीयों के तमाम आपराधिक मुकदमें फ़ूट लेते हैं। सूरज भाई साथ में बैठकर चुस्कियाने लगे। बहुत दिन बाद साथ चाय पी रहे थे। चीनी कम होने के बावजूद चाय मीठी लग रही थी। सूरज भाई कहने लगे -’तुम और कुछ भले न जानते हो लेकिन चाय अच्छी बनाते हो।’
हमको कुछ समझ में नहीं आया तो मुस्करा दिए। कुछ समझ में न आने पर मुस्करा देना सबसे सुरक्षित रहता है। थोड़ी बेवकूफी मिला दो मुस्कान में तो और सुरक्षित। मुस्कान और मूर्खता का गठबंधन सबसे घातक होता है।
सूरज भाई ने अपनी रोशनी के थान के थान हमारे लॉन में बिछा दिये। सारी घास चमकने लगी। ओस की बूंदे मोतियों की तरह चमकने लगी। किरणों की चमक और घास का बिस्तरा देखकर पास के पेड़ की एक पत्ती पेड़ से कूदकर घास पर बिना पैराशूट उतर गयी। पत्ती घास के बिस्तर पर लेट गयी- दिगंबर। धूप में मजा आने लगा तो वह उलटपुलट कर पूरी तरह धूप में नहाने लगी।
घास पर पसरी ओस की बूंदे उसके ’ओस मसाज’ जैसा करने लगी। पत्ती के पूरे बदन पर ओस की मालिश हो गयी। ऐसा लगा कि पत्ती ओस के स्किन टाइट कपड़े पहने हुये बगीचे की घास पर पसरी धूप स्नान कर रही हो। पत्ती का आत्मविश्वास और खिलंदड़ापन देखकर लग रहा है उसके पास मोबाइल होता तो पक्का सेल्फ़ी फ़ेसबुक पर अपलोड करके ’चैलेन्ज एक्सेप्टेड’ हैसटैग के घोड़े हांक चुकी होती।
बगीचे में क्यारियों लगे पौधे धूप की सप्लाई पाकर बौरा गये। उनके हाल ऐसे हो गये एक ही सेठ से ’चुनाव चंदा’ पाये दो नेता आपस में एक-दूसरे के खिलाफ़ बयानबाजी करते हुये गदर काटते हैं। दोनों को एक दूसरे की अलग-अलग दिशा में झुके हुये देखकर लगा एक ही ठेके की दारू पीकर निकले हुये दारूबाज सड़क के अलग-अलग किनारों पर टुन्न पड़े हों। कुछ पौधे बीच की स्थिति इधर गिरें या उधर गिरें जैसी बातें सोचते हुये अनिर्णय की स्थिति में थे। वे बहुमत की तरफ गिरने की सोचते हुए दोनों तरफ गिरने वाले पौधों की गिनती कर रहे थे।
चाय की अन्तिम बूंद पीने के बाद सूरज भाई ने चल दिये। चलते हुये टीवी पर भाग्यफ़ल बता रहा था- ’आपका आज का दिन अच्छा है। किसी भले आदमी से मुलाकात होने का सुयोग है।’ वे चलते हुये मुस्कराये और हमको देखकर मुस्कराते हुये -’ अब तुमको भी भला आदमी बताने की साजिश हो रही है। बच के रहो।’
हम भी मुस्करा दिये। बगीचे में देखा कि धूप में अलसाई सी आरामफ़र्मा पत्ती के आसपास तमाम पत्ते और कुछ और पत्तियां भी पसर गये थे। लगता है सबने वाकई चुनौती स्वीकार ली हो।
आप क्या कर रहे हैं? । निकल्लीजिये। नहाइये धूप में। अभी धूप मुफ्त है। क्या पता कल इस पर भी कोई सेस लग जाये। वह मॉल्स में बोतलों में बिकने लगे। एक पैकेट के साथ दो मुफ्त के ऑफर के साथ। इससे पहले कि सूरज की रोशनी पर कोई टैक्स लगे नहा लीजिये धूप में जी भर कर। जी लीजिये मन भर।

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