Wednesday, March 31, 2021

हमारे दरमियाँ

 


मुश्किलों से जब मिलो आसान होकर मिलो,
देखना आसान होकर , मुश्किलें रह जाएंगी।
हमारे डॉ. राजीव रावत की किताब 'हमारे दरमियाँ' के पन्ने पलटते हुए स्व. प्रमोद तिवारी की गजल का यह शेर दिखा। मजा आ गया। पैसे वसूल हुए।
डॉ राजीव रावत हमारे आयुध निर्माणी संगठन से जुड़े रहे हैं। कानपुर की फील्ड गन फैक्ट्री के राजभाषा विभाग से जुड़े रहे। 2009 से आई.आई.टी. खड़गपुर में वरिष्ठ हिंदी अधिकारी हैं।
सहज, सरल, तरल भाषा में लिखे ललित निबन्ध तसल्ली से पढ़ने वाले हैं। अपनी बात कहते हुए बेहतरीन कविता पंक्तियों के उध्दरण से लेखों की खूबसूरती बढ़ गयी है। इन उद्धरणों के चलते हमेशा आसपास रखने लायक किताब है यह। किताबें वैसे भी आसपास रहनी चाहिए। तमाम अलाय बलाय से बचाती हैं किताबें।
किताब अभी तो शुरू की है। फिलहाल इतना ही।
किताब खरीदने का मन करे तो लिंक यह रहा।

https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10222032105725167

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