Wednesday, August 19, 2020

परसाई के पंच-13

 1. वैष्णव बेखटके गबन कर सकता है, चोरी कर सकता है, काला पैसा जमा कर सकता है।

2. किसी प्रकार की आग लग जाय तो शासन को उसकी जांच की कोशिश नहीं करनी चाहिये। विश्वास कर लेना चाहिये कि आग दैवी इच्छा से लगी है। दैवी इच्छा में मनुष्य को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिये।
3. इस कालेज में पैंतीस साल से लघु शंका गृह नहीं बना। अब एकदम लघुशंकागृह बनवा देना बहुत क्रांतिकारी कदम हो जायेगा। क्या हम इतना बड़ा क्रांतिकारी कदम उठाने के लिये तैयार हैं?
4. समाज में कोई भी अच्छी स्त्री किसी शरीफ़ आदमी को प्यार नहीं करती।
5. राकेश की एक आदत है। वह उन स्थानों के आसपास घूमता रहता है, जहां गुण्डे स्त्रियों को तंग करते हैं। ज्योंही किसी सुन्दरी को कोई गुण्डा छेड़ता है, राकेश उससे भिड़ जाता है और उसे पीटकर स्त्री को उसके घर पहुंचा देता है।
6. भारत में साधु बहुत हैं। इससे समाज को बहुत लाभ हैं। इनका काम है आत्महत्या करने वाली स्त्रियों को बचाना और बिछुड़े हुये प्रेमियों को मिलवाना। भारत-साधु-समाज की व्यवस्था के अनुसार सुन्दरियों के आत्महत्या करने के स्थानों के पास एक-एक साधु छिपकर बैठा रहता है। वह चौबीसों घण्टे देखता रहता है कि कौन आत्महत्या करने जा रही है। बारह घंटे में उनकी ड्युटी बदलती है।
7. स्वामी जी हंसे। बोले.” बच्चा तुम संसारी लोग होटल में साठ साल के बूढे ’बैरे’ को ’छोकरा’ कहते हो न! उसी तरह हम तुम संसारियों को ’बच्चा’ कहते हैं। यह विश्व एक विशाल भोजनालय है जिसमें हम खाने वाले हैं और तुम परोसने वाले हो। इसीलिये हम तुमको ’बच्चा’ कहते हैं।
8. जब चुनाव आता है तो , तब हमारे नेताओं को गोमाता सपने में दर्शन देती हैं। कहती हैं- बेटों, चुनाव आ रहा है। अब मेरी रक्षा का आन्दोलन करो। देश की जनता अभी मूर्ख है। मेरी रक्षा का आन्दोलन करके वोट ले लो।
9. इस देश के मनुष्य को सूखा मार रहा है, अकाल मार रहा है, मंहगाई मार रही है। मनुष्य को मुनाफ़ाखोर मार रहा है, कालाबाजारी मार रही है। भ्रष्ट शासन-तन्त्र मार रहा है। सरकार भी पुलिस की गोली से चाहें जहां मनुष्य को मार रही है।
10. गोरक्षा के जुलूस में जब झगड़ा होता है, तब मनुष्य मारे जाते हैं।
11. मनुष्य-रक्षा के लिये मुनाफ़ाखोर और कालाबाजारिये से बुराई लेनी पड़ेगी। यह हमसे नहीं होगा। यही लोग तो गोरक्षा आन्दोलन के लिये धन देते हैं। हमारा मुंह धर्म ने बन्द कर दिया है।

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