Saturday, September 21, 2019

'घुमक्कड़ी की दिहाड़ी' को वर्ष 2018 का गुलाब राय सर्जना पुरस्कार


मेरी किताब 'घुमक्कड़ी की दिहाड़ी' को उप्र हिंदी संस्थान द्वारा वर्ष 2018 के गुलाब राय सर्जना पुरस्कार के लिए चयनित होने की सूचना मिली। इस पर 40000/- का इनाम मिलेगा। यह पुरस्कार निबन्ध विधा में है।

इसके पहले मेरी किताब 'सूरज की मिस्ड कॉल' पर वर्ष 2017 का 75000/- सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' सम्मान मिला था।
इनाम की सूचना सबसे पहले हमारे Dayanand Pandey जी ने दी। उनका सादर आभार। दयानन्द जी को पिछले वर्ष हिंदी सहित्य संस्थान का 2 लाख रुपये का सम्मान मिला था।
किताब में पिछले कुछ सालों में कानपुर की घुमक्कड़ी के किस्से हैं। घुमक्कड़ी से पाया अनुभव ही इस घुमक्कड़ी की कमाई है। इसीलिए हमारी किताब का नाम रखने वाले और हमारी किताबों के स्थाई भूमिका लेखक व्यंग्य पंडित Alok Puranik ने इसका नाम तय किया था 'घुमक्कड़ी की दिहाड़ी।'
नाम तय करने के साथ ही भूमिका भी लिखी है आलोक जी ने और बताया थाकि अनूप शुक्ल को वो वृत्तान्तकार किस लिए मानते हैं।
किताब समर्पित है अपने बचपन से बड़े होने तक के कनपुरिया संगी-साथी Sharad Prakash Agarwal , Jaidev Mukherjee संतोष बाजपेई, Vikas Telang , Ajay Tiwari, राजीव मिश्र, अनिल श्रीवास्तव , लक्ष्मी बाजपेयी, ब्रजेश शुक्ल और Rakesh Dwivedi को जिनके साथ जिया समय अपन की जिंदगी की सबसे बड़ी नियामतों में से एक है।
किताब रुझान प्रकाशन से आई है। शुक्रिया किताब के प्रकाशक Kush Vaishnav का जिन्होंने हमारी किताबें छापना शुरू करके हमको लेखक बना दिया।
इस सम्मान में हमारे सबसे बड़ा योगदान हमारे पाठकों का है जो हमारे लिखे को बांचते हैं और हमेशा उत्साह बढाते हैं। उनके प्रोत्साहन के बगैर न कोई किताब सम्भव थी न कोई इनाम। सभी पाठक संगी-साथियों को मन से आभार।

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