Wednesday, August 12, 2020

परसाई के पंच- 9

 1. साहित्य का काम अच्छी दुकान या अच्छी नौकरी लगने तक ही होता है।

2. बाराती से ज्यादा बर्बर जानवर कोई नहीं होता। ऐसे जानवरों से हमेशा दूर रहना चाहिये।
3. लौटती बारात बहुत खतरनाक होती है। उसकी दाढ में लड़की वाले का खून लग जाता है और वह रास्ते में जिस-तिस पर झपटती है।
4. इस देश में लड़की के दिल में जाना हो, तो मां-बाप के दिल की राह से जाना होता है।
5. बुजुर्ग का खास ’प्रिवलेज’ (विशेष हक) है कि किसी भी औरत को घूर सकता है और कोई बुरा नहीं मानता।
6. इस देश के युवकों को प्रेम पर मरना भी तो नहीं आता। प्रेम में मरेंगे , तो घिनापन से। मरते किसी और कारण से हैं, मगर सोचते हैं कि प्रेम पर मर रहे हैं।
7. जनता की पुकार कभी-कभी , मेमने की पुकार जैसी होती है। वह पुकारता है मां को और आ जाता है भेडिया।
8. सरकार का काम राज करना है, रोजी-रोटी की समस्या हल करना नहीं है।
9. यहां वही सो सकते हैं, जिन्हें यहां से तन्ख्वाह मिलती है। ऐसा नियम है। यह नियम पूरे देश में लागू है कि जिसे जहां से तन्ख्वाह मिलती है, वह वहां सो सकता है।
10. जिस राजनेता के आसपास सुन्दरियों का गुच्छा होता है, उसे मिलने वालों का टोंटा नहीं पड़ता।
11. किसी राज-कर्मचारी को भाई मत कहना। वह मनुष्य होने में अपनी अप्रतिष्ठा समझता है। उसे ’देवता’ कहना चाहिये।
12. वोट देने वाले से लेकर साहित्य - मर्मज्ञ तक जाति का पता पहले लगाते हैं।
13. कुछ मैंने ऐसे भी देखे हैं , जो गुलदस्ता इस तरह लेते हैं जैसे कुंजड़े की टोकरी से गोभी चुरा रहे हों। एक नेता गुलदस्ता ऐसे पकड़ते हैं, जैसे लट्ठ पकड़े हों।
14. जिस समाज के लोग शर्म की बात पर हंसे और ताली पीटें, उसमें क्या कभी कोई क्रांतिकारी हो सकता है?
15. साधारण आदमी नौकरी, बीबी और बच्चों के जीवन में सार्थकता ढूंढ लेते हैं।
16. अमेरिकी समाज वह समाज है जो बर्बरता से एकदम पतन पर पहुंच गया है- वह सभ्यता के स्टेज से गुजरा ही नहीं।
17. योगी का अभिनय करना आसान है, ईश्वर का अभिनय करना भी आसान है। मगर पागल का अभिनय करना बड़ा मुश्किल है।
18. मैं जानता हूं कि आध्यात्म भी धन्धा है। अमोह भी धन्धा है। निर्लोभ भी धन्धा है। अपरिग्रह भी धन्धा है। अहिंसा तक धन्धा हो गया है।
19. अमेरिका हो आने से ईश्वर खुद ही पास सरक आता है, और ईश्वर पास सरक आये तो धन्धा ही धन्धा है।
20. मुझे ऐसे लोग भले लगते हैं जो छोटी-छोटी चीजों से प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। मैं इन चीजों पर हंसता हूं, तो दुख भी होता है कि वह कोई अच्छी बात नहीं कर रहा हूं।
21. गणतन्त्र-परेड कुछ घंटे होती है, अकाल-परेड महीने में हर रोज होती रहती है। राशन-दुकान पर खाली झोला लिये खड़ी फ़ौज में उन फ़ौजियों से ज्यादा जोश होता है।

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